रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती करने की घोषणा की है। इस कटौती के बाद रेपो रेट 6.75 फ़ीसदी से घटकर 6.5 फ़ीसदी हो जाएगी। रेपो रेट कम होने से कर्ज लेकर घर और कार खरीदने वालों को राहत मिलेगी। हालांकि आरबीआई के बड़े एलान से पहले शेयर बाजार में गिरावट दिखी है। महंगाई और ईएमआई के बोझ तले दबे होम लोन ग्राहकों को आज रिजर्व बैंक की ओर से राहत मिली है। वित्तीय साल 2016-17 के लिए रिजर्व बैंक ने सालाना मौद्रिक और कर्ज नीति पेश की है।

क्या होती है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर होती है कि जिससे बैंक रिजर्व बैंक से पैसे उधार लेते हैं। अब बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा और बैंक उसका फायदा अपने ग्राहकों तक भी पहुंचा सकते हैं। इस बार ब्याज दर में कटौती के लिए आर्थिक संकेत भी अच्छे  थे।

सरकार छोटी बचत योजनाओं पर पहली अप्रैल से ब्याज दर घटा चुकी है। आरबीआई और सरकार के बीच हुए समझौतों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर छह फीसदी के नीचे बनी हुई है. 2015-16 के दौरान सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य के मुताबिक 3.9 फीसदी रहने के आसार हैं।

 2011 के बाद सबसे निचले स्तर पर रेपो रेट

इस 0.25 फीसदी की कटौती के बाद रेपो रेट मार्च 2011 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई है। लेकिन आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 5.75 फीसदी करने का ऐलान किया है। हालांकि कैश रिजर्व रेट (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीआरआर 4 फीसदी ही रहेगी।

पहले माना जा रहा था कि आरबीआई ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की कटौती करेगा, लेकिन उद्योग मंडल ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती की मांग कर रहे थे।