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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस समय संकट में घिरी हुर्इ लग रही है। पहले शिवसेना का सरकार से हटना उसके बाद राजस्थान, मध्‍य प्रदेश में उपचुनाव हारना और एक दिन पहले यूपी बिहार के उपचुनाव में उसकी करारी हार के जख्‍म ताजे ही थे कि लंबे समय से बीजेपी से नाराज चल रही चन्‍द्रबाबू नायडु की टीडीपी ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही, अभी हाल ही में टीडीपी का सरकार से बाहर होने के बाद आंध्र प्रदेश की ही दूसरी पार्टी वार्इएसआर कांग्रेस ने भी सियासी चाल चल दी है। दक्षिण भारत की राजनीति में अपनी धमक रखने वाली वार्इएसआर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया है। वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वाईवी सुब्बारेड्डी ने लोकसभा महासचिव को नोटिस देकर 19 मार्च की कार्यसूची में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव शामिल करने का अनुरोध किया है। कांग्रेस ने इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव को अपना सर्मथन देने का ऐलान कर दिया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने इसकी घोषणा की है।

इस मुद्दे पर हाल ही में सरकार से अलग हुई टीडीपी वाईएसआर कांग्रेस के साथ है। अब सबकी निगाहें कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य दलों के रुख पर है। अगर इस प्रस्ताव को जरूरी 50 सांसदों का साथ मिला, तो सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन जुटाने के लिए वाईएसआर कांग्रेस ने कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन इस कवायद में ममता बनर्जी ने उसके कदम का स्‍वागत करते हुए सभी विपक्षी दलों से एकजुट होंने की अपील की है।

इस क्रम में पार्टी सांसदों ने बृहस्पतिवार को अन्य विपक्षी दलों के नेताओं अपने पार्टी अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी का पत्र सौंपा। इस पत्र में आंध्रप्रदेश के खिलाफ कथित अन्याय पर साथ देने की अपील करते हुए कहा गया है कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो पार्टी के सांसद सत्र के अंतिम दिन संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे।

अविश्वास प्रस्ताव पेश करने और उसे स्वीकार करने के लिए लोकसभा के कम से कम 50 सदस्यों का हस्ताक्षर जरूरी होता है। खुद वाईएसआर कांग्रेस के पास नौ लोकसभा सदस्य हैं। अगर टीडीपी भी इसमें शामिल हो जाए, तो उसके 16 सदस्यों के साथ कुल संख्या 25 की हो जायेगी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक जैसे बड़े विपक्षी दलों को अहसास है कि आंध्र की अंदरूनी राजनीति में उलझना उनके लिए फायदेमंद नहीं है। लेकिन बड़ी लडाई के लिए ये पार्टियां उनका साथ दे सकती है। दूसरी ओर बीजेपी नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी और अनंत कुमार ने कहा है हक सरकार को कोई खतरा नहीं चुनाव से पहले इस तरह संसद में ऐसे घटनाक्रम होते रहते हैं।

मोदी कैबिनेट से अपने दो मंत्रियों को वापस बुलाने के बाद टीडीपी एनडीए से अलग हो सकती है। टीडीपी ने आज अहम बैठक बुलायी है, जिसमें एनडीए से अलग होने पर फैसला लिया जा सकता है। आगे की रणनीति तय करने के लिए टीडीपी ने सदन की कार्यवाही से पहले पोलितब्यूरो की मीटिंग भी बुलाई है। गौरतलब है कि विवाद इसलिए है क्योंकि टीडीपी पिछले चार सालों से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है। यह मांग नए राज्य के निर्माण के साथ ही शुरू हो गई थी लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया था।