श्रीनगर। भाजपा और पीडीपी के गठबंधन की गांठ ढीली पड़ती नजर आ रही है। जम्मू-कश्मीर में जारी हिंसा के बीच अब राजनीतिक दल में विरोध के सुर उठने लगे हैं। भाजपा से गठबंधन के मुद्दे पर पीडीपी नेता अब पार्टी के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे हैं। श्रीनगर से पीडीपी सांसद तारिक हामिद कारा ने पार्टी और लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया है। तारिक भाजपा से गठबंधन होने की वजह से पार्टी से नाराज हैं और उन्होंने घाटी में हालात बिगड़ने के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि कश्‍मीर के एक पत्रकार ने कहा कि तारिक के इस्‍तीफे से न तो गठबंधन पर कोई फर्क पड़ने वाला है और न ही सरकार पर, अलबत्‍ता तारिक का कद उन लोगों में बढ़ सकता है जो भाजपा नेताओं और कश्‍मीर के हालात से रुष्‍ट हैं।

तारिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान भी कर दिया है। एक तरह से सांसद का ये कदम सीएम महबूबा मुफ्ती पर भाजपा से गठबंधन पर फिर से विचार करने को लेकर दबाव के रूप में देखा जा रहा है। पीडीपी में बगावत के मुद्दे से भाजपा ने किनारा कर लिया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये पीडीपी का अंदरूनी मामला है और इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी के बीच विकास के एजेंडे को लेकर गठबंधन हुआ है।

तारिक 2002 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री थे। उनका आरोप है कि राज्य की वर्तमान पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार घाटी में जारी हिंसा से निपटने में पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कश्मीर में भारी हिंसा और सूबे में सरकार की नाकामी की वजह से पद और पार्टी से इस्तीफा दिया है। इससे पहले तारिक ने राज्य में सरकार गठन के लिए पीडीपी-भाजपा गठबंधन का भी विरोध किया था। उन्‍होंने कहा, ‘पीडीपी राष्ट्रीय स्वयं संघ द्वारा संचालित फासिस्ट पार्टी भाजपा की सहयोगी बन गई है।’ तारिक 2014 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर की श्रीनगर संसदीय सीट पर जीत दर्ज लोकसभा पहुंचे थे। वह दिवंगत नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बहुत नजदीक थे। वह पीडीपी के संस्‍थापक सदस्‍य रहे हैं। कश्मीर में 8 जून को सेना के साथ मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद भड़की हिंसा में अब तक 80 लोग मारे जा चुके हैं और करीब दस हजार से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।