ऐप पर हैं हिन्दी के किस्से,कहानियां- रेणु अगाल

हिन्दी में जब से ‘ई’ शब्द ने प्रवेश किया है तब से हिन्दी की दुनिया में अनोखा बदलाव हुआ है। नए नए तरीकों से हिंदी उसके चाहने वालों तक पहुंच रही है। हिंदी के पाठकों को मनचाही सामग्री उनके घर पर मिल रही है। इसके लिए ना ही पाठकों को दूर-दराज जाने की जरूरत है और ना ही हिन्दी की सामग्री बेचने वाले विक्रेताओं को अपने ग्राहक ढूंढने की मारा मारी। स्मार्टफोन के दौर में हिन्दी ऐप के जरिए लोगों की जेब में घूम रही है।

ऐसे में जब यह बात उठती है कि हिन्दी पढ़ने वालों की संख्या अंग्रेजी पढ़ने वालों के मुकाबले कम है तो इसके जवाब में जगरनॉट बुक ऐप की एडिटर रेणु अगाल कहती हैं कि ‘हिन्दी पर अंग्रेजी कभी हावी नहीं हो सकती है। इसकी वजह है कि हिन्दी आज भी देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी ऐप अंग्रेजी में है हम उसे हिन्दी में भी ला रहे हैं इसकी वजह है कि हिन्दी का पाठक वर्ग बढ़ा है, हिन्दी को इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ रही है। आज हिन्दी का पाठक वर्ग ई सुविधाओं से लैस है। वह शॉपिंग ऑनलाइन कर रहा है, चीजें बेच- खरीद ऑनलाइन रहा है।’

रेणु आगे कहती हैं कि हिन्दी की किताबों को आप तक पहुंचाने ही नहीं हिन्दी पाठकों की जरूरतों को भी पूरी तरह से पूरा करने के लिए तैयार किया गया ऐप है जिसमें आप किताबों को पढ़ सकते हैं, डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें यह भी सुविधा भी होगी जिसमें आपके पास बाध्यता नहीं होगी कि आपको किसी किताब को पूरा खरीदना है। आप अगर एक कहानी पढ़ना चाहते हैं तो मामूली कीमत पर आपको एक किताब में से एक कहानी उपल्बध करा दी जाएगी। किसी उपन्यास या कहानी की किताब में से आपके पास 1000 शब्द फ्री होंगे जिसके आधार पर अगर आपको लगता है कि किताब खरीदनी चाहिए तो आप किताब खरीदेंगे वरना नहीं खरीदेंगे।

जिस तरह से चीजों का भूमंडलीकरण हुआ है उसी तरह से हिन्दी भाषा का भी भूमंडलीकरण हुआ है। आज अगर हमारी कंपनी हिन्दी भाषा में (जगरनॉट) ऐप ला रही है इसका मतलब है कि हिन्दी भाषा के बाजार में संभावनाएं हैं। हम उन संभावनाओं के साथ बाजार में आ रहे हैं और हिन्दी किस तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे इसकी पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य युवा पीढ़ी है। इस युवा पीढ़ी के लिए खासकर एक स्टाइल में हमने यह ऐप बनाया है। जहां आपको हर तरह का साहित्य मिलेगा, नॉन फिक्शन होगा, बच्चों के लिए किताबें होंगी। हिन्दी पाठक की हर उस सुविधा पर ध्यान दिया जा रहा है जो एक पाठक चाहता है।

हिन्दी टेक्नॉलजी के साथ जुड़ रही है। जिससे उसके रूप और प्रारूप में विस्तार हुआ है। अब किताबें खरीदने के लिए गलियों में घूमना नहीं पड़ेगा, दुकान दर दुकान किताबों की तलाश नहीं करनी पड़ेगी। हिन्दी के विकास में आड़े जो चीज आती हैं, वह है किताबों की उपल्बधता का ना होना। दूसरा हिन्दी भाषा के विस्तार में सबसे बड़ी अड़चन यह है कि कुछ प्रकाशन और लेखक किताबों को छापना अपनी मलकियत मानते हैं। वह निश्चित करते हैं कि कौन छपेगा और कौन नहीं। ऐसे में रेणु कहती हैं कि हम हिन्दी के लेखकों को एक ऐसा प्लेटफार्म दे रहे हैं जहां उनका लिखा पाठक तय करेगा ना कि प्रकाशक कि किसका लिखा छपेगा और किसका नहीं। हमारे प्लेटफार्म पर अगर किसी लेखक ने अपनी कोई कहानी या कविता साझा की है और उसे लोग पसंद कर रहे हैं तो हम उसे छापने के साथ- साथ रॉयल्टी भी देंगे।

हिन्दी भाषा को अंग्रेजी के साथ नाप तोलकर देखें तो भारत में भी हिन्दी के नए लेखकों को लोग कम जानते हैं जबकि अंग्रेजी के लेखकों को ज्यादा जाना जा रहा है। इस पर रेणु सपाटा शब्दों का इस्तेमाल करती हैं और कहती हैं कि ‘ऐसा नहीं है, सिर्फ मार्केटिंग और पैकेजिंग का फर्क है जिसे हम अपनी ऐप के जरिए खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। अंग्रेजी के कई लेखक हैं जिनकी किताबें हिन्दी में अनुवादित की जा रही हैं और उन्हें अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी में पढ़ा जा रहा है।

हिन्दी के लिए यह सिर्फ मानसिकता है कि हिन्दी कम पढ़ी जाती है या पढ़ी जा रही है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। हिन्दी का विस्तार हो रहा है। जहां हमें खामी लग रही है उसे हम पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही हम लेखक और पाठक के बीच के संबंध को और मजबूत करने की भी कोशिश कर रहे हैं। ताकि हिन्दी के प्रति उसके पाठकों का रूझान बना रहे। जगरनॉट ऐप के जरिए आप अपने लेखक से जो प्रश्न करना चाहते हैं वह कर सकते हैं उसका जवाब आपको वह लेखक देगा। यही नहीं हम हिन्दी में कहानी, उपन्यासों से परे जीवनी पर भी काम कर रहे हैं ताकि जो लोग इस तरह की किताबों को पढ़ना चाहते हैं वह उन्हें आसानी से उपल्बध हो सकें। यह ऐप दिसंबर तक लोगों के बीच पहुंच जाएगा’

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