राजस्‍थान में पांच प्रतिशत बढ़ेगा ओबीसी कोटा

जयपुर।

राजस्थान सरकार एक बार फिर गुर्जरों को आरक्षण देने जा रही है। गुर्जरों और पांच अन्य पिछड़ी जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 26 प्रतिशत किया जा रहा है। गुर्जरों और सरकार के बीच बैठक के बाद इस फार्मूले पर सहमति बनी। सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में ओबीसी आरक्षण का संशोधित विधेयक लाएगी और इस फार्मूले को कानूनी जामा पहनाया जाएगा।

इस गुर्जर आरक्षण के लिए पिछले 10 सालों में तीसरी बार राजस्थान सरकार विधानसभा में विधेयक लाने जा रही है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि सितंबर के मानसून सत्र में सरकार इसके लिए विधेयक पेश करेगी।

गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए अधिकृत मंत्रिमंडलीय समिति के सदस्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉक्टर अरुण चतुर्वेदी ​ने बताया कि गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के बाद इस पर सहमति बनी। यह पांच प्रतिशत आरक्षण गुर्जर समेत पांच जातियों को दिया जाएगा। इस पांच प्रतिशत में किस जाति की हिस्सेदार कितनी होगी, यह बाद में तय किया जाएगा।

बैठक में गुर्जर समुदाय की ओर से कर्नल किरोडी सिंह बैंसला और सरकार की ओर से चतुर्वेदी के अलावा संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ और सामान्य प्रशासन मंत्री हेम सिंह भड़ाना ने गुर्जर समाज के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की। कर्नल बैंसला ने बैठक आरंभ होने से पहले कहा था कि गुर्जर समेत पांच जातियों को ओबीसी कोटे से पांच प्रतिशत आरक्षण मिलना है, यह कैसे होगा,  इसकी प्रक्रिया सरकार को तय करनी है।

दरअसल, गुर्जर आंदोलन के बाद बनी चोपड़ा कमेटी ने 15 दिसंबर 2007 को गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी। उसके बाद राजस्थान सरकार ने विधानसभा में 2008 में विधेयक पेश कर गुर्जरों को पांच फीसदी और 15 फीसदी आरक्षण आर्थिक रूप से अगड़ों को दिया था। लेकिन तब आर्थिक रूप से आरक्षण का प्रावधान न होने की वजह से कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

फिर 30 जुलाई 2009 में सरकार ने अलग से गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिया। तब राज्य में कुल आरक्षण 54 फीसदी हो गया। राजस्थान हाईकोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक दी। उसके बाद 6 मई 2010 को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान मानते हुए सरकार ने एक फीसदी आरक्षण गुर्जरों को दिया और तब से ये मामला कोर्ट में ही चल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश को यथास्थिति में रखा है। राज्य में फिलहाल 28 फीसदी आरक्षण एससी-एसटी को है और 22 फीसदी ओबीसी को है। एक फीसदी एसबीसी को है जिसमें गुर्जर समेत पांच जातियां हैं। लेकिन गुर्जर आंदोलन पर उतारू थे और ओबीसी के अंदर ही आरक्षण मांग रहे थे ताकि कोर्ट में बचा जाए।

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