घर खरीदना और बेचना अब और ज्यादा महंगा होने वाला है। सरकार इस पर जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात के संकेत दिए हैं। हालांकि अभी भी घर खरीदने पर जीएसटी लगता है मगर सिर्फ तब जब आपने किसी बिल्डर से घर खरीदा हो। यदि आपने व्यक्तिगत तौर पर किसी से घर खरीदा हो तो उस पर जीएसटी नहीं देना पड़ता है। दो व्यक्तियों के बीच घर खरीदने और बेचने को लेकर हुई डील को भी सरकार अब जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी में है। यानी इसके बाद पूरा रियल एस्टेट उद्योग जीएसटी के दायरे में आ जाएगा।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान देते हुए अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा टैक्स चोरी और नकदी पैदा होती है। इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में लाने का मजबूत आधार है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर गुवाहाटी में नौ नवंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी।
जेटली ने कहा कि कुछ राज्य रियल एस्टेट को पूरी तरह से जीएसटी के दायरे में लाना चाहते हैं और कुछ नहीं। यह दो मत हैं और चर्चा करने के बाद हमारी कोशिश होगी कि एक मत पर सहमति बनाई जाए। इसका लाभ उपभोक्ताओं को होगा जिन्हें पूरे उत्पाद पर केवल अंतिम टैक्स देना होगा। जीएसटी के तहत यह अंतिम टैक्स लगभग नगण्य होगा। अभी बिल्डर से घर खरीदने पर 12 फीसदी जीएसटी देना होता है। अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में हम इस समस्या पर कम से कम चर्चा तो करेंगे। टैक्स दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने के लिए दी जाने वाली छूट और अंतिम व्यय में कमी किए जाने से कालेधन से चलने वाली छद्म अर्थव्यवस्था का आकार घटाने में भी मदद होगी।
नोटबंदी पर जेटली ने कहा कि यह एक बुनियादी सुधार है जो भारत को एक और अधिक टैक्स चुकाने वाले समाज के तौर पर बदलने के लिए जरूरी था। उन्होंने कहा कि यदि आप इसके दीर्घकालिक प्रभाव को देखें तो नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन बढ़ा है और यह मुद्दा विमर्श के केंद्र में आया। इसने व्यक्तिगत टैक्स आधार को बढ़ाया है। इसने नकद मुद्रा को तीन प्रतिशत तक कम किया जो बाजार में चलन में थी।
जेटली ने कहा कि जिन कदमों के दीर्घावधि लक्ष्य होते हैं, इस बात में कोई शक नहीं कि उसमें लघु अवधि की चुनौतियां होंगी ही लेकिन यह भारत को एक गैर-टैक्स चुकाने वाले देश से अधिक टैक्स अनुपालक समाज बनाने के लिए आवश्यक था। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक तौर पर भारत की टैक्स प्रणाली बहुत छोटे टैक्स आधार के साथ दुनियाभर में सबसे प्रभावी प्रणाली है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में टैक्स देने वालों की संख्या में जो इजाफा हुआ है, वह कंपनियों के तौर पर नहीं बल्कि व्यक्तियों के रूप में हुई है, जो टैक्स दायरे में प्रवेश कर रहे हैं। जेटली इन दिनों अमेरिका की सप्ताह भर की यात्रा पर हैं। यहां वे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सालाना बैठक में हिस्सा लेने आए हैं।