उत्तर प्रदेश के सीएम को लेकर हो रही कयासबाजियां अब आखिरी दौर में हैं। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त अब छोटी होती जा रही है। आखिरी दौर में शामिल केशव प्रसाद मौर्या, योगी आदित्यनाथ और मनोज सिन्हा के नाम में से मौर्या अब रेस से बाहर होते दिख रहे हैं। एक वेबसाइट के अनुसार मौर्या ने खुद कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें यूपी के नए सीएम को चुनने की जिम्मेदारी दी है। इसका साफ मतलब यह निकाला जा रहा है कि वह इस दावेदारी से बाहर आ चुके हैं। आज उन्हें बीपी बढ़ने की वजह से दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती भी कराया गया। सबसे प्रबल दावेदार बताए जा रहे राजनाथ सिंह पहले ही उत्तर प्रदेश जाने से मना कर चुके हैं। ऐसे में अब आखिर में दो ही नाम बचे हैं, वह है गोरखपुर के फायरब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय राज्यमंत्री मनोज सिन्हा।
कार्यकर्ताओं का ज्यादा दबाव और ज्यादातर विधायकों की पसंद योगी आदित्यनाथ हैं, जबकि प्रदेश भाजपा संगठन के नेता मनोज सिन्हा के पक्ष में हैं। राजनाथ सिंह की पसंद भी मनोज सिन्हा बताए जाते हैं। योगी के लिए प्रदेश भर में कार्यकर्ता हवन यज्ञ और प्रार्थनाएं कर रहे हैं। संघ का भी एक बड़ा तबका योगी के पक्ष में हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव में सबसे ज्यादा रैलियां और सभाएं भी योगी ने की थी। उनके समर्थक तर्क दे रहे हैं कि योगी ही ऐसे सीएम हो सकते हैं जो ब्यूरोक्रेसी, विकास और हिंदुत्व की अपेक्षाओं को एक साथ साध सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर योगी को किसी कारणवश मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो उन्हें अगले महीने होनेवाले मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्र में लिया जाएगा। सोशल मीडिया पर भी उनके समर्थक सबसे ज्यादा अभियान चला रहे हैं। इसके तहत कई लोगों ने अपनी प्रोफाइल में योगी की तस्वीर लगा ली है। कई समर्थक उनकी तस्वीरों के साथ नारे दे रहे हैं कि सिंहासन खाली करो कि योगी आते हैं। एक भाजपा विधायक ने ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में कहा कि लोकप्रियता और जनआकांक्षाओँ के लिहाज से योगी सबसे बेहतर सीएम साबित होंगे। देखना यह होगा कि एक दो दिन में भाजपा हाईकमान किसके नाम पर मुहर लगाता है।