जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) एक बार फिर विवादों में है। इस बार यहां हंगामा एक छात्र के लापता होने के बाद बरपा है। इसके विरोध में छात्रों ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सहित दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों को 24 घंटे तक उनके दफ्तर में बंधक बनाए रखा। इस बीच लापता छात्र को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट तलब की है। गृह मंत्रालय के अनुसार, राजनाथ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा से मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं दिल्ली पुलिस ने पांच दिन से लापता छात्र का सुराग देने वाले को 50 हजार रुपये ईनाम देने की घोषणा की है। छात्र की गुमशुदगी का मामला वसंत कुंज थाने में दर्ज कराया गया है।

बुधवार दोपहर से ही छात्र वीसी समेत दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों का एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में घेराव कर रहे थे और उन्हें दफ्तर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। इन अधिकारियों में वीसी के अलावा यूनिवर्सिटी के रेक्टर, प्रोक्टर, डीएसडब्ल्यू और रजिस्ट्रार भी शामिल थे। गुरुवार को इन लोगों को बाहर निकलने दिया गया। दफ्तर से बाहर निकलने के बाद वीसी एम. जगदीश कुमार ने सुबह करीब 11 बजे पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वे रातभर बंधक बने रहे और सभी को जमीन पर सोने के  लिए मजबूर होना पड़ा। लापता छात्र से उन्होंने अपील की है कि वह जहां कहीं हो वापस आ जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि उसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। वीसी के अनुसार प्रदर्शन कर रहे छात्र बात मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले को लेकर एकेडमिक काउंसिल की एक उच्चस्तरीय बैठक होगी। यदि उसमें उन्हें जाने से रोका जाएगा तो पुलिस को भी सूचना दी जाएगी। इस बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा,  ‘अधिकारियों को इस तरह बंधक बनाया जाना ठीक नहीं है। ऐसा लगता है कि जेएनयू में कुछ छात्र पढ़ने नहीं, बस राजनीति करने आए हैं।

इसके उलट छात्रों ने बंधक बनाए जाने के आरोपों का खंडन किया है। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अकबर चौधरी ने कहा है कि छात्र वहां पर सिर्फ अपनी मांग लेकर बैठे हुए थे। अकबर ने दावा किया कि जेएनयू प्रशासन ने छात्र के लापता होने के मामले में लापरवाही की है और अब अपने बचाव में ‘बंधक’ बनने की बातें कह रहे हैं। छात्रों का कहना है कि वीसी अपनी जिम्‍मेदारी से भाग रहे हैं इसलिए लेफ्ट संगठनों के छात्रों ने प्रशासनिक भवन के सामने धरना दिया।

इस बीच वीसी और दूसरे अधिकारियों को बाहर जाने देने के मसले पर वामपंथी छात्र दो गुटों में बंट गए हैं। दूसरे गुट का कहना है कि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष मोहित पांडे ने बिना कोई ठोस आश्वासन मिले वीसी और स्टाफ को छोड़ आंदोलन को कमजोर किया है। मोहित पांडे के विरोधी गुट का कहना है कि वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। ये छात्र अब खुद मोहित पांडे के खिलाफ ही धरने पर बैठ गए हैं। उन्होंने मोहित के लिए वीसी की दलाली बंद करो जैसे नारे भी लगाए।

उधर, एबीवीपी ने नजीब के लिए आंदोलन कर रहे छात्रों पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। एबीवीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के पूर्व जेएनयू सहसचिव सौरभ शर्मा ने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों को लापता छात्र से कोई लेनादेना नहीं है। ये लोग राजनीति कर रहे हैं। गायब छात्र नजीब के रूममेट कासिम से पूछताछ होनी चाहिए क्योंकि ज्यादातर शक उस पर ही जाता है।

क्या है मामला

लापता नजीब को ढूंढने के लिए पुलिस की ओर से लगाए गए पोस्टर
लापता नजीब को ढूंढने के लिए पुलिस की ओर से लगाए गए पोस्टर

गौरतलब है कि जेएनयू का एक छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर से लापता है। आरोपों के मुताबिक 14 अक्टूबर को माही मांडवी हॉस्टल में छात्र संगठन एबीवीपी के एक छात्र के साथ उसकी झड़प हुई थी जिसके अगले दिन से वो लापता है। यूनिवर्सिटी के वामपंथी छात्र संगठनों का आरोप है कि प्रशासन नजीब के मामले में चुप्पी साधे हुए है। वहीं, एबीवीपी इसके पीछे वाम छात्र संगठनों का हाथ बता रही है। नजीब जेएनयू में एमएससी (बायोटेक्नोलॉजी) प्रथम वर्ष का छात्र है। पुलिस ने नजीब अहमद का पता लगाने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं और उसकी ख़बर देने वाले को 50 हजार रुपए का ईनाम देने का एेलान किया है। जेएनयू के कुलपति ने बताया कि हॉस्टल में हुई मारपीट की जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई है। नजीब को ढूंढने में एनसीआरबी और सीबीआई के मिसिंग सेल से भी मदद मांगी गई है।

उत्‍तर प्रदेश के बदायूं जिले का रहने वाला नजीब यहां के माही-मांडवी हॉस्‍टल के रूम नंबर 106 में रहता है। इस समय जेएनयू में हॉस्‍टल यूनियन का चुनाव चल रहा है। इसी हॉस्‍टल में मेस सचिव पद के लिए खड़ा विक्रांत यादव 14 अक्‍टूबर की रात नजीब के कमरे में प्रचार के लिए आया था। इसी दौरान दोनों में कहासुनी हुई। एबीवीपी से जुड़े लोगों का कहना है कि इस दौरान नजीब अहमद ने विक्रांत को दो थप्पड़ जड़ दिए। इसके बाद विक्रांत ने छात्र संघ के कुछ पदाधिकारियों को बुला लिया और उन लोगों ने नजीब की पिटाई कर दी। दोनों पक्षों में सुलह की कोशिश की गई। दरअसल, ये हॉस्टल यूनियन पर कब्जे की ही लड़ाई है जो अब इस स्तर तक पहुंच गई है। इस हॉस्‍टल के एक गार्ड ने भी बताया कि 14 तारीख की रात प्रचार को लेकर हंगामा हुआ था। जेएनयू में राष्‍ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोपी रहे उमर खालिद का कहना है कि 27 वर्षीय नजीब अहमद को विक्रांत यादव द्वारा बुलाकर लाई गई भीड़ ने पीटा। इसके बाद 15 तारीख की सुबह से उसका पता नहीं है।