नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फैसले से सर्जिकल स्ट्राइक के विवाद पर विराम लग सकता है, लेकिन इस फैसले के पीछे कई पेंच हैं। फिर भी भारतीय सेना के पीओके में आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को झूठा बता रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक झटके लगते दिखाई दे रहे हैं। भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक का ड्रोन कैमरे से शूट किया गया 90 मिनट का वीडियो सरकार को सौंप दिया है।
सेना ने वीडियो सार्वजानिक करने को हरी झंडी दे दी है, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर आखिरी फैसला लेना होगा। मोदी की मंजूरी के बाद ही यह तय होगा कि वीडियो को सार्वजानिक किया जाना चाहिए या नहीं। सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान और कांग्रेस-केजरीवाल के सवाल उठाने के बाद सेना चाहती है कि इस कार्रवाई का वीडियो जारी किया जाए।
सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ वीडियो रक्षा मंत्रालय को सौंप दिए हैं। वहीं प्रधानमंत्री कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के साथ बैठक कर रहे हैं। इसके बाद फैसला लिया जाएगा कि वीडियो को सार्वजनिक किया जाए या नहीं। सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा वीडियो ड्रोन के जरिये शूट किया गया था। कई तस्वीरें भी खींची गईं। वहीं, जानकारों का मानना है कि सरकार सोच समझकर इसके जारी करने पर फैसला लेगी। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कहीं इससे दोनों देशों के बीच तनाव और न बढ़ जाए।
इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने अपने देश के मीडिया का पीओके का दौरा कराया था। उनके सामने झूठ कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की ओर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी। पाकिस्तानी सेना के इस झूठे रवैये की दुनियाभर में किरकिरी हो रही है।
सेना की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सौंपे जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों पर बनी कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक ली। बैठक में पीएम मोदी को नियंत्रण रेखा (एलओसी) की सुरक्षा हालात की जानकारी दी गई।
नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादी ठिकानों पर 28 एवं 29 सितंबर की दरम्यानी रात को किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। सर्जिकल स्ट्राइक (लक्षित हमलों) के बाद से पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पार से गोलीबारी एवं गोलाबारी बढ़ा दी है।
क्यों है वीडियो की ज़रूरत
दरअसल, कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी मोदी सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रही हैं। केंद्र सरकार ने इन दलों के ऐसे बयान पर कहा कि ऑपरेशन पर सवाल उठाने से सेना का मनोबल गिर सकता है। इसे देखते हुए अब सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार से वीडियो जारी करने का अनुरोध किया है।
सेना के आला अधिकारियों ने कहा कि सेना चाहती है कि भारत इस सबूत को सबके सामने रख दे ताकि उन लोगों को जवाब मिल जाए, जो आरोप लगा रहे हैं कि हमला हुआ ही नहीं। उधर पाकिस्तान भी बार-बार कह रहा है कि 29 सितंबर को तड़के सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी। पड़ोसी देश के इस रुख को देखते हुए आर्मी ने अपनी बात सामने रखी है।