क्या सही में मारा गया था रामवृक्ष?

करीब महीना गुजरने को है पर मथुरा कांड के सरगना रामवृक्ष को लेकर संशय दूर नहीं हुआ है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो जवाहर बाग का मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव इस घटना में मारा जा चुका है। हालांकि घटना के दूसरे दिन तक जिम्मेदार अधिकारी उसे फरार बता रहे थे और उसके पैर में गोली लगने की भी चर्चा थी। फिर अचानक पुलिस की ओर से बताया गया कि रामवृक्ष मारा गया। जिस शव को उसका बताया जा रहा है, वह झुलसा हुआ और फूल चुका था। रामवृक्ष के चेहरे से शव का चेहरा नहीं मिल रहा था। इसके पीछे कारण लाश का फूल जाना बताया गया। मगर आश्चर्यजनक यह है कि पुलिस ने अन्य शवों का डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल तो लिया लेकिन तथाकथित रामवृक्ष यादव के शव का डीएनए लिए बिना ही उसका दाह संस्कार कर दिया गया। यह चूक है या साजिश अब इसकी चर्चा जोरों पर है। इतनी ही चर्चा रामवृक्ष के जिंदा या मुर्दा होने को लेकर भी चल रही है।

कहां है दूसरी पंक्ति का नेतृत्व
रामवृक्ष की तरह ही उसकी दूसरी पंक्ति के लोग कहां हैं इसे लेकर भी संशय है। वे मारे गए या फरार हैं इस बारे में आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी अब तक कुछ नहीं बता सके हैं। रामवृक्ष यादव के बाद नंबर दो की हैसियत रखने वाले चंदन बोस के बारे में कोई सूचना नहीं है। सारी चर्चा रामवृक्ष पर ही केंद्रित है। यदि दूसरी पंक्ति के नेतृत्व पर स्थिति साफ नहीं की जाती है और उन्हें गिरफ्त में नहीं लिया जाता है तो बिखरा नेतृत्व फिर से सक्रिय हो सकता है।

पंकज व रामवृक्ष के बीच कनेक्शन?
बाबा जयगुरुदेव के मथुरा आश्रम पर काबिज पंकज यादव और रामवृक्ष यादव के बीच के कनेक्शन रह-रह कर सामने आ रहे हैं। जवाहर बाग घटना में घायल हुए और अस्पताल में इलाज करा रहे कुछ लोगों ने बताया है कि कुछ साल पहले कुछ लोगों ने मथुरा के जयगुरुदेव आश्रम में ही रामवृक्ष यादव से उनका परिचय कराया था और उसे समाजसेवी बताया था। घटना के दूसरे दिन एकत्रित किए गए साक्ष्यों में जयगुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट, कृष्णानगर, मथुरा जिसका अध्यक्ष पंकज यादव खुद को बताता है, के चंदे की रसीदें भी मिली हैं। इससे दोनों की मिलीभगत होने का संदेह बढ़ गया है।

आदत में शुमार थी मारपीट
9 फरवरी 2011 को साढ़े दस बजे दिन में गाजीपुर जिले का रहने वाला रामवृक्ष यादव अपने 11 साथियों के साथ खलीलाबाद कचहरी गेट पर पहुंचा था। रुपया फ्रॉड करेंसी नामक बैनर वाहन पर लगाए हुए उसने सत्याग्रह शुरू किया था। कचहरी गेट पर वाहन पर चढ़ कर उत्तेजक भाषण से उसने भीड़ जुटा रखी थी। भीड़ बढ़ती देख कुछ अखबारों के फोटोग्राफरों ने जैसे ही फोटो खींचने की कोशिश की तो उसके साथियों ने लाठी लेकर फोटोग्राफरों को दौड़ा लिया और उनके कैमरे छीन लिए। उसी दौरान कचहरी में मौजूद तत्कालीन सीओ आरडी गौतम फोटोग्राफरों के बचाव में पहुंचे तो उनके सिर पर लाठी दे मारी। उनके सिर पर हेलमेट होने से उनका सिर फटने से बच गया। भगदड़ मचने के बाद तत्कालीन एसपी वीके गर्ग ने फोर्स भेजकर रामवृक्ष को साथियों सहित गिरफ्तार कराया। तत्कालीन प्रभारी कोतवाल अजीत मिश्र ने रामवृक्ष समेत 11 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया। दूसरा मुकदमा पत्रकार गोरखनाथ ने मारने पीटने, कैमरा छीनने का दर्ज कराया था। रामवृक्ष समेत अन्य जेल गए थे जो बाद में जमानत पर छूटे। पुलिस ने दोनों मुकदमे में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। यह केस अभी विचाराधीन है

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