एनडीए के सामने सीटें बचाने की चुनौती

magadh nda

magadh ndaमगध के चार लोकसभा क्षेत्रों में विभिन्न राजनीतिक दल अपने गठबंधन की रणनीति के अनुसार चुनावी माहौल बनाने में जुटे हैं. इन सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा है. गया सुरक्षित, नवादा एवं औरंगाबाद पर भाजपा का कब्जा है, तो जहानाबाद पर 2014 के चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही रालोसपा का कब्जा है. अब रालोसपा एनडीए से अलग हो चुकी है. जदयू के साथ आ जाने से एनडीए का पलड़़ा भारी हुआ है. अब उसके सामने चारों सीटें बचाने की चुनौती है. गया सुरक्षित से भाजपा के हरि मांझी सांसद हैं. 2009 से वह लगातार जीत रहे हैं. इस बार हमके राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम पूर्व मुख्यमंत्री के तमगे के साथ महागठबंधन में हैं. लेकिन, अंतिम समय में वह पाला बदल लें, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. नवादा से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं. इस बार जदयू एनडीए में शामिल है, इसलिए इस सीट से एनडीए का कोई भी उम्मीदवार मजबूत साबित होगा. गिरिराज सिंह का विरोध हिसुआ के विधायक एवं उनके स्वजातीय अनिल कुमार सिंह कर रहे हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि गिरिराज सिंह नवादा से चुनाव लडऩा नहीं चाहते, बल्कि राज्यसभा जाना चाहते हैं. लेकिन, अगर पार्टी ने टिकट दिया, तो चुनाव लडऩा उनकी मजबूरी होगी. ऐसे में उन्हें भितरघात का सामना करना पड़ सकता है. जदयू नेताओं से समन्वय न होना भी उनके लिए मुश्किलें पैदा करेगा.

औरंगाबाद से भाजपा के सुशील सिंह सांसद हैं. 2009 में वह जदयू उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. जदयू जब एनडीए से अलग हो गया, तो उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. 2014 के चुनाव में बतौर भाजपा उम्मीदवार सुशील सिंह को 3,07,941 मत मिले थे. जबकि कांग्रेस के निखिल कुमार 2,41,594 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. यहां भी भाजपा में जबरदस्त गुटबाजी है. भाजपा के कई पुराने नेताओं को सुशील सिंह से विशेष लगाव नहीं है, साथ ही मुख्यमंत्री एवं जदयू प्रमुख नीतीश कुमार से भी उनके संबंध असहज हैं. ऐसे में उन्हें भाजपा एवं जदयू नेताओं-कार्यकर्ताओं का कितना सहयोग मिलेगा, कहा नहीं जा सकता. महागठबंधन से कांग्रेस के निखिल कुमार प्रबल दावेदार हैं. 2014 में जहानाबाद से रालोसपा के डॉ. अरुण कुमार ने एनडीए उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनका चुनावी समीकरण गड़बड़ा गया है. रालोसपा एनडीए से अलग हो गई है, वहीं पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से भी उनके संबंध अच्छे नहीं हैं, लेकिन वह खुद को महागठबंधन का हिस्सा मान रहे हैं. यहां से एनडीए की ओर से जदयू का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम यतन सिन्हा के जदयू में शामिल होने के बाद यहां से चुनाव लडऩे के लिए उनके नाम की चर्चा भी जोरों पर है. महागठबंधन से कई दावेदार हैं, लेकिन किसी की स्थिति स्पष्ट नहीं है. 2014 में रालोसपा उम्मीदवार अरुण कुमार को 3,22,647 मत मिले थे. दूसरे स्थान पर रहे राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव को 2,80,307 मत मिले थे. जबकि जदयू के अनिल कुमार सिंह 1,00,851 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. यहां भी एनडीए उम्मीदवार को जीत के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी. कुल मिलाकर मगध की चारों सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों को महागठबंधन से टक्कर लेनी होगी.

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