मुंबई। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर अपने सहयोगी दल भाजपा की कड़ी आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा है कि भाजपा ने नैतिकता के नाम पर ‘लोकतंत्र का गला घोंट’ दिया है। इसके साथ ही शिवसेना ने चेतावनी भी दी है कि इससे देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में आरोप लगाया है कि भाजपा ने उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का इस्तेमाल किया। यदि हरीश रावत सरकार बहुमत खो चुकी थी तो फैसला विधानसभा में लिया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने तो सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त भी दिया था लेकिन उससे एक ही दिन पहले ही राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। भाजपा ने इससे क्या हासिल कर लिया? संपादकीय में कहा गया है कि हम कांग्रेस के भ्रष्ट कृत्यों के खिलाफ हैं लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आई सरकार को लोकतांत्रिक माध्यमों से ही हटाया जाना चाहिए। ज्यादा समय नहीं लगेगा जब इससे देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा हो जाएगी।

शिवसेना ने कहा, ‘हमें कांग्रेस के सत्ता से जाने की चिंता नहीं है। लेकिन जैसा कि विपक्षी दल कहते हैं, आपने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है? लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज का बहुत अधिक महत्व है। किसी एक पार्टी का शासन आपातकाल या तानाशाही से भी बुरा है। यदि विपक्ष को नष्ट कर दिया जाता है और सहयोगियों पर जहर फेंक दिया जाता है तो देश तबाह हो जाएगा।’ शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा गठबंधन राजनीतिक मजबूरियों का परिणाम है। यह अस्थायी है।

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने इस फैसले को ‘लोकतंत्र की हत्या’ और उस दिन को ‘काला’ दिन करार दिया था। इसी बीच, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी कर 31 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने का आदेश दियाहै। इसके साथ ही राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया मोड़ आ गया है।