लखनऊ। लगातार उपेक्षा का दंश झेल रहीं उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता बहुगुणा जोशी ने आखिरकार कांग्रेस से किनारा कर लिया। कई दशकों से कांग्रेस के लिए जी जान से काम करने वाली कांग्रेस की नेता रीता बहुगुणा जोशी बृहस्‍पतिवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। उन्‍हें गांधी परिवार, खासतौर पर सोनिया गांधी का करीबी समझा जाता रहा है। भाजपा में औपचारिक रूप से आने की घोषणा करते समय रीता के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे।

रीता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से लड़ने का बीड़ा उठाया है। कांग्रेस पार्टी सरकार और सेना का साथ देने के बजाय आलोचना करने लगी। ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने कोई सबक नहीं लिया।

इस अवसर पर रीता बहुगुणा ने कहा,  ‘मैं आज ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुई हूं। लंबे विचार के बाद मैंने यह फैसला किया है। करीब 24 वर्ष मैंने कांग्रेस में गुजारे,  बीच में कुछ समय जरूर एसपी में रही। भाजपा में आने का फैसला मैंने काफी सोच-समझकर लिया है। मेरे लिए यह फैसला आसान नहीं था।‘

उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को देश की सेना के साथ-साथ सरकार की भी उपलब्धि बताया। रीता ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी ही सर्जिकल स्ट्राइक को स्वीकार न करते हुए प्रमाण मांग रही है, ऐसे में देश की प्रतिष्ठा विदेशों में प्रभावित हुई है।

उन्होंने कहा कि जब तक कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के पास थी, तब तक सब ठीक था। राहुल गांधी के हाथ में कमान आने के बाद पार्टी आगे नहीं बढ़ पा रही है।

उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि भाजपा का एक ध्येय है दगाबाज फौज इकट्ठा करना। रीता बहुगुणा जोशी का सवाल है वह इतिहास की प्राध्यापक रही हैं, उन्हें इतिहास का ज्ञान है।

रीता बहुगुणा जोशी यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी में महिला कांग्रेस की भी रीता बहुगुणा जोशी अध्यक्ष रह चुकी हैं। हालांकि कांग्रेस ने अभी इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है।

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता और पार्टी नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। कहा जाता है कि वह शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करने के कांग्रेस नेतृत्व के निर्णय को लेकर अप्रसन्न हैं और राज बब्बर को उत्तर प्रदेश पार्टी प्रमुख बनाए जाने के बाद वह स्वयं को और अधिक उपेक्षित महसूस कर रही थीं।

उनका मानना है कि एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर पेश करने के लिए उनमें शीला दीक्षित से अधिक पात्रता है। रीता बहुगुणा के भाई एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। फिलहाल रीता लखनऊ की कैंट सीट से विधायक रही हैं।

रीता बहुगुणा का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए लाभकारी होगा क्योंकि पार्टी को ब्राह्मण वोट को एकजुट करने में मदद मिलेगी। कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट को देखते हुए ही शीला दीक्षित को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।