नई दिल्ली। अॉनलाइन खरीदारी के जरिये सस्ता सामान लेने के चक्कर में कई बार ग्राहकों को धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है। उन्हें या तो खराब गुणवत्ता का सामान मिलता है या फिर उसी कीमत पर सामान खरीदना पड़ता है जिस कीमत पर वह सामान स्थानीय दुकानों में उपलब्ध है। मगर अब ग्राहकों को एक ऐप के जरिये उनके आसपास की दुकानों में कौन सी चीज सस्ती मिल रही है इस बात की जानकारी आसानी से मिल जाएगी। स्थानीय दुकानदारों और आॅनलाइन खरीदारी करने वालों के बीच की खाई को पाटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में प्राइसमैप नाम का ऐप लांच किया गया है। प्राइसमैप को खुदरा व्यापारियों और खरीदारों के बीच शॉपिंग के ‘गूगल’ के तौर पर पेश किया गया है। इसीलिए इसका पंच लाइन- ‘देख के लो’ रखा गया है।

प्राइसमैप के संस्थापक और सीईओ सुरेश काबरा ने इसकी लॉन्चिंग मौके पर कहा, ‘‘हमने एक शोध में पाया है कि 10 वस्तुओं में से आठ बार आॅनलाइन शॉपिंग की वस्तु करीबी दुकान पर सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो रही है पर उपभोक्ताओं को यह पता ही नहीं है। इससे छोटे दुकानदारों को नुकसान हो रहा था। हमने उपभोक्ताओं को यह यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि उन्हें वस्तुएं सस्ती दरों पर पास की दुकानो से मिल रही हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के आने के बाद जब बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान हल्ला मचा रहे हैं, हमने एक बड़ी समस्या का समाधान किया है।’’

काबरा ने कहा, ‘‘प्राइसमैप का उद्देश्य ऐसा समाधान उपलब्ध कराना है, जिससे स्थानीय व्यपारियों की हितों की रक्षा हो और साथ ही उपभोक्ताओं को भी फायदा हो। प्राइसमैप का काम संभावित खरीदारों को स्थानीय दुकानों तक लाना है ताकि दुकानदार और उपभोक्ताओं के बीच सही मायने में एक संबंध स्थापित हो सके। खुदरा व्यपारियों को किसी तीसरे पक्ष को पेमेंट हासिल करने पर आश्रित नहीं रहना होगा। हाल के दिनों में ऐसे भी कई मामले देखे गए हैं, जिनमें आॅनलाइन पोर्टल बंद हो गए और खुदरा व्यापारियों को बेची जा चुकी चीजों की कीमत प्राप्त नहीं हुई। प्राइसमैप के जरिये खरीदार और दुकानदार के बीच सीधे पैसे की लेनदेन होगी।’’

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के आने के बाद स्थानीय और खुदरा व्यापार पर काफी असर पड़ा है। ऐसे स्थानीय खुदरा छोटे और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की संख्या 1.6 करोड़ के करीब है और ये देश के 60 अरब डॉलर के खुदरा व्यापार में बड़े हिस्सेदार हैं। साथ ही ये सबसे अधिक रोजगार भी प्रदान करते हैं।

कैसे करें ऐप का इस्तेमाल

एक दुकान मालिक को यह ऐप डाउनलोड कर खुद को वहां रजिस्टर करना है। रजिस्टर करने के बाद उन्हें आॅनलाइन उपभोक्ताओं की ओर से स्पेसिफिक प्रॉडक्ट पर क्वेरी आने लगेगी। इस दौरान दुकानदार को अपनी दुकान में रखे सामान को ब्लॉक करने या फिर आॅनलाइन अपलोड करने की जरूरत नहीं है।

दूसरी ओर, सभी उपभोक्ताओं को आॅनलाइन सर्च करके पसंद किए गए प्रॉडक्ट का लिंक ऐप पर शेयर करना है। इसके बाद प्राइसमैप के जरिये उन्हें पता चल जाएगा कि पास में किन किन दुकानों में वह प्रॉडक्ट है और कौन आॅनलाइन से भी सस्ता बेच रहा है। इससे उपभोक्ताओं को सस्ता सामान खरीदने के लिए इस बाजार से उस बाजार या फिर इस दुकान से उस दुकान जाने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें जिस वस्तु की तलाश है वह सबसे अच्छी कीमत पर किस दुकान पर मौजूद है, प्राइसमैप उन्हें यह पता करके देता हैे। वह अपने करीबी दुकान पर जाकर उस वस्तु को देख सकता है और खरीद सकता है।