वर्ष 2002 में परिसीमन के बाद मोतिहारी लोकसभा पूर्वी चम्पारण लोकसभा के नाम से जाना जाता है. 1989 मे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राधामोहन सिंह को भाजपा ने चुनावी समर में उतारा. उन्हें जीत भी हासिल हुई, लेकिन 1991 में सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने पुन: अपनी खोयी हुई सीट पर जीत हासिल की. तब दो विचारधाराओं की लड़ाई हो रही थी. वामपंथी विचारधारा का नेतृत्व मधुकर कर रहे थे दूसरी तरफ दक्षिणपंथी विचारधारा की माने जाने वाली पार्टी के नायक राधामोहन सिंह थे. 1996 का चुनाव आते आते न केवल मोतिहारी बल्कि पूरे सुबे में वामपंथ का क्रान्तिकारी स्वर धीमा होने लगा था. राधामोहन सिंह पुन: विजयी हुए. 1998 मे लालू यादव का करिश्मा बिहार मे सर चढक़र बोल रहा था. राजद ने रमा देवी को अपना प्रत्याशी बनाया. राधामोहन सिंह पराजित हो गए. लेकिन 1999 में पूरे देश में हालात फिर बदले. अटल लहर पूरे देश में छा गया था. उस मध्यावधि चुनाव में राधामोहन सिंह पुन: विजयी हुए. 2004 में राजद के प्रत्याशी अखिलेश प्रसाद सिंह चुनाव जीते. लेकिन फिर बदलाव का बयार बहा और 2009 के लोकसभा चुनाव में राधामोहन सिंह सांसद बने और तब से अब तक लगातार मतदाताओं का प्यार उन्हें मिलता रहा. 2014 के चुनावी जीत के बाद केंद्र में उन्हें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बनाया गया.
2019 के इस लोकसभा चुनाव में एनडीए ने पुन: उन पर अपना भरोसा जताते हुए उन्हें नौवीं बार अपना प्रत्याशी बनाया है. महागठबंधन के रालोसपा ने युवा प्रत्याशी आकाश कुमार सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा है. आकाश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं. सीपीआई ने पूर्वी चम्पारण फुटबॉल संघ के सचिव और प्रदेश के नामचीन खिलाड़ी प्रभाकर जायसवाल पर अपना भरोसा जताया है. यहां 12 मई को चुनाव होना है. अभी और भी लड़ाकों के चुनावी अखाड़े में आने की संभावना है.
पूर्वी चम्पारण लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत छह विधानसभा की सीटें हैं. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में मोतिहारी सदर, कल्याणपुर और पिपरा पर भाजपा और गोविंदगंज सीट पर लोजपा को जीत मिली थी. हरसिद्धि और केसरिया सीट पर राजद ने कब्जा जमाया था. इस लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के चुनावी समीकरणों के अलावे राधामोहन और आकाश के जातीय आधार भी हैं. आकाश को उनके अनुभवी पिता का सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त है. आकाश की शिक्षा भी बहुत ऊंची है. दूसरी तरफ छात्र जीवन से ही संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से सक्रिय रूप से जुड़े रहे भाजपा के दिग्गज नेता राधामोहन सिंह च्जात नहीं जमातज् की राजनीति का नारा बुलंद करते रहे हैं और इसी कारण वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं. चुनाव में मुख्यत: चीनी मिल को पुन: चालू किये जाने के मुद्दे के साथ-साथ बाहरी भीतरी का मुद्दा भी उठना शुरू हो गया है. वैसे राष्ट्रीय मुद्दे तो सबसे पहले हैं. आरोप प्रत्यारोप का दौर मंचों पर शुरू हो चुका है. चौपालों पर जनता के नब्ज टटोले जा रहे हैं. मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं. जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जाएगी वैसे-वैसे मतदाताओं के स्वर मुखर होते जाएंगेे.