Yazidi

Yazidi finनिशा शर्मा ।वह महिलाएं चिल्लाती हैं, दहाड़ें मारकर रोती हैं, भगवान को पुकारती हैं, दया की भीख मांगती हैं लेकिन कोई उन पर तरस नहीं खाता। उन्हें मारा- पीटा ही नहीं जाता बल्कि जानवरों से भी बदतर उनके साथ सलूक किया जाता है। जुल्म, हिंसा ही नहीं उनके मान को भी ठेस पहुंचाई जाती है, उनके साथ बलात्कार किया जाता है वो भी सामूहिक बलात्कार। एक बार नहीं उन्हे इस पीड़ा से कई बार गुजरना पड़ता है। इन महिलाओं का दोष सिर्फ इतना है कि यह यजीदी हैं और इन पर सितम करने वाले आईएसआईएस के नुमाइंदे हैं।

आईएसआईएस यजूदियों को अशुद्ध मानते हैं और इन पर अत्याचार कर इनकी कौम को खत्म करना चाहते हैं।

यही वजह है कि आईएसआईएस के लोग इन महिलाओं को किसी सामान की तरह इस्तेमाल करते हैं। इन पर जुल्म ढाते हैं और इन्हें मजबूर करते हैं कि यह अपना धर्म परिवर्तन कर लें या आईएसआईएस के लोगो के साथ निकाह कर उनके धर्म की हो जाएं। जो महिलाएं या लड़कियां ऐसा नहीं करती हैं उन पर यह लोग अत्याचार करते हैं उन्हे भूखा- प्यासा, बेड़ियों से बांधकर तेज धूप में रखा जाता है ताकि वह इन आतंकवादियों की बात को मान लें और इस्लाम कबूल कर लें।  लेकिन अगर इसके बाद भी यह लड़कियां और औरतें इनकी बबात को नहीं मानती हैं तो इनके साथ दुष्कर्म किया जाता है।रिपोर्ट बताती है कि आईएसआईएस के चंगुल में आठ साल से लेकर तीस साल तक की महिलाएं हैं।

Yazidi boliआठ साल की बच्ची भी इनके जुल्म का शिकार होती है। आईएसआईएस के लड़ाके इन्हे सेक्स गुलाम के तौर पर लाते हैं। जुल्म की दास्तां यहीं नहीं रूकती यजीदी महिलाओं के लिए इन लोगों ने एक मंडी बना रखी है जिसमें इन्हे बेचा जाता है। इन यजीदी लड़कियों और महिलाओं के लिए यहां बोली लगती है। डेचे वेले के हवाले से सोलह साल की निहाद को तथाकथित इस्लामिक स्टेट के लड़ाके अगवा करके ले गए और उसके साथ महीनों बलात्कार करते रहे। उसे आगे से आगे बेचा जाता रहा इसी दौरान वह गर्भवती हो गई लेकिन उसका शोषण जारी रहा। जब जान बचाकर भागने की घड़ी आई तो उसे अपने बच्चे से भी बिछड़ना पड़ा।

Yazidi soldकुछ देशों में इंटरनेट पर ऐसे विज्ञापन देखे जा सकते हैं। जिसमें तस्वीर और ब्योरे के साथ लड़की का दाम भी डाला जाता है। इसके लिए फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

एमनेस्टी के मुताबिक आईएस लड़ाकों के हाथों हुए यौन शोषण और यौन बंदी बनाए जाने से सैकड़ों यजीदी महिलाओं और लड़कियों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।” बलात्कार के डर से कई लड़कियों ने आत्महत्या कर ली। उनमें से एक 19 वर्षीय जिलान भी थी। जिलान के बारे में उसके भाई और उसके साथ रखी गई 20 लड़कियों ने बताया। उनमें से एक लड़की ने बताया, “एक दिन हमें ऐसे कपड़े दिए गए जो नृत्य के लिए पहनी जाने वाली पोशाक जैसे थे. हमसे कहा गया कि हम नहाकर उन कपड़ों को पहन लें । जिलान ने स्नानगृह में ही खुदकुशी कर ली। उसने अपनी कलाई काटी और खुद को टांग लिया। वह बहुत सुंदर थी। शायद उसे पता था कि उसे कोई आदमी ले जाने वाला है और इसीलिए उसने अपनी जान ले ली।” जिन लड़कियों को आईएस लड़ाकों ने अगवा किया उनकी ठीक संख्या बताना मुश्किल है। इराक का मानवाधिकार मंत्रालय उनकी संख्या “सैकड़ों” बताता है लेकिन एमनेस्टी के मुताबिक यह संख्या “हजारों” में है।

ह्यूमन राइट्‍स वाच ग्रुप की हाल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादियों ने इन महिलाओं को अगवा करने के बाद उन्हें शादी करने के लिए मजबूर किया, उनसे इस्लाम कुबूल करवाया और उनके साथ बारम्बार दुराचार किया। इन्हें इनके परिजनों से अलग कर दिया गया था। बंधक महिलाओं, लड़कियों के मुताबिक एक लॉटरी के जरिए बलात्कार का शिकार बनाई जाने वाली लड़कियों को चुना जाता था। इन्हीं में से एक बच्ची का कहना था कि उसके सात मालिक बने और सातों ने उसके साथ बलात्कार किया।

ह्यूमन राइट वाच का कहना है कि यह युद्ध अपराध है। लड़कियों को संगठित तरीके से बलात्कार का शिकार बनाया गया, उन पर यौन हमले किए गए, उन्हें यौन दासता में रखा गया या फिर उनके साथ जबर्दस्ती शादी कर ली गई।

यही नहीं आईएसआईएस के लड़ाकों के बंधन से छूटी लड़कियों में यह खौफ बना रहता है कि कहीं उन्हे दोबारा ना उठा लिया जाए। इसी डर की वजह से कईंयों ने तो अपने चेहरे को ही जला लिया या उसे खराब कर लिया ताकि उनकी पहचान ना हो सके और उन्हे वह जुल्म दोबारा ना झेलने पड़ें।

Yazidi4लेकिन इस हैवानियत से बड़ी दरिंदगी यह है कि हालही में 19 यजीदी लड़कियों को सेक्स सलेव बनने से मना करने पर जिंदा जला दिया गया और सैंकड़ो लोग ऐसा होता देखते रहे।

यजीदी महिलाएं भयानक यौन हिंसा शारीरिक और मानसिक तौर पर झेल रही हैं। यहां तक ​​कि जो लड़कियां भागने में कामयाब रही हैं उनके दिलो दिमाग पर गहरा आघात पहुंचा है और वह दोबारा अपनी जिंदगी जीने में असमर्थ महसूस कर रही हैं।

यजीदी सैकड़ों साल पुराना धर्म है जिसे इराक के इस्लामी कट्टरपंथी धर्म के बाहर मानते हैं। अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए यजीदी सालों से भेदभाव का शिकार हैं। यजीदी धर्म में कुछ मान्यताएं ईसाई, यहूदी और अन्य प्राचीन धर्मों की भी हैं। लेकिन आईएस यजूदियों को गन्दा खून मानते हैं । यही वजह है कि वह उऩपर जुल्म ढाते हैं।

दरअसल,,आईएस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। उसके सदस्य अलग- अलग देशों से आते हैं। अत्यंत विकसित औद्योगिक देशों से भी और कम विकसित समाजों से भी। राजनीतिक तौर पर भी वे इलाकों से आते हैं, लोकतांत्रिक देशों से भी और निरंकुश शासन वाले देशों से भी। लेकिन इस संगठन की सोच हिंसा कर अधिकार जमाना है। आईएसआईएस का मानना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब पूरी दुनिया में आईएसआईएस का वर्चस्व होगा और यजीदियों का खात्मा।

यजीदी महिलाओं पर होतो अत्याचारों के खिलाफ आवाज तो उठती है लेकिन उनके हालात में कोई सुधार नहीं होता। अगर  आईएसआईएस पर शिकंजा कसा होता तो 19 लड़कियों के सलाखों में डालकर जलाने की घटना को अंजाम नहीं दिया जाता।