मुंबई। खस्ता वित्तीय स्थिति से जूझ रही टाटा स्टील ने अपनी ब्रिटिश इकाई को बेचने का फैसला किया है। इस बारे में मंगलवार को हुई मैराथन बैठक के बाद बुधवार को कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि वह ब्रिटेन के स्टील कारोबार की आंशिक या पूर्ण बिक्री कर सकती है। इससे ब्रिटेन के संयंत्रों के कर्मचारी भी प्रभावित होंगे। इनमें रॉदरहेम, कॉर्बी और शॉटॉन के संयंत्र शामिल हैं।

टाटा स्टील ने 2007 में एंग्लो डच स्टील कंपनी कोरस के अधिग्रहण के जरिये ब्रिटेन के बाजार में अपनी दस्तक दी थी और वहां की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बन गई थी। उसके बाद से ही वैश्विक बाजार की स्थित कंपनी के लिए अनुुकूल नहीं रही। बयान में कहा गया है कि लंबे वक्त से कमजोर हालात के बाद हाल के महीनों में ब्रिटिश इकाई को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। इस नुकसान के लिए ऊंची निर्माण लागत, कमजोर स्थानीय बाजार और यूरोप में चीन जैसे देशों से आयात में हुई बढ़ोतरी जैसे कारण जिम्‍मेदार हैं। कंपनी ने कहा कि ब्रिटिश इकाई को बेचने के मुद्दे पर वह ब्रिटिश सरकार और इन्वेस्टमेंट कंपनी ग्रेबुल कैपिटल से काफी वक्‍त से संपर्क में है। टाटा की ब्रिटिश इकाई लॉन्ग प्रोडक्ट्स बनाती है जिनका इस्तेमाल निर्माण क्षेत्र में होता है।

गौरतलब है कि यूरोप में टाटा स्टील में करीब 15000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। जनवरी में कंपनी ने 1,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की थी।

क्या है टाटा स्टील की हैसियत

  • पूरे यूरोप में टाटा स्टील दूसरी सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है।
  • साल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी का कुल राजस्व 1,35,278 करोड़ रुपये था।
  • पिछले साल कंपनी को कुल 3,955 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
  • टाटा स्टील में पूरी दुनिया में कुल 80 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं।
  • छह महाद्वीपों के कुल 100 देशों में कारोबार कर रहा है टाटा।
  • वर्तमान में करीब 150 देशों को निर्यात कर रहा है टाटा ग्रुप।
  • टाटा समूह का विदेश में कारोबार 73.4 बिलियन डॉलर का है इसमें 67.5 प्रतिशत कारोबार सिर्फ ब्रिटेन और अमेरिका में ही है।