ओपिनियन पोस्ट
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा दिल्ली का फार्म हाऊस अटैच किया। वीरभद्र के बेटे की कंपनी मैपल के नाम पर खरीदा गया यह फार्म हाऊस लगभग 6 करोड रुपये मूल्य का है जो महरौली इलाके में है। आरोप है कि इस फार्म हाऊस को खरीदने में काले धन का इस्तेमाल किया गया है।
फार्म हाऊस की कीमत कागजों में एक करोड बीस लाख रूपये बताई गई थी जबकि 5 करोड 41 लाख रूपये नगद दिए गए थे। ईडी, मनी लांड्रिग एक्ट के तहत जांच कर रहा है। सीबीआई ने पिछले सप्ताह वीरभद्र समेत नौ लोगो के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
मामले में वीरभद्र सिंह के अलावा, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर सिंह घालटा, प्रेम राज, लावन कुमार रोच, वकामुल्लाह चंद्रशेखर और राम प्रकाश भाटिया के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया है। अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने आरोपों के समर्थन में 220 गवाहों का हवाला दिया है। जांच एजेंसी ने दावा किया था कि मामले की जांच पूरी कर ली गई है। सीबीआई ने 23 सितंबर, 2016 को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एजेंट आनंद चौहान और एक सहयोगी चुन्नीलाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
यह मामला प्राथमिक जांच के बाद दर्ज किया गया, जिसमें पाया गया था कि वीरभद्र सिंह ने 2009 से 2012 के बीच बतौर केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकाल में 6.03 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जमा की थी, जो उनकी ज्ञात आय से अधिक थी।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव दस्तक दे रहे हैं, ऐसे में उससे पहले हो रही इस कार्रवाई से सीएम वीरभद्र सिंह और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले शुक्रवार को भी सीएम वीरभद्र सिंह को दिल्‍ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा था। उनकी ओर से दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वीरभद्र सिंह ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह सीबीआई की ओर से उनके खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करने के आदेश दें। उनका कहना था कि सीबीआई गलत मंशा के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उनका कहना था कि जांच एजेंसी ने किसी भी अदालत से हिमाचल जाकर ऐसी कार्रवाई की अनुमति नहीं ली। साथ ही हिमाचल सरकार से कोई बात की गई।
वहीं, सीबीआई का कहना था कि हिमाचल सरकार उनके साथ इस मामले में सहयोग नहीं कर रही। गौरतलब है कि सीएम वीरभद्र पर दर्ज किया गया यह मुकदमा उस समय का है जब वह यूपीए की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से ये संपति जुटाई है।