सुनील वर्मा
सीबीआई, प्रर्वतन निदेशालय और वित्त मंत्रालय इन दिनों बेहद व्यस्त हैं। यहां तैनात हर छोटा बड़ा अधिकारी हैरान और परेशान है। मामला देश के डायमंड किंग कहे जाने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उनके साझेदार और उनसे जुड़ी कंपनियों की बैंकों से मिलीभगत कर हुई लूट से जुड़ा है। इस घोटाले ने देश की समूची बैंकिंग व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अब तक प्रकाश में आ चुकी 11,400 करोड़ रुपये की इतनी बड़ी धोखाधड़ी एक ऐसे अनोखे तरीके से हुई, जिसे नियम और कायदों में सुराग तलाशकर बैंक के ही कर्मचारियों-अधिकारियों की मिलीभगम से अंजाम दिया गया। सीबीआई और ईडी अब तक इस घोटाले की जांच से इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि बैंकिग प्रणाली में कुछ ऐसी खामियां थीं जिनका फायदा उठाकर पंजाब नेशनल बैंक व कुछ अन्य बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लूट लिए गए। सीबीआई को शक है कि ये घोटाला पीएनबी तक ही सीमित नहीं है। देश के ज्यादातर सरकारी और गैर सरकारी बैंकों में इस तरह का खेल चल रहा है और बैंकों की डूबी रकम का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।
सीबीआई को कैसे मिली जानकारी
देश का ये सबसे बड़ा बैंकिग घोटाला यूं तो कई वर्षों से चल रहा था, लेकिन सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई को इसकी जानकारी 29 जनवरी 2018 को मिली। नारीमन प्वांइट, मुंबई स्थित पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय में डिप्टी जनरल मैनेजर (डीजीएम) अवनीश नेपालिया ने पहला गोपनीय शिकायती पत्र सीबीआई दफ्तर को सौंपकर जानकारी दी कि पंजाब नेशनल बैंक की मिड कॉरपोरेट ब्रेडी हाउस ब्रांच से देश के दो बड़े हीरा कारोबारियों नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने बैंक के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से जालसाजी करके अपनी कंपनियों के फेवर में लेटर आॅफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करा लिए। पीएनबी और उससे जुड़े सहयोगी बैंकों ने इन कारोबारियों के लेनदारों को भुगतान कर दिया। लेकिन बाद में तय अवधि बीत जाने पर भी इन कारोबारियों ने इस रकम का भुगतान बैंक को नहीं किया।
मामला गंभीर था और चौंकाने वाला भी। इसलिए बैंकिंग सिक्योरिटी एंड फ्रॉड सेल की एसपी शारदा राउत ने इस शिकायत पर तत्काल सीबीआई मुख्यालय में उच्च अधिकारियों से राय मशवरा लिया। सीबीआई मुख्यालय ने भी आर्थिक घपले की गंध पाकर वित्त मंत्रालय को इस शिकायत से अवगत कराते हुए आवश्यक दिशा निर्देश हासिल किए। चूंकि शिकायत ऐसी थी जिससे पूरी बैंकिंग व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े हो रहे थे। लिहाजा वित्त मंत्रालय ने इस शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसी के आधार पर सीबीआई ने 31 जनवरी को मुंबई के हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उसके भाई निशाल मोदी, नीरव मोदी की पत्नी एमी मोदी, उनके पार्टनर दूसरे हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी, ये सभी जिन कंपनियों मेसर्स डायमंड आर यूएस, मेसर्स सोलार एक्सपोर्ट, मेसर्स स्टैलर डाइमंड में पार्टनर हैं, उनके खिलाफ भी धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कर लिया। इनके अलावा अपने पद का दुरुपयोग करने वाले मुंबई के पीएनबी की बोरीवली वेस्ट ब्रांच से सेवानिवृत्त हुए डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी और पीएनबी की अहमदनगर ब्रांच के सिंगलविंडो आॅपरेटर मनोज खरात व कुछ अज्ञात लोगों को भी इस एफआईआर में नामजद किया गया। पीएनबी की शरुआती शिकायत में स्पष्ट किया गया था कि आरोपियों और बैंक के स्टाफ की मिलीभगत से बैंक को 280 करोड़ 70 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने 1 फरवरी से पीएनबी घोटाले की थाह पाने के लिए देशभर में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के रिहायशी और व्यावसायिक ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। सीबीआई ने जैसे ही मामला दर्ज किया उसके फौरन बाद प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) भी हरकत में आ गया। ईडी ने भी सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाकर एक मामला दर्ज कर लिया और यह पता लगाने में जुट गया कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग कानून का दुरुपयोग हुआ या नहीं। इसी की तलाश में ईडी ने मुंबई से लेकर दिल्ली कोलकाता, चेन्नई, चंडीगढ़ और तमाम शहरों में आरोपियों की संपत्ति और व्यावसायिक ठिकानों की सीलबंदी कर उन्हें जब्त करना शुरू कर दिया।
दूसरी एफआईआर के बाद मचा हड़कंप
सीबीआई और ईडी पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी परिवार मेहुल चौकसी और उनकी कंपनियों की जांच पड़ताल में माथापच्ची की तह तक जाने की कवायद में ही जुटी थी कि तब तक 13 और 16 फरवरी को पीएनबी के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय के डीजीएम अवनीश नेपालिया की तरफ से सीबीआई को एक दूसरी शिकायत दी गई। इस शिकायत के मिलते ही सीबीआई और ईडी दोनों के अधिकारी सकते में आ गए। अब तक जिसे महज 280 करोड़ के बैंकिग फ्रॉड का मामला समझा जा रहा था, दूसरी शिकायत में वह बढ़कर 11,400 करोड़ रुपये के नुकसान का हो गया। ये बात खुद पंजाब नेशनल बैंक अधिकृत तौर से कबूल कर चुका था। दूसरी शिकायत के बाद सीबीआई ने एक दूसरी एफआईआर दर्ज कर ली। नई एफआईआर में मेहुल चौकसी के हीरे के कारोबार से जुड़ी तीन कंपनियों के अलावा मेसर्स गीतांजलि जैम्स लि., गिल इंडिया और नक्षत्र कंपनी के डाइरेक्टर श्री कृषनन, नजूरा यश अजने, दिनेश गोपाल दास भाटिया, अन्यथ शिवरामन, धनेश वृजलाल सेठ, श्रीमती ज्योति भारत वोरा, अनिल उमेश हल्दीपुर, चन्द्रकांत कानू करकरे, पंखुरी अभिजीत वारांगे और मिहर भास्कर जोशी को नामजद किया गया था।
नई एफआईआर दर्ज होने के बाद पीएनबी में एलओयू जारी करने के नाम पर हुआ फ्रॉड सुर्खियों में आ गया। ईडी और सीबीआई ही नहीं, पूरा वित्त मंत्रालय और केंद्र सरकार का पूरा तंत्र सक्रिय हो उठा। नीरव मोदी, उनके परिवार और मेहुल चौकसी को पकड़ने के लिए जांच एजेंसी ने सक्रियता बढ़ाई तो पता चला कि धोखाधड़ी करने का आरोपी नीरव मोदी पिछले साल 6 नवंबर 2017 को ही अपना स्टेटस बदलकर एनआरआई बन गया था। हालांकि पीएनबी की ओर से जारी एलओयू में नीरव मोदी को उधार लेने वाली कंपनियों का भारतीय प्रमोटर बताया गया था। लेकिन नीरव मोदी की कंपनी एएनएम एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के शेयर धारकों को दिए गए दस्तावेजों में यह बात दर्ज पाई गई कि नीरव मोदी एक एनआरआई है। रजिस्ट्रार आॅफ कम्पनीज के दस्तावेजों को खंगाला गया तो नीरव मोदी के एनआरआई होने की पुष्टि हो गई।
नीरव मोदी एएनएम एंटरप्राइजेज नाम की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मालिक है, जिसमें दर्ज दस्तावेजों में उसका पता दुबई में- फ्लैट नंबर 2202, अल शेरा टावर्स, जुमिराह लेक दिखाया गया है। ये सारे दस्तावेज 06 नवंबर, 2017 के हैं। मेहुल चौकसी नीरव मोदी का मामा है। इस पूरे घोटाले में वह भी बराबर का भागीदार है।
सीबीआई और ईडी की छानबीन में ये बात सामने आ चुकी है कि घोटाले के खुलासे से पहले ही नीरव मोदी 1 जनवरी को देश छोड़कर दुबई चला गया था। दुबई में कुछ समय गुजारने के बाद वहां से स्विट्जरलैंड निकल गया। माना जा रहा है कि इस वक्त स्विट्जरलैंड में हो सकता है और नीरव मोदी की पत्नी एमी पिछले 6 जनवरी को भारत से ज्यूरिख चली गई थी। उसके पास अमेरिका की नागरिकता है। इधर, नीरव मोदी का भाई निशाल मोदी भी 4 जनवरी को ही भारत छोड़कर चला गया। उसके पास बेल्जियम की नागरिकता है। जांच एजेंसी को उसके ब्रसेल्स में होने की जानकारी मिली है। इधर, नीरव के बिजनेस पार्टनर और रिश्ते में मामा मेहुल चौकसी के बारे में यह पुष्ट हो चुका है कि वह भी पिछले 4 जनवरी को ही दुबई निकल गया था। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि नीरव मोदी और चौकसी परिवार घोटाले के उजागर होने से पहले ही जिस तरह से विदेश भाग गया उससे साफ है कि उन्हें घोटाले के खुलासे की भनक लग चुकी थी और बैंक के कथित आरोपी अधिकारियों ने उन्हें चौकस कर दिया था।
बहरहाल, सीबीआई ने नीरव मोदी, उसकी पत्नी, भाई और पार्टनर मेहुल चौकसी के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही नीरव का पासपोर्ट भी एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है और उसके घर पर नोटिस चस्पा कर दिया है। अगर तय अवधि में नीरव मोदी अपने पासपोर्ट को सस्पेंड नहीं करने का कारण नहीं बताता है तो स्थायी रूप से पासपोर्ट रद्द हो जाएगा। सीबीआई प्रवक्ता का कहना है कि अभी ये नहीं कहा जा सकता कि नीरव मोदी और बाकी आरोपी कहां हैं लेकिन भारत की अमेरिका, बेल्जियम, हांगकांग और स्विट्जरलैंड आदि देशों से प्रत्यर्पण संधि है। इसलिए इस संधि के अनुसार उसे भारत लाए जाने की कोशिश की जाएगी।
सरकारी तंत्र की चौतरफा घेराबंदी
सीबीआई के बाद ईडी ने भी मनी लांड्रिंग निरोधक अधिनिमय (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी अब तक 17 जगहों पर छापेमारी कर आरोपियों से जुड़ी कुछ संपत्तियों के अलावा 5,100 करोड़ रुपये के आभूषण, सोना, हीरे, बहुमूल्य धातु और रत्न जब्त किए, जिनका स्वतंत्र मूल्यांकन किया जा रहा है। ईडी अधिकारियों की ओर से नीरव मोदी का घर, फार्म हाउस, एक दर्जन लक्जरी कारें, डिजाइनर आभूषणों की दुकानें, आॅफिस, गुजरात, दिल्ली अहमदाबाद और मुंबई के हर व्यावसायिक ठिकानों को सील और जब्त करने की कार्रवाई चल रही है। सीबीआई व ईडी के अनुरोध पर विदेश मंत्रालय ने नीरव मोदी और उसके कारोबारी साझेदार मेहुल चौकसी का पासपोर्ट तत्काल प्रभाव से चार सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया है। पीएनबी की ब्रेडी हाउस ब्रांच को भी सीबीआई ने सील कर दिया है जहां से फर्जीवाड़े का सारा खेल हुआ।
उधर, सीबीआई ने घोटाले में नीरव मोदी के बाद दूसरी सबसे बड़ी कड़ी पीएनबी के रिटायर डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी को 17 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया। उसने दूसरे कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी लेटर आॅफ अंडरटेकिंग जारी कर नीरव मोदी को फायदा पहुंचाया था। उसके अलावा पीएनबी के सिंगल विंडो आॅपरेटर मनोज खरात और नीरव मोदी के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हेमंत भट्ट को भी गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए 14 दिन की हिरासत में लिया गया है। सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल का कहना है कि इन आरोपियों से पूछताछ में घोटाले के बारें में अहम जानकारी मिल रही है। शेट्टी ने जांच एजेंसी को बताया है कि वह फर्जी एलओयू के लिए लेवल-5 पासवर्ड का अनधिकृत रूप से उपयोग करता था।
इसी के जरिये स्विफ्ट सॉफ्टवेयर का उपयोग कर वह नीरव व मेहुल की कंपनियों को फर्जी एलओयू जारी करने की सूचना विदेशों में स्थित अन्य बैंकों को दे देता था। यह संदेश सेवा है, जिससे पूरी दुनिया में बैंकों को लाखों संदेश रोजाना भेजे जाते हैं। इसके आधार पर ही विदेशों में कई बैंकों ने नीरव व मेहुल की कंपनियों को 11,400 करोड़ रुपये (1.77 अरब डॉलर) का भुगतान कर दिया, जबकि पीएनबी को इसके एवज में गारंटी के तौर पर कोई नकद राशि चुकाई ही नहीं गई।
सीबीआई ने शेट्टी से पूछताछ के बाद ही पीएनबी के फॉरेक्स विभाग में तत्कालीन मुख्य प्रबंधक रहे बेचू तिवारी, फॉरेक्स विभाग में स्केल द्वितीय मैनेजर यशवंत जोशी और निर्यात खंड संभालने वाले स्केल प्रथम अधिकारी प्रफुल सावंत को भी गिरफ्तार किया है। इसी कड़ी में नीरव मोदी की फाइव स्टार डायमंड कंपनी के अध्यक्ष (वित्त) विपुल अंबानी को भी सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। विपुल अंबानी देश के शीर्ष उद्योगपति रहे स्व. धीरूभाई अंबानी के छोटे भाई नटुभाई अंबानी के बेटे हैं। विपुल अंबानी को जांच एजेंसी ने पहली एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया। उनके अलावा फायरस्टार की आॅथराइज्ड सिग्नेटरी कविता मनिकर, नक्षत्र और गीतांजलि ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल आॅफिसर कपिल खंडेलवार, फायरस्टार के एक सीनियर एग्जीक्यूटिव अर्जुन पाटिल और गीतांजलि ग्रुप के नितेन शाही व पीएनबी के जनरल मैनेजर राजेश जिंदल को भी मुंबई से गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई के मुताबिक जिंदल 2009 से 2011 के बीच मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच के हेड थे। उसी वक्त से नीरव मोदी की कंपनी को एलओयू जारी करने का सिलसिला शुरू हुआ था। सीबीआई प्रवक्ता दयाल के मुताबिक जांच एजेंसी पीएनबी और मोदी व चौकसी की कंपनियों में काम करने वाले दर्जनों अधिकारियों से घोटाले के संदेह में पूछताछ कर रही है। जरूरत पड़ने पर उनकी भी गिरफ्तारी होगी।
मोदी, चोकसी और उनकी कंपनियों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्रवाई लगातार जारी है। उधर, आयकर विभाग ने भी मुंबई में एक विशेष अदालत के समक्ष मोदी के खिलाफ आयकर कानून की धारा 276 सी (1) (जानबूझकर कर चोरी, 277 ए (सत्यापन में गलत बयान) 278 बी (कंपनियों द्वारा अपराध) और 278-ई के तहत मामला दर्ज किया है। टैक्स चोरी जांच के सिलसिले में अस्थायी रूप से नीरव मोदी और उसके परिवार की 29 संपत्तियां और 105 बैंक खातों को कुर्क कर लिया गया है। आयकर विभाग ने कर चोरी की जांच के सिलसिले में गीतांजलि जेम्स, इसके प्रमोटर मेहुल चौकसी और अन्य के 9 बैंक खातों को भी सील कर उनसे लेन-देन पर रोक लगा दी है। उधर, ईडी और सीबीआई को जांच और छापेमारी में सुराग मिले हैं कि एलओयू हासिल करने के लिए नीरव मोदी ने मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया था। अब तक करीब 120 मुखौटा कंपनियों का पता लगाया जा चुका है और करीब 80 कंपिनयों की छानबीन चल रही है।
सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल बताते हैं कि साजिश में शामिल बैंक के स्टाफ और साजिश में शामिल लोगों ने स्विफ्ट या सोसाइटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्युनिकेशन का नाजायज फायदा उठाया। दरअसल ये इंटर-बैंकिंग मैसेजिंग सिस्टम है जो विदेशी बैंक पैसा जारी करने से पहले लोन के ब्योरे का पता लगाने के लिए करते हैं। बैंक के आरोपी कर्मचारियों ने अपने वरिष्ठों से बिना कोई इजाजत लिए गारंटी को हरी झंडी दिखाने के लिए स्विफ्ट तक अपनी पहुंच का फायदा उठाया। इस कारण भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को कोई शक नहीं हुआ और उन्होंने नीरव मोदी की कंपनियों को फॉरेक्स क्रेडिट जारी कर दिए।
ऐसे होता रहा घोटाला
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि पीएनबी के फॉरेक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में पिछले लगभग 10 साल से बना हुआ था। बैंकिंग नियमों के तहत एक कर्मचारी या ब्रांच मैनेजर को 3 साल से अधिक इसलिए नहीं दिया जाता है ताकि उसके संबंध कस्टमर से ऐसे न हो जाए कि गड़बड़ी की गुंजाइश बनने लगे। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। सीबीआई की जानकारी में आया है कि गोकुलनाथ शेट्टी समेत पीएनबी बैंक के कई वरिष्ठ अधिकारियों से करीबी रिश्ते थे। मोदी परिवार आयात के लिए एलओयू जारी कराने की एवज में इन अधिकारियों को कीमती तोहफे और ज्वैलरी के साथ शराब और शबाब की दावतें भी पेश करता था। इस कारण कई सालों से चला आ रहा एलओयू जारी करने का खेल निर्बाध रूप से चलता रहा।
सीबीआई की पहली एफआईआर में 150 एलओयू और दूसरी एफआईआर में 143 एसओयू और 224 फॉरेन लेटर आॅफ क्रेडिट शामिल हैं। इन्हीं तमाम एलओयू के जरिये 11,400 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की कहानी सामने आ रही है। जांच अभी जारी है लिहाजा उम्मीद है कि आने वाले दिनों में घोटाले की साजिश में शामिल आरोपियों की संख्या और घोटाले की रकम दोनों में बढ़ोतरी हो सकती है।