निर्भया कांड : रिहा होगा नाबालिग दोषी

नई दिल्ली दिल्ली गैंगरेप का नाबालिग दोषी रविवार 20 दिसंबर को रिहा होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुधार गृह में तीन साल रखने की सजा पूरी हो गई है। हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून के तहत दोषी को रिहाई से नहीं रोक सकते। हालांकि कोर्ट ने यह फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड पर छोड़ दिया है। पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया कांड में नाबालिग आरोपी की रिहाई के खिलाफ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। स्वामी ने अपनी याचिका में नाबालिग में सुधार पर संदेह जताते हुए उसे सुधार गृह में ही रखने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार ने भी इस मामले में उसकी रिहाई का विरोध किया था और कहा था कि पहले वह खुद सुधरने का भरोसा दिलाए।

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि हमें इंसाफ नहीं मिला। हम अपने वकील से बात करके आगे की लड़ाई पर फैसला लेंगे। नाबालिग दोषी अब 20 साल का हो चुका है। जिस समय उसने अपराध किया था उस समय उसकी उम्र 18 साल से कम थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने केंद्र सरकार की ओर से हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ को बताया कि रिहाई के बाद की कई अनिवार्य जरूरतें अभी पूरी नहीं हुई हैं। इसलिए उसे सुधार गृह में ही रखने की अवधि बढ़ाने की जरूरत है। वहीं, इस मामले में दिल्ली सरकार ने कहा था कि दोषी को कई बार मानसिक परीक्षण से गुजारा गया है। सरकार उसके पुनर्वास के लिए 10 हजार रुपये और सिलाई मशीन देने को तैयार है। रिहा होने के बाद वह दो साल तक किसी संस्था की निगरानी में रहेगा।

इस बीच, आईबी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उसे दिल्ली हाई कोर्ट ब्लास्ट के एक दोषी ने जेहाद के लिए तैयार किया है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में उसका मानसिक परीक्षण कराने की भी मांग की थी। स्वामी ने कहा था कि वह साबित करे कि वह सुधर चुका है और समाज के लिए खतरा नहीं है।

पीड़िता की मां ने की रिहा न करने की अपील
वहीं पीड़िता की मां ने 16 दिसंबर को अपनी बेटी को साहसिक श्रद्धांजलि देते हुए उसका नाम सार्वजनिक रूप से लिया और कहा कि बलात्कार जैसे घिनौने अपराध करने वाले लोगों को अपने सिर शर्म से झुकाने चाहिए न कि पीड़ितों या उनके परिवारों को। लड़की की मां आशा देवी के साथ पिता बद्री सिंह पांडेय ने घटना को अंजाम देने वाले छह अपराधियों में से कथित रूप से सबसे नृशंस तरीके से अपराध को अंजाम देने वाले किशोर दोषी को रिहा नहीं करने की मांग की थी और कहा था कि वह शहर के लिए खतरा है।

 

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