ओपिनियन पोस्‍ट । 
महात्मा गांधी की हत्या किसी और ने नहीं बल्की नाथूराम गोडसे ने ही की थी। एमीकस क्‍यूरी (न्यायमित्र) अमरेंद्र शरण ने इस मामले के संबंध में अपनी रिपोर्ट सोमवार को कोर्ट को सौंपी। सरन ने कहा है कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने ही की थी और किसी रहस्यपूर्ण व्यक्ति के हत्या करने का कोई सबूत नहीं मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वीर सावरकर को अपना गुरु मानने वाले पंकज फडनीस ने जो चौथी गोली किसी रहस्यपूर्ण व्यक्ति द्वारा चलाये जाने की बात की है उसके कोई सबूत नहीं मिले हैं। 

mahatma-gandhi-0015

रिपोर्ट में किसी बाहरी बाहरी एजेंसी के हत्या में शामिल होने पर इनकार किया गया है इसलिए महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच या सत्य जानने के लिये कमेटी की गठन की बात रिपोर्ट में खारिज कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महात्मा गांधी की हत्या में रहस्यपूर्ण व्यक्ति और विदेशी ताकत की बात कही गई थी, जिसपर सीनियर एडवोकेट अमरेंद्र सरन को रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। 

याचिका में गांधी हत्याकांड में ‘तीन बुलेट की थ्योरी’ पर सवालिया निशान लगाने के साथ यह सवाल भी उठाया गया था कि क्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने चौथी बुलेट भी दागी थी? इस हत्याकांड में अदालत ने 10 फरवरी, 1949 को गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई थी। 

वहीं, विनायक दामोदर सावरकर को साक्ष्यों की कमी के कारण संदेह का लाभ दे दिया गया था। पूर्वी पंजाब हाई कोर्ट द्वारा 21 जून, 1949 को गोडसे और आप्टे की मौत की सजा की पुष्टि के बाद दोनों को 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गयी थी। 

पड़पोते तुषार गांधी ने किया था जांच का विरोध
महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी 70 वर्ष पहले हुई महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर से खोलने की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए 30 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस दौरान न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एमएम शांतानागौदर की पीठ ने तुषार से ये सवाल कर लिया था कि वे किस हैसियत से इस याचिका का विरोध कर रहे हैं?

महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी

बाद में कोर्ट की पीठ ने कहा था कि इस मामले में कई सारे किंतु-परंतु हैं और अदालत न्यायमित्र अमरेंद्र शरण की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहेगी।