निशा शर्मा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक छात्र के खुदकुशी का मामला सामने आया है, बताया जा रहा है कि मुथुकृष्णनन जीवानंदम नाम का छात्र एम फिल का छात्र था। छात्र का शव सोमवार शाम एक मित्र के घर फंदे से लटका मिला था। पुलिस मामले को पहली नजर में आत्महत्या का मामला मान रही है हालांकि मृत छात्र के घर से कोई भी सुसाइड नोट नहीं मिला है। मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी आनी बाकि है।

 सोशल मीडिया पर मामले पर लोगों की प्रतिक्रिया तेजी से आ रही है, लोग मुथुकृष्णनन जीवानंदम की मौत को दलित छात्र रोहित वेमुला से जोड़ कर देख रहे हैं।

कारुनाई सेल्वाने लिखते हैं कि क्रिश रजनी- एक और दलित शोध छात्र ने की आत्म हत्या। जब समानता को अनदेखा किया जाता है तो हर चीज़ अनदेखी होती है।

ABVP के जेएनयू अध्यक्ष आलोक सिंह छात्र मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रहे हैं। आलोक कहते हैं कि जल्दबाजी में कुछ भी कहना सही नहीं होगा क्योंकि अभी मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है। हालांकि पहली नजर में यह खुदकुशी का मामला लग रहा है क्योंकि छात्र मुनिरका में अपने दोस्त के बंद कमरे में गले में फंदा लगाए हुए मिला है। छात्र के बारे में कहा जा रहा है कि वह खुशदिल इंसान था। शातं रहने वाला शख्स था। रजनी के नाम से लोगों में जाना जाता था। उसको कई प्रयासों के बाद जेएनयू में दाख़िला मिला था। उसने अपने हॉस्टल झेलम में होली भी खेली। जिसके बाद वह अपने एक दोस्त के घर चला गया जहां वह मृत मिला।

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आलोक सिंह के फेसबुक पेज से

सोशल मीडिया पर मचे हंगामे पर आलोक कहते हैं कि लोग मामले को राजनीतिक रंग देने में लगे हुए हैं हालांकि अभी छात्र की मौत के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं लग पाया है। ऐसे मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि पीड़ित के परिवार को इस समय सहानुभूति की आवश्यकता है। हमें परिवार के साथ खड़े होने की आवश्यकता है ना कि राजनीति करने की। मामले में जो भी जानकारी सामने आएगी उसके अनुसार उचित कदम उठाया जाएगा और दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा।

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फाइल

वहीं अॉल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन की प्रदेश संयोजक रहिला परवीन आलोक की बातों से सहमत नजर नहीं आती। रहिला कहती हैं कि ABVP जो परिवार की बात कर रही है। जब मामला सामने आया तो किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी । ना ही ABVP परिवार के साथ खड़ी हुई ना ही मामले में उसने परिवार की कोई मदद की। हालांकि अभी मामले में कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन दबाव में की गई खुदकुशी भी हत्या से कम नहीं है और जेएनयू में एक ऐसे शख़्स की मौत जो ASU का एग्टिव मेंबर रहा हो, उन लोगों की मानसिकता को दिखाती है जो दलितों को दरकिनार करना चाहते हैं।

बता दें कि मुथुकृष्णनन ने फ़ेसबुक पर रजनी कृश के नाम से प्रोफ़ाइल बनाई थी। वो फ़ेसबुक पर ‘माना’ नाम से एक सीरीज़ में कहानियां लिख रहे थे। इन कहानियों में वो एक दलित छात्र के जीवन संघर्ष को बयान करने की कोशिश कर रहे थे। इस सीरीज़ में किए गए अपने अंतिम पोस्ट में उन्होंने समानता के मुद्दे को उठाया था।

MAAANA – 5When equality is denied everything is denied. By saying Prof Sukhdeo thorat looking for the questions in…

Posted by Rajini Krish on Thursday, March 9, 2017