अन्नाद्रमुक नेता जयललिता की मौत के बाद पार्टी में फूट पड़ने की जो आशंका राजनीतिक जानकार जता रहे थे वह अब सच साबित होती दिख रही है। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके ओ पन्नीरसेल्वम अब खुलकर पार्टी की अंतरिम महासचिव वीके शशिकला के विरोध में आ चुके हैं। मंगलवार को चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद बुधवार को पन्नीरसेल्वम ने दावा किया कि वे विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर देंगे। उन्हें पार्टी के 50 विधायकों का समर्थन है। इससे पहले मंगलवार को उन्होंने आरोप लगाया था कि शशिकला गुट ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए उनपर दबाव बनाया था। उनके इस बयान के बाद शशिकला ने उन्हें न सिर्फ कोषाध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया बल्कि पार्टी से भी निष्कासित कर दिया।

अन्नाद्रमुक के बढ़ते अंदरूनी संकट से शशिकला के सीएम बनने पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। साथ ही राज्यपाल विद्यासागर राव उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने से पहले कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं क्योंकि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द ही फैसला सुनाने वाला है। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाना ठीक रहेगा या नहीं। इस मामले में जयललिता के साथ शशिकला भी सह अभियुक्त हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग ने भी शशिकला के पार्टी महासचिव बनने पर आपत्ति जताई है। आयोग का कहना है कि उन्हें अंतरिम महासचिव बनाए जाते समय प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन नहीं किया गया। इस संबंध में अन्नाद्रमुक को नोटिस जारी कर संबंधित दस्तावेज सौंपने और दूसरे विवरण मांगें हैं।

मंगलवार देर रात शशिकला के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पन्नीरसेल्वम ने ये कह कर राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया कि अगर जनता चाहे तो वो इस्तीफा वापस ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि दो घंटे की बैठक में उन्हें सीएम पद छोड़ने पर मजबूर किया गया। इससे पहले दिन में विरोध जताते हुए वे जयललिता की समाधि पर बैठ गए। पन्नीसेल्वम से पहले अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और जयललिता के एक और भरोसेमंद पीएच पांडियन ने भी शशिकला को सीएम बनाने पर आपत्ति जताई थी और उन्हें अयोग्य बताया था।

जयललिता की समाधि पर ध्यानमग्न पन्नीरसेल्वम
जयललिता की समाधि पर ध्यानमग्न पन्नीरसेल्वम

बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पन्नीरसेल्वम ने कहा कि वे अभी कार्यवाहक सीएम हैं और विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर देंगे। उन्होंने शशिकला के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि उनकी बगावत के पीछे द्रमुक का हाथ है। अपना इस्तीफा वापस लेने का ऐलान करने के साथ ही उन्होंने कहा कि वह अम्मा (जयललिता) के दिखाए रास्ते पर चलते रहेंगे। पन्नीरसेल्वम ने कहा- “ऐसा कभी नहीं हुआ जब ऐसी एक भी घटना नहीं हुई जब मैंने पार्टी को धोखा दिया हो। फिर चाहे मैं सत्ता में रहा हूं या विपक्ष में। अगर दीपा (जयललिता की भतीजी) मेरी मदद का प्रस्ताव रखेंगी तो मैं इसे स्वीकार करूंगा। केंद्र सरकार तमिल लोगों के साथ है। जो भी तमिल लोगों को समर्थन देगा, हम उसे स्वीकार करेंगे।”

पन्नीरसेल्वम ने कहा कि जयललिता के निधन के बाद उनका मुख्य काम पार्टी और सरकार की छवि की रक्षा करना था जैसा कि दिवंगत मुख्यमंत्री छोड़कर गई थीं, लेकिन उनके प्रयासों को ‘ध्वस्त’ करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि बीते रविवार को उन्हें जयललिता के निवास पोएस गार्डन बुलाया गया जहां शशिकला रह रही हैं। आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक, मंत्री और उनके परिजन मौजूद थे।

उधर, अन्नाद्रमुक नेता और लोकसभा के डिप्टी स्पीकर एम थम्बीदुरई ने पन्नीरसेलवम के इस दावे को खारिज किया कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख शशिकला मुख्यमंत्री होंगी क्योंकि सभी विधायक उनके साथ हैं।