दोनों पक्ष मिलकर सुलझाएं राम मंदिर का मुद्दा: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली।

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर मंगलवार को कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं। अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्‍पणी का व्‍यापक तौर पर स्‍वागत किया गया है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी पहल की है। ये चर्चा सौहार्दपूर्ण तरीके से हो जिसका भाजपा स्वागत करती है। अयोध्या मामले पर याचिकाकर्ता और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने जानकारी दी कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जानकारी दी तो उन्होंने इसका स्वागत किया। मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जवाद ने कहा कि जो अदालत का फैसला होगा, वह हमें मंजूर होगा।

स्वामी ने बताया कि चीफ जस्टिस ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस मामले में मध्यस्थता को तैयार हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार यानी 31 मार्च तक का समय दिया है।

स्वामी ने बताया कि कोर्ट में उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि राम जहां पैदा हुए, मंदिर वहीं बन सकता है। मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती है। नमाज सड़क पर भी पढ़ी जाती है। हमें उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय इस सकारात्मक प्रस्ताव पर विचार करेगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य,  ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं,  लेकिन हमें कोई आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट मंजूर नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई मध्यस्थता कर इसका कोई हल निकलता है, तो हम इसके लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता की सूरत में यह पूरी तरह कानूनी होगा और कोई आउट ऑफ कोर्ट नहीं होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

अदालत ने अयोध्या मामले पर आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट की बात क्यों कही। इस पर विशेषज्ञ मानते हैं कि ये धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए कोर्ट फैसले से पहले आपसी सहमति की कोशिश चाहता है। अदालत का फैसला जमीन के मालिकाना हक को लेकर हो सकता है लेकिन ये आस्था का विषय है। संघ से जुड़े राकेश सिन्हा ने कहा कि ये मामला आस्था का है और सहमति से इस पर फैसला होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *