नई दिल्ली।

जम्‍मू-कश्‍मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी का तीन साल पुराना गठबंधन आखिरकार टूट गया। भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन तोड़कर महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। मंगलवार को भाजपा के सभी मंत्रियों के इस्तीफों के बाद महबूबा ने भी इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की मांग की है।

मतभेद की दो वजहें

पहली-रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोक दें, इसे लेकर भाजपा-पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। ऑपरेशन ऑलआउट को लेकर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद था। दूसरी-पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे। लेकिन भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी।

राम माधव ने कहा, ‘‘घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए, लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।’’

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”पीडीपी के साथ कांग्रेस के सरकार बनाने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन भाजपा पीडीपी सरकार के सिर पर सब तोहमत लगाकर भाग नहीं सकती है। इस सरकार में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए। सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए और सीजफायर वॉयलेशन हुआ।”

पीडीपीनेता रफी अहमद मीर ने कहा, ”भाजपा के इस फैसले से हमें आश्चर्य हुआ। हमें इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले थे।”  वहीं, राज्य में 15 सीटों वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘ये भी गुजर गया…।’’ असदउद्दीन ओवैसी ने कहा- मुझे जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए दुख हो रहा है। ये पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के लिए सबक है।

जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटों की स्थिति

पार्टी सीटें
पीडीपी 28
भाजपा 25
नेशनल कॉन्फ्रेंस 15
कांग्रेस 12
अन्य 7
कुल 87

किसके पास मौका

अब राज्यपाल शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। भाजपा भी यही चाहती है ताकि राज्यपाल के शासन में कड़ी कार्रवाई करके वह अपनी छवि सुधार सके। दलीय स्थिति भी नए गठबंधन की तरफ इशारा नहीं करती। पीडीपी (28), कांग्रेस (12) और अन्य (7) को मिलाएं तो 47 सीटें होती हैं। ऐसे में सरकार तो बन सकती है लेकिन कांग्रेस यह जोखिम उठाने को कतई तैयार नहीं होगी। महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद तो सारी संभावनाएं खत्म ही हो गई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस फिलहाल कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं है। भाजपा चाहे तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और कुछ निर्दलीय को मिलाकर सरकार और अपना मुख्यमंत्री बना सकती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस एक बार एनडीए का हिस्सा रह भी चुकी है।

जम्मू कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। चार महीने बाद फरवरी 2015 में भाजपा और पीडीपी के बीच गठबंधन हुआ था। पीडीपी के दिवंगत प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद मार्च 2015 में मुख्यमंत्री बने थे। जनवरी 2016  में सईद का निधन हो गया। उनके निधन के करीब तीन महीने बाद महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं। सईद और मेहबूबा की सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद भाजपा को मिला। सईद जब सीएम थे तब डिप्टी सीएम भाजपा के निर्मल सिंह थे। इसी साल अप्रैल में निर्मल सिंह की जगह भाजपा के कविंदर गुप्ता डिप्टी सीएम बने।