श्रीकांत सिंह।

बिहार के नक्‍शेकदम पर उत्‍तर प्रदेश के चुनाव में भी महागठबंधन का चक्रव्‍यूह रचा जा रहा है। उसके लिए समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के उन अनुभवी गणितज्ञों का सहारा लिया है, जिन्‍हें सारा पहाड़ा (टेबल) मुहजबानी बर्काबर्क याद है। इसी सिलसिले में कांग्रेस और आरएलडी के नेताओं के बीच अति महत्वपूर्ण बैठक चल रही है।

बैठक का विषय यूपी विधानसभा चुनावों में महागठबंधन और सीटों का बंटवारा ही है, लेकिन मोल भाव के कारण पहाड़ा बेअसर साबित हो रहा है, क्‍योंकि कांग्रेस 100 सीटों की मांग कर रही है जबकि सपा ऐसा नहीं करना चाहती। इसके अलावा कांग्रेस उपमुख्‍यमंत्री का पद भी मांग रही है,  जिस पर सपा तैयार नहीं है।

इससे पहले गठबंधन पर सपा ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा था, हम केवल कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगे। ताजा घटनाक्रम के बाद लग रहा है कि कांग्रेस बिहार की तरह ही यूपी में भी महागठबंधन को लेकर चलने का प्रयास कर रही है। हालांकि समाजवादी पार्टी को डर है कि अगर आरएलडी गठबंधन में आती है तो उसका मुस्लिम वोट छिटक सकता है।

सपा के वरिष्ठ नेता किरनमय नंदा ने कहा था, ‘गठबंधन की खातिर सिर्फ कांग्रेस से बातचीत चल रही है। आरएलडी से कोई बात नहीं हो रही है। आरजेडी,  ममता और जेडीयू केवल सपा को सपोर्ट करेंगे और चुनाव प्रचार में भाग लेंगे। हम इनके साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेंगे। हम सिर्फ 2017 को ध्यान में रख चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हमारी नजर 2019 के चुनावों पर भी है। कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा 2012 के चुनाव परिणाम के आधार पर होगा।’

यूपी में अगर महागठबंधन हुआ तो पेच सीटों के बंटवारे पर ही फंसेगा। सपा पहले ही साफ कर चुकी है कि वह 300 सीटें अपने पास रखेगी। ऐसे में कांग्रेस को अपने हिस्से से ही सीटें अन्य घटक दलों को देनी होंगी। कांग्रेस ने अपने लिए 100 सीटें मांगी थी। अब देखना होगा कि ताजा घटनाक्रम के बाद किसे कितनी सीटें मिलती हैं।

आरएलडी की पकड़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिलवक्त निम्न स्तर पर है। 2002 के विधानसभा चुनावों में आरएलडी ने 38 उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से 14 को जीत मिली थी जबकि 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

2007 के चुनावों में आरएलडी ने 254 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे सिर्फ 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। खास बात यह थी कि 222 सीटों पर आरएलडी के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। 2007 के चुनावों में आरएलडी का वोट 3.70% था।

2007 के चुनावों में मिली करारी हार से सीख ले आरएलडी ने 2012 के चुनावों में महज 46 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे। इस बार भी परिणाम आरएलडी की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा और उसे सिर्फ 9 सीटों से संतोष करना पड़ा। चुनावों में उसके 20 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। 2012 के चुनावों में आरएलडी का वोट प्रतिशत घटकर 2.33% ही रह गया।