उत्तराखंड के बागी विधायकों को नैनीताल हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी करारा झटका लगा है। उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में कांग्रेस के बागी विधायक वोट नहीं दे पाएंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की ओर से जारी याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। बागियों ने कोर्ट से मंगलवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में वोट देने की इजाज़त मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई तय की है। इससे पहले नैनीताल हाई कोर्ट ने सोमवार सुबह कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायकों की सदस्यता को अयोग्य बताने वाले विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को सही ठहराया था। बागियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी। उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता दलबदल क़ानून के तहत रद्द कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को इन विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उत्तराखंड में सियासी संकट की शुरुआत इस वर्ष 18 मार्च को हुई. इस दिन कांग्रेस के 36 विधायकों में से नौ बागी हो गए और वित्त विधेयक पर मतदान के समय भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ नज़र आए थे। इसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा था। लेकिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण के ठीक एक दिन पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. इसी दिन उत्तराखंड के स्पीकर ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। हरीश रावत ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को हटाते हुए हरीश रावत सरकार को बहाल कर दिया था और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था. लेकिन केंद्र ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने हरीश रावत को 10 मई को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने को कहा है।