काठमांडू। दुनियाभर में कई आंदोलन चल रहे हैं, पहले चल चुके हैं, और आगे भी चलेंगे। ज्यादातर आंदोलन विरोध भरे होते हैं। मगर नेपाल में पहला ऐसा आंदोलन शुरू हुआ है, जिसमें लोग माफी मांग रहे हैं। वंचित समुदाय के साथ हुए भेदभाव के लिए शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। और कह रहे हैं ‘वी-आर-सॉरी’।

लंबे समय तक चले मधेसी आंदोलन के कारण चर्चा में रहे नेपाल में एक और आंदोलन शुरू हुआ है। ‘वी-आर-सॉरी’ यानी हम ‘माफी चाहते हैं’ या ‘हम शर्मिंदा हैं,’ नाम से शुरू हुआ यह आंदोलन दुनिया का पहला ऐसा आंदोलन है जिसमें ऊंची जाति के माने जाने वाले मधेशी जाति के समुदाय के लोग वंचित समुदाय के लोगों से माफी मांग रहे हैं। इस आंदोलन की टैग लाइन है-राजनीतिक और सामाजिक सुधार साथ-साथ चलने चाहिए। इस पंचलाइन के विस्तार में जाएं तो लिखा है कि अगर वाकई में हम बदलाव चाहते हैं तो राजनीतिक सुधार और सामाजिक सुधार साथ-साथ कदमताल करने चाहिए।

दलितों और मुसलमानों पर लंबे समय से किए गए अत्याचारों के लिए मधेसी समुदाय के लोग उनसे माफी मांग रहे हैं। एक महीना पहले शुरू हुआ यह आंदोलन सोशल मीडिया में चर्चा में है। कुछ समाजसेवी संगठनों और व्यक्तिगत तौर पर काम करने वाले समाजसेवियों ने इस आंदोलन को शुरू किया है। फेसबुक में एक पेज बनाया गया है। इस पेज में जिसे भी इस आंदोलन का हिस्सा बनना है, उसे केवल उस पेज को लाइक करना है। फिर अपने फेसबुक में एक माफीनामा पोस्ट करना है। यह माफीनाम है दलितों, मुसलमानों और महिलाओं पर हुए अत्याचार के लिए। इस माफीनामें में कहा गया है कि हम माफी चाहते हैं, कि हमारे पुरखों ने आपसे भेदभाव किया, हम माफी चाहते हैं उन सभी चीजों के लिए जिनकी वजह से दलितों और मुसलमानों को सताया गया। इस आंदोलन से जुड़े लोग दलितों के घर जाकर उनके साथ सामूहिक भोजन कर उनके साथ एकजुटता दिखा रहे हैं। हालांकि इस आंदोलन को कुछ लोग सामाजिक सुधार की तरफ एक बड़ा कदम मान रहे हैं तो कुछ लोग लोकप्रियता पाने के शार्टकट रास्ते के तौर पर इसे देख रहे हैं। इस आंदोलन की अगुवाई मुख्य रूप से नेपाल के मशहूर समाजसेवी कार्यकर्ता प्रशांत झा, दीपेंद्र झा, तुलानारायण झा और राकेश मिश्रा कर रहे हैं।