नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार अब राष्‍ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करना चाहती। इसी सिलसिले में कश्मीर में शांति बहाली की कोशिशें विफल होने के बाद बुधवार को दिल्ली में फिर से जम्मू-कश्मीर के मसले पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक हुई। इस दौरान कश्मीर के हालात और अलगाववादियों के मुद्दे पर सरकार ने अगले कदम और रणनीति पर चर्चा की। सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों ने अपने निष्कर्षों पर चर्चा की। जम्मू-कश्मीर से संबंधित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा, राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सकता है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार से ‘सभी पक्षकारों’ के साथ बातचीत शुरू करने की अपील की और कहा कि नागरिक समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। इस बैठक में कुछ बातों पर सहमति बनी है। सरकार ने सभी से वार्ता के लिए संकेत दिए हैं।

इस अवसर पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सभ्‍य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। घाटी में घायलों के इलाज के लिए उचित व्‍यवस्‍था की जाएगी। कश्‍मीर पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अपील यह है कि बातचीत के जरिये समस्‍या का हल निकले। घाटी में स्‍कूल कॉलेज जल्‍द खुलें। अलगाववादियों को दी जा रही सहूलियतों, जिसमें उच्चस्तरीय सुरक्षा आदि की समीक्षा संबंधी बात की जानकारी नहीं मिली है। पहले यह खबर आई थी कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के पर कतरने की तैयारी में है। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की विदेश यात्रा कठिन बनाकर और उनकी सुरक्षा कम कर उनके प्रति अपना रुख कड़ा कर सकती है। सरकारी खजाने की कीमत पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है। राज्य के दौरे पर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सांसदों ने अलगाववादियों से मिलने की कोशिश की थी। बैठक में वित्त मंत्री अरूण जेटली, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और भाजपा महासचिव राममाधव भी मौजूद थे। प्रतिनिधिमंडल ने 4-5 सितंबर को श्रीनगर और जम्मू का दौरा किया था।

कश्मीर घाटी में हिंसा का चक्र जारी है। वहां पथराव करने वालों एवं सुरक्षाबलों के बीच झड़प में 73 लोगों की जान चा चुकी है। अलगावादियों की हड़ताल के कारण जनजीवन 60 वें दिन भी ठप्प रहा। कश्मीर घाटी में अशांति 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से शुरू हुई थी। गृहमंत्री सिंह ने अपने दौरे को सकारात्मक बताया था, लेकिन कुछ सांसदों से मिलने से इनकार करने पर अलगाववादियों को खरी-खोटी सुनाई थी। कुछ सांसदों से मिलने से हुर्रियत नेताओं के इनकार कर देने से नाखुश सिंह ने कहा था कि उनका बर्ताव लोकतंत्र,  इंसानियत एवं कश्मीरियत के विपरीत है। रविवार को श्रीनगर में हुर्रियत नेताओं ने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे।