नई दिल्ली। महान स्वाधीनता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान हादसे में मारे जाने की खबर एक बार फिर सवालों के घेरे में है। अभी तक यही माना जाता रहा है कि 1945 में ताइवान विमान हादसे में नेताजी की मौत हो गई थी लेकिन मंगलवार को नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक होने के बाद इस बात के सबूत मिलते हैं कि वे 1945 में हुए एयरक्रैश में बच गए थे। सरकार की ओर से मंगलवार को सार्वजनिक की गई नेताजी से संबधित गोपनीय फाइलों में एक ऐसा नोट है जिसके अनुसार 18 अगस्त 1945 को ताइपे में विमान दुर्घटना के बाद भी नेताजी ने तीन बार रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित किया था।
28 मार्च को सरकार की ओर से नेताजी से संबधित गोपनीय फाइलों की जो दूसरी श्रृंखला जारी की गई है उसमें नेताजी के इन भाषणों का मूल पाठ मौजूद हैं। इन फाइलों के अनुसार नेताजी ने ताइपे विमान हादसे के बाद पहला रेडियो संबोधन 26 दिसंबर 1945 को, दूसरा एक जनवरी 1946 और तीसरा फरवरी 1946 में दिया था। माना जाता है कि रेडियो प्रसारण का मूलपाठ बंगाल के गवर्नर हाउस से उपलब्ध कराया गया था क्योंकि इन फाइलों में एक स्थान पर गवर्नर हाउस के अधिकारी पीसी कार के हवाले से लिखा गया है कि यह प्रसारण 31 मीटर बैंड से लिया गया है।
अपने पहले रेडियों संदेश में नेताजी ने कहा था कि मैं दुनिया की महान शक्तियों की छत्र छाया में हूं। मेरा दिल भारत के लिए रो रहा है। जब विश्व युद्ध चरम पर होगा तब मैं भारत जाऊंगा। यह मौका दस साल में या उससे पहले आ सकता है। तब मैं उन लोगों का फैसला करूंगा जो लाल किले में मेरे लोगों के खिलाफ मुकदमा चला रहे हैं।
एक जनवरी 1946 के दूसरे प्रसारण में नेताजी ने कहा था कि हमे दो साल में आजादी मिल जाएगी। ब्रितानी साम्राज्यवाद टूट चुका है ओैर उसे अब भारत को आजाद करना ही पड़ेगा। भारत अहिंसा के जरिए आजाद नहीं होने वाला है। मैं फिर भी गांधीजी का सम्मान करता हूं। फरवरी 1946 में अपने तीसरे प्रसारण में नेताजी ने कहा था कि मैं सुभाष चंद्र बोस बोल रहा हूं। जापान के आत्मसमर्पण के बाद मैं अपने भारतीय भाइयों और बहनों को तीसरी बार संबोधित कर रहा हूं। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पिथेक लारेंस समेत तीन सदस्यों को भेजने जा रहे हैं। उनका मकसद सभी तरीकों से भारत का खून चूसकर ब्रितानी साम्राज्यवाद के लिए स्थायी बंदोबस्त करने के अलावा और कुछ नहीं हैं।
नेताजी से जुड़ी ये जानकारियां प्रधानमंत्री कार्यालय की फाइल नंबर 870/11/p/16/92/Pol से मिली हैं। यह सारी जानकारी बंगाल के गवर्नर हाउस से इकट्ठी की गई है। जिस समय यह जानकारी मिली थी उस समय आरजी केसे बंगाल के गवर्नर थे।
गांधी जी के सेक्रेटरी के खत का भी जिक्र