मथुरा में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस पर हमला, सिटी एसपी व एसओ सहित 27 की मौत

मथुरा। गुरुवार को मथुरा के जवाहरबाग में जो खूनी मंजर सामने आया उसकी आशंका पहले से शायद ही किसी को थी। अगर होती तो शायद पुलिस के दो अफसरों को शहादत न देनी पड़ती। 270 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए बैठे कथित सत्याग्रहियों को जब पुलिस हटाने गई तो उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग और बम से हमले होंगे। उपद्रवी यहीं नहीं रुके। उन्होंने गैस सिलेंडर और बारूद से विस्फोट कर जवाहरबाग को आग के गोले में तब्दील कर दिया। इस घटना में मथुरा के सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव सहित 27 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। कई लोग आग में जिंदा ही जल गए। उनके शव तक नहीं मिले। पुलिस के तीन सिपाही गायब हैं। घटना में 23 पुलिस वाले और 200 लोग घायल भी हुए हैं। राज्य सरकार ने लापरवाही के आरोप में मथुरा के जिलाधिकारी और एसएसपी को सस्पेंड कर दिया है।

शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी
शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी

लपटें शांत होने के बाद शुक्रवार को जवाहरबाग में लाशें खोजने का दौर जारी रहा। सर्च ऑपरेशन में दर्जनों हथियार और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए गए हैं। दो उपद्रवी भी पेड़ पर चढ़े हुए मिले। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही शहीद पुलिस वालों को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। राज्य के डीजीपी जावीद अहमद ने बताया कि पुलिस को तलाशी अभियान में पांच दर्जन तमंचे, कई राइफलें, सैकड़ों कारतूस और बारूद आदि बरामद हुआ है। गैस सिलेंडर फटने से आग ने विकराल रूप धारण किया। बारूद में विस्फोट से धमाके और तेज हो गए थे। कब्जेधारियों की मौत इसमें जलने से हुई है। इन हथियारों की बरामदगी से यही लगता है कि इन लोगों ने पहले से पूरी तैयारी कर रखी थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौके पर इतने हथियारों से सामना होगा यह अंदाजा पुलिस नहीं लगा पाई। पुलिस को उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। अब तक 124 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 336 को हिरासत में लिया गया है। कब्जाधारियों का नेता रामवृक्ष भी गायब है। ऐसी चर्चा है कि वह भी मर गया है। जावीद अहमद के अलावा प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने मथुरा में डेरा डाल दिया है। चूक कहां हुई इस पर गुपचुप वार्ता चल रही है मगर कोई अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

शहीद एसओ संतोष यादव
शहीद एसओ संतोष यादव

जिला मुख्यालय से सटे जवाहरबाग पर कथित सत्याग्रहियों का करीब दो साल से कब्जा था। रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में इन लोगों ने प्रशासन की नाक में दम कर रखा था। इस जमीन को खाली कराने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दे रखा था। पुलिस प्रशासन लंबे समय से प्लानिंग में जुटा हुआ था कि जमीन कैसे खाली कराई जाए। चार जून को जवाहरबाग पर चढ़ाई की योजना थी। पुलिस अंदर कैसे प्रवेश करेगी। इस पर भी विचार हुआ था। रिहर्सल के लिए गुरुवार को एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पुलिस और पीएसी के साथ जवाहरबाग गए थे। कई जगह से दीवार तोड़ने की योजना थी ताकि जब चढ़ाई हो तो रास्ता खोजना न पड़े। मगर उपद्रवी पहले से तैयारी में थे। पुलिस के पहुंचते ही उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। बम फोड़ने लगे। आग लगा दी।

अचानक हुए इस हमले से पुलिस पीछे हट गई और सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी घिर गए। एसओ फरह संतोष उन्हें बचाने पहुंचे। दोनों को गोली लगी थी। इसके बाद पुलिस ने भी फायरिंग शुरू कर दी। दिलदहला देने वाली इस घटना ने पूरे मथुरा को हिला दिया है।

केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

राज्य सरकार मथुरा कांड से उपजे हालात पर गहरी नजर रखे हुए है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आला अफसरों से अपडेट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से टेलीफोन पर बातचीत की और हालात की जानकारी दी। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई से उन्हें अवगत कराया। दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी यूपी सरकार से पूरे मामले की रिपोर्ट देने को कहा है। इस बारे में हालांकि गृह विभाग के अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं लेकिन डीजीपी मुख्यालय के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा रही है।

 रेकी करने गई थी पुलिस – डीजीपी
– यूपी के डीजीपी ने बताया कि पुलिस जवाहरबाग में रेकी करने गई थी। वास्तविक कार्रवाई 2-3 दिन बाद होनी थी।
– पहले यह कहा जा रहा था कि पुलिस कब्जा हटाने के लिए ही जवाहर बाग पहुंची थी।
– उन्होंने बताया कि उपद्रवियों ने झोपड़ियों में रखे सिलेंडर में आग लगा दी। इससे जो विस्फोट हुआ उससे भी कई उपद्रवी चोटिल हुए।
– उपद्रवी मथुरा के लोगों को परेशान करते थे। फायरिंग के दौरान जब ये लोग भागने लगे तो उन्हें पकड़ने में स्थानीय लोगों ने मदद की।
– अब तक 47 कट्टे, 6 राइफलें और 178 जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं। 15 गाड़ियां और 6 बाइक भी बरामद की गई।
– अब तक 124 लोगों को गिरफ्तारी बलवा करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और मर्डर के आरोप में अरेस्ट किया गया है। इन लोगों के खिलाफ एनएसए लगाने की कार्रवाई भी होगी।
– डीजीपी ने कहा, ”रामवृक्ष यादव, चंदन बोस, विवेक यादव और राकेश संगठन के मुखिया थे। इनमें से जो भी जिंदा है उन्हें हम गिरफ्तार करेंगे। इन लोगों पर एनएसए लगाया जाएगा।”
ये थी उपद्रवियों की अजीबोगरीब मांग
रामवृक्ष यादव
रामवृक्ष यादव

1- खुद को सुभाषचंद्र बोस का अनुयायी कहने वाले ये लोग पेट्रोल और डीजल की कीमत एक रुपये लीटर करने की मांग कर रहे थे।
2- देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन किया जाए।
3- आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं। इसी की सरकार देश में शासन करे।
4- जयगुरुदेव का मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाए।
5- आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन शुरू की जाए।
6 – जवाहरबाग की 270 एकड़ जमीन ‘सत्‍याग्रहियों’ को सौंप दी जाए।
7 – ‘सत्‍याग्रहियों’ पर पुलिस कोई कार्रवाई न करे।
8 – देश में अंग्रेजों के समय से चल रहे कानून खत्‍म किए जाएं।
9 – पूरे देश में मांसाहार पर बैन लगाया जाए। मांसाहार करने वालों को सजा दी जाए।

कैसे किया जमीन पर कब्जा
– इनकी 9 सूत्री मांग है, जिसके लिए ये 2 साल पहले दिल्‍ली जाकर सत्‍याग्रह करने वाले थे।
– दिल्‍ली में जगह नहीं मिलने की वजह से इन्‍होंने मथुरा के जवाहर बाग में ही अपना डेरा जमा लिया।
– हालांकि, मथुरा प्रशासन ने इन्‍हें एक दिन के लिए यहां सत्‍याग्रह करने की अनुमति दी थी।
– लेकिन सत्‍याग्रहियों ने एक दिन बितने के बाद भी यह जगह खाली करने से मना कर दिया।
– इसके बाद प्रशासन ने इन्‍हें कई बार समझाने और जगह खाली करवाने की कोशिश की लेकिन ये नहीं मानें।
– इस दौरान इन्‍होंने कई बार समझाने गए अधिकारियों के साथ मारपीट भी की।
mathura3कौन है लीडर
– उपद्रव में शामिल तीन हजार लोगों का नेता रामवृक्ष यादव नाम के शख्स को बताया जा रहा है।
– रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। जयगुरुदेव की विरासत के लिए समर्थन नहीं मिलने पर उसने अलग गुट बना लिया था।
– करीब दो साल पहले इन लोगों ने खुद को ‘आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही’ घोषित किया था और धरने की आड़ में जवाहरबाग पर कब्जा कर लिया था।
– रामवृक्ष यादव के खिलाफ पहले से हत्‍या की कोशिश, जमीन कब्‍जा करने सहित आठ मुकदमे चल रहे हैं।
घटना पर एक नजर

-पुलिस जवाहरबाग की करीब 270 एकड़ जमीन पर अवैध कब्‍जा हटाने पहुंची। ये जमीन बागवानी विभाग की है।

-स्थानीय प्रशासन ने 2 दिन पहले बाग पर कब्‍जा किए लोगों को नोटिस देते हुए इसे 24 घंटे के अंदर खाली करने की चेतावनी दी थी।

– इसके बाद भी अवैध कब्जा करने वालों ने बाग को खाली नहीं किया।
– गुरुवार को पुलिस जवाहरबाग पहुंची। बाग में करीब 3 हजार लोग मौजूद थे।
– पुलिस को देखते ही लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। इससे अफरा-तफरी मच गई। भीड़ ने आगजनी भी की।
– फायरिंग में एडि‍शनल एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, सिटी मजिस्ट्रेट रामअरज यादव, एसओ प्रदीप कुमार और एसओ संतोष कुमार यादव को गोली लग गई।
– हॉस्‍पिटल ले जाते समय संतोष कुमार यादव की मौत हो गई।
– वहीं, मुकुल द्विवेदी की आगरा के नयति हॉस्पि‍टल में इलाज के दौरान मौत हो गई।

 

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