निशा शर्मा।

रीयल लाईफ में मां हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा ही नहीं है बल्कि एक संवेदना भी है जो हमें बिना लाग लपेट खुद से जोड़ता है। इस अहम हिस्से को अदाकारी के जरिये लोगों के सामने पेश करना उतना ही मुश्किल है जितना एक मां होना।

हर किरदार की तरह इस किरदार को रीयल से रील लाईफ में उतारने के लिए किरदारों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ताकि मां का किरदार लोगों की संवेदनाएं छू पाए, उन्हे अपनेपन का एहसास करवा पाए। भारतीय फिल्मों को बनते हुए 100 साल से ज्यादा साल हो चुके हैं, इन 100 सालों में हर फिल्म में एक मां का किरदार है जो अक्सर होता है। लेकिन इस किरदार को अगर किसी फिल्म या किसी अभिनेत्री ने उभारा है तो वह है फिल्म दीवार और अभिनेत्री निरुपमा राय ने।

फिल्म दीवार का डॉयलॉग तुम्हारे पास क्या है… मेरे पास मां है। आज भी लोगों की जुबान पर उसी तरह बरकरार है जैसे की 80 के दशक में था। शशि कपूर और अमिताभ बच्चन अभिनित इस फिल्म में मां का किरदार निरुपमा राय ने निभाया था। मां के किरदार को बड़े पर्दे पर निरुपमा रॉय ने इस संजीदगी से निभाया कि मां का किरदार और निरुपमा एक दूसरे के प्रयाय हो गए। अमिताभ बच्चन की करीब 15 फिल्मों में निरुपमा राय ने मां का किरदार निभाया जिसमें से अमर अकबर एंथेनी, मुकद्दर का सिकंदर, सुहाग, मर्द आदि मुख्य हैं। ऐसा नहीं है कि निरुपमा राय से पहले कोई अभिनेत्री मां का किरदार नहीं निभाती थी। लेकिन एक विधवा और असहाय मां को जिस तरह से निरुपमा राय ने बड़े पर्दे पर जीवित किया वैसा उनसे पहले मां का किरदार निभा चुकी अभिनेत्रियां नहीं कर पाई यही वजह थी कि उन्हे ‘क्वीन ऑफ वरीज़’ के नाम से ख्याति मिली। निरुपमा राय से पहले अचला सचदेव को बड़े पर्दे की असल मां कहा जाता था। अचला ने आरजू, वक्त, मेरा नाम जोकर, हरे रामा हरे कृष्णा और चांदनी जैसी फिल्मों में मां का बेहतरीन किरदार निभाया था, 70-80 के दशक के बाद अचला 90 के दशक में फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे में कॉजोल की दादी और कभी खुशी कभी गम में अमिताभ बच्चन की मां के किरदार में दिखीं थी।

निरुपमा राय के बाद अगर किसी मां को बड़ी पहचान मिली वह नाम रहा रीमा लागू का, जिन्हे राजश्री की मां के तमगे से भी नवाजा गया। इन्होंने राजश्री की अधिकतर फिल्मों में मां की भूमिका निभाई और लोगों के दिलों में छा गई। एक मीडिल क्लास परिवार में, पढ़ी लिखी सी दिखने वाली मां के अवतार में रीमा लागू को दर्शकों ने खासा पसंद किया। रीमा ने फिल्मी पर्दे पर फिल्म कयामत से कयामत तक में जूही चावला की मां की भूमिका निभाई। जिसके बाद वह मैंने प्यार किया में सलमान खान की मां बनी। फिर जो सिलसिला शुरु हुआ वह कभी नहीं रुका जैसे हिन्दी सिनेमा को एक पर्फेक्ट मां मिल गई हो। फिल्मी पर्दे पर रीमा के अलावा और भी कई नाम मां के किरदार के तौर पर जुड़े जिसमें किरण खेर, जया बच्चन

रतना पाठक भी थीं लेकिन जो पहचान रीमा लागू ने बनाई वह इन अभिनेत्रियों को मां के तौर पर नहीं मिली। रीमा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह ऐसे समय में फिल्म जगत में आईं थी जब माधुरी जैसी अभिनेत्रियां आ रहीं थी और रेखा जैसी अभिनेत्रियां जा रहीं थी। ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प था मां के रोल का, जिसे उन्होंने स्वीकार ही नहीं किया बल्कि उससे ख्याति भी बटोरी।