गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में 24 दोषी, 6 जून को सजा का ऐलान

 अहमदाबाद। गुजरात की विशेष अदालत ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगे में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में 24 लोगों को दोषी ठहराया है जबकि 36 को बरी कर दिया है। जिन लोगों को बरी किया गया है, उनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर और भाजपा पार्षद बिपिन पटेल शामिल है। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा कि साजिश के तहत इस घटनाक्रम को अंजाम नहीं दिया गया है। दोषियों को 6 जून को सजा सुनाई जाएगी। इस नरसंहार में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
14 साल बाद आए इस फैसले से दिवंगत अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी नाखुश हैं। उनका कहना है कि अभी पूरा इंसाफ नहीं मिला है। कुछ लोग बरी हो गए हैं। वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगी। गौरतलब है कि गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में स्थित गुलबर्ग सोसायटी पर हजारों लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था। इसके बाद पूरी सोसायटी में आग लगा दी गई। इस मामले में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम आया था लेकिन उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।

विशेष अदालत के न्यायाधीश पीबी देसाई ने 22 सितंबर 2015 को ट्रायल खत्म होने के आठ महीने से भी ज्यादा समय बाद ये फैसला सुनाया। मामले की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी अदालत को निर्देश दिया था कि वह अपना फैसला 31 मई तक सुनाए। पिछले हफ्ते अदालत ने नारायण टांक और बाबू राठौड़ नाम के दो आरोपियों की ओर से दायर वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नार्को एनालिसिस और ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने की गुहार लगाई थी। अदालत ने कहा कि अब जब फैसला आने वाला है तो इसकी जरूरत नहीं है।

क्या था मामला
28 फरवरी, 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ गुलबर्ग सोसायटी में घुस गई और मारकाट मचा दिया। इस हमले में 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद 39 लोगों के शव बरामद हुए थे जबकि 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। इस मामले की सुनवाई सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शुरू हुई। मामले की जांच भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुरू की। कुल 66 आरोपी बनाए गए जिनमें चार की मौत हो चुकी है। 24 में से 11 आरोपी को हत्‍या का दोषी पाया गया है। वहीं, 13 दोषियों को दूसरे मामले में दोषी ठहराया गया। इन आरोपियों में से नौ लोग जेल के अंदर हैं जबकि छह फरार हैं। वहीं बाकी जमानत पर जेल के बाहर हैं। मामले में कुल 338 लोगों की गवाही हुई और 3000 दस्तावेज पेश किए गए। इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से भी एसआईटी ने पूछताछ की थी।

घटना पर एक नजर

  • 28 फरवरी, 2002 – गोधरा कांड के एक दिन बाद 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाले गुलबर्ग सोसायटी पर भीड़ ने हमला बोला। सोसायटी में एक पारसी परिवार सहित सभी मुस्लिम रहते थे। पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी भी यहां रहते थे। इसमें कुल 69 लोगों की हत्या कर दी गई।
  • 8 जून, 2006- एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने पुलिस को एक फरियाद दी जिसमें इस हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया। पुलिस ने फरियाद लेने से मना कर दिया।
  • 7 नवंबर, 2007- गुजरात हाईकोर्ट ने भी जाकिया की फरियाद पर जांच करवाने से मना कर दिया।
  • 26 मार्च, 2008- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 10 बड़े केसों की जांच आरके राघवन की अध्यक्षता में बनी एसआईटी को सौंपी। इनमें गुलबर्ग सोसायटी का मामला भी था।
  • मार्च 2009- जाकिया की फरियाद की जांच करने का जिम्मा भी सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा।
  • सितंबर 2009- ट्रायल कोर्ट में गुलबर्ग हत्याकांड की सुनवाई पहली बार हुई।
  • 27 मार्च 2010- नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने जाकिया की फरियाद के संदर्भ में समन किया और कई घंटों तक पूछताछ की।
  • 14 मई 2010- एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी।
  • जुलाई 2011:-एमिकस क्‍यूरी राजू रामचन्द्रन ने इस रिपोर्ट पर अपना नोट सुप्रीम कोर्ट में रखा।
  • 11 सितंबर 2011- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ा।
  • 8 फरवरी 2012- एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट की कोर्ट में पेश की।
  • 10 अप्रील 2012- मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट ने एसआईटी की रिपोर्ट को माना कि मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। इस मामले में 66 आरोपी हैं। जिसमें प्रमुख आरोपी भाजपा के असारवा के पार्षद बिपिन पटेल भी हैं।
  • सितंबर 2015- इस मामले का ट्रायल खत्म हो गया।
अहसान जाफरी और जाकिया जाफरी
कौन थे जाफरी
अहसान जाफरी मूल रूप से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के रहने वाले थे। इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में वह सांसद चुने गए थे। इस नरसंहार से पहले अहमदाबाद के पुलिस कमिशनर पीसी पांडे ने जाफरी से मुलाकात की और उनके परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही लेकिन सोसायटी के दूसरे लोग भी जाफरी के घर आकर जमा हो गए। इसलिए जाफरी ने उन लोगों को छोड़कर जाने से इनकार कर दिया था। यह जानकारी उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने कोर्ट में अपने बयान में दी थी।

 

 

2 thoughts on “गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में 24 दोषी, 6 जून को सजा का ऐलान

  1. you’re actually a excellent webmaster. The site loading velocity is amazing. It kind of feels that you’re doing any distinctive trick. In addition, The contents are masterpiece. you have done a magnificent job in this matter!

  2. A person necessarily assist to make severely articles I might state. This is the very first time I frequented your website page and to this point? I amazed with the analysis you made to make this actual submit amazing. Fantastic process!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *