कलह के जिम्‍मेदार, ये पांच किरदार

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी और यादव परिवार की कलह ने फिल्‍मी ड्रामे का रूप ले लिया है। इसमें रोष, आक्रोश, इमोशन, विरोध व समर्थन सबकुछ मिलेगा। कलह की कहानी जिनके इर्द-गिर्द घूमती है, उनमें पांच किरदार मुख्‍य भूमिका में हैं, जिनमें चार तो मंच पर नजर आते हैं, लेकिन एक नेपथ्‍य में ही होता है। पिछले करीब एक सप्ताह से यूपी के सबसे बड़े सियासी परिवार में घमासान, रूठने,  मनाने और इस्तीफे की उठापटक के बाद फैसले वापस लेने तक की कहानी का मंचन हो चुका है, लेकिन विवाद अभी भी सुलझा नहीं है। ऐसे में इस कलह की पूरी कहानी को समझने के लिए इसके किरदारों को समझना बहुत ही जरूरी है। इस ‘गृहयुद्ध’ में पांच अहम किरदार हैं।

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के कंधे पर बंदूक रखकर हर कोई अपने अपने राजनीतिक हित साधने में जुटा है। इनमें कलह के पहले किरदार हैं शिवपाल यादव, जो कि मुलायम के छोटे भाई हैं। दूसरे किरदार हैं अखिलेश यादव, जो मुलायम के बेटे हैं। तीसरे किरदार खुद मुलायम सिंह यादव हैं। चौथे किरदार मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव और पांचवें किरदार हैं राज्यसभा सदस्‍य अमर सिंह। सबसे पहले बात शिवपाल यादव की। मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल न सिर्फ उनके सबसे भरोसेमंद हैं बल्कि यूपी में पार्टी के जमीनी नेता के तौर पर इन्हीं की पहचान मानी जाती है। संगठन का बेहतर अनुभव तो है ही, हर जिले में इनके अपने लोग हैं। अखिलेश से प्रदेश अध्यक्ष का पद छीनकर मुलायम ने इन्हें 13 सितंबर को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। उसी दिन से कुनबे की ये कलह सड़क पर आ गई। दूसरे किरदार हैं, अखिलेश यादव। मुलायम के बेटे और शिवपाल के भतीजे अखिलेश राज्य के मुख्यमंत्री होने के साथ ही सूबे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। मुलायम ने इन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया तो चंद घंटे के भीतर ही शिवपाल से 7 मंत्रालय छीन कर कलह को और बढ़ा दिया। इनकी छवि साफ है और पार्टी का एक बड़ा हिस्सा इनके पक्ष में अभी खड़ा है।

तीसरे किरदार खुद मुलायम सिंह हैं, जिन्होंने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा कर जिम्मेदारी भाई शिवपाल को दे दी। कहने को तो हर कोई अंतिम फैसला नेताजी पर छोड़ता है। लेकिन, शर्तों के साथ। चौथे किरदार रामगोपाल यादव हैं जो कि मुलायम के चेचेरे भाई हैं। ऱाष्ट्रीय राजनीति में रामगोपाल ही पार्टी का चेहरा हैं। इस विवाद में रामगोपाल, अखिलेश के साथ हैं। शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पक्ष में भी वह नहीं हैं। पांचवें किरदार अमर सिंह हैं। जो न तो इस परिवार के सदस्य हैं और न ही ड्रामे के मंच पर नजर आ रहे हैं। उनकी गूंज नेपथ्‍य से ही सुनाई पड़ती है। कहा जा रहा है कि इन्हीं के गुणा-गणित की वजह से पूरा खेल हो रहा है। अमर सिंह को अखिलेश और रामगोपाल पसंद नहीं करते जबकि शिवपाल से इनकी खूब छनती है। शिवपाल को अध्यक्ष बनवाने के पीछे इन्हीं का दिमाग माना जा रहा है। अखिलेश और रामगोपाल ने जिस ‘बाहरी’ पर हमला किया है वह यही हैं।

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