ओपिनियन पोस्‍ट।  

एनआरसी के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा बरपा है। जोरदार बहस के बीच मंगलवार को राज्‍यसभा में अमित शाह के बोलते ही विपक्ष हमलावर हो गया। विभिन्‍न पार्टियों के नेता अपने अपने नजरिये से इस मुद्दे पर अपने विचार रख रहे हैं।

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन यानी एनआरसी में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न किए जाने के मुद्दे पर राज्यसभा में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह आज इस पर प्रश्‍न खड़े कर रही है, जबकि इसकी पहल खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी।

सोमवार को लोकसभा में भी विपक्षी सदस्य इसके विरोध में नारेबाजी करते रहे। इस बीच, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बयान देकर कहा कि इस मुद्दे पर हंगामा किए जाने की जरूरत नहीं है। जिसका भी नाम ड्राफ्ट में नहीं है, उसे दावा करने का पर्याप्त मौका मिलेगा।

राज्यसभा में शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास असम समझौते को लागू करने की हिम्मत नहीं थी और भाजपा सरकार ने हिम्मत दिखाकर यह काम कर दिखाया। शाह ने एनआरसी के विरोध को देश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को बचाने की कोशिश बताया। शाह के बयान पर विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा में असम के सांसद विश्वजीत डायमेरी ने कहा कि असम में किसी भारतीय के साथ गलत नहीं हुआ है। जो समस्याएं पैदा हुई हैं उनके समाधान के विकल्प भी मौजूद हैं।

एनआरसी पर मायावती ने कहा कि 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता भाजपा-शासित असम में लगभग छीन ली गई है। अगर असम में लंबे समय से रहने वाले लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए तो इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें देश से बाहर फेंक दिया जाए।

राज्यसभा में सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि इस मामले में सावधानी बरतें। हमारे ही देश के व्यक्ति का नाम अगर काट दिया गया तो वह कहां जाएगा। संविधान हर किसी को देश के किसी भी हिस्से में लोगों को बसने की इजाजत देता है। यदि वैध दस्तावेज हैं तो नाम शामिल होना चाहिए।

कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 40 लाख लोगों की संख्या कम नहीं है। सरकार साबित करे कि वे नागरिक नहीं हैं। वोट की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसका असर दूरगामी है।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने कहा है कि त्रिपुरा में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है। वहां सबकुछ व्यवस्थित है। मुझे लगता है कि यह असम के लिए भी कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, सर्वानंद सोनोवाल जी इससे निपटने में सक्षम हैं।

देश में अन्य सभी शरणार्थियों पर उठे सवाल का जवाब देते हुए किरन रिजीजू ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग जगहों पर प्रवासी हैं जिनको नागरिकता एक्ट के प्रावधानों के तहत देखा जाता है और नागरिकता देना या न देना इस एक्ट के प्रावधानों पर निर्भर है।

लोकसभा में टीएमसी सांसद सुगत बोस ने क‍हा कि विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्या के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रहे हैं। भारत में भी 40,000 रोहिंग्या हैं,  तो क्या हम इंसानियत सिर्फ उन्हीं के लिए दिखाएंगे जो बांग्लादेश में हैं? इस पर किरण रिजीजू ने कहा कि यह टीएमसी सांसद सुगत बोस का बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बयान है।