दुनिया की सबसे लंबी सुरंग का राज

नई दिल्‍ली।

भारत को घेरने के लिए चीन एक साथ कई योजनाओं पर काम कर रहा है। चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर की दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है।

हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने खबर दी है कि इस कदम से ‘शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने’ की उम्मीद है। इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गई है क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी। दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा। भारत में इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है।

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से कई बांध बनाए जाने को लेकर भारत बीजिंग को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है। तिब्बत-शिनजियांग जल सुरंग के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने में सहायक रहे शोधकर्ता वांग वेई ने कहा कि शोध कार्य में 100 से अधिक वैज्ञानिकों के अलग-अलग दल बनाए गए हैं। चीन की सरकार ने मध्य युनान प्रांत में इसी साल अगस्त में 600 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बनाने का काम आरंभ किया।

एक तरफ एक बार फिर चीन के राष्ट्रपति चुने गए शी जिनपिंग कहते हैं कि उनकी आर्मी का फोकस जंग जीतने पर होना चाहिए तो दूसरी तरफ भारत सीमा पर रह रहे तिब्बती बस्ती के लोगों से कहा कि चीनी भूभाग की रक्षा के लिए जड़ें जमा कर रखें। यानी चीन न सिर्फ बड़ी चालों से बल्कि भारत के खिलाफ छोटी छोटी चालें चलकर उसे मात देने की कोशिश कर रहा है।

इंजीनियरों ने अपना प्लान इसी साल मार्च में चीनी सरकार को सौंपा था, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं मिली है। उधर, भारतीय क्षेत्र पर अपना हक जताने के लिए चरवाहों का प्रयोग चीन कई सालों से करता आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश में चरवाहों को भेज चीन उसे अपना इलाका बताता रहा है। वहीं अब चीन ने एक बार फिर इस प्लान की ओर कदम बढ़ाया है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत के लुंजे काउंटी के एक चरवाहा परिवार को लिखा है, ‘क्षेत्र में शांति के बिना, लाखों परिवारों के लिए जीवन शांतिपूर्ण नहीं होगा।’ यानी चीन का प्लान चरवाहों को अपना नागरिक कहकर मानवाधिकार का हवाला देकर उस सीमा पर दावा करते रहने का है। लुंजे भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास है, जिस पर चीन अपना दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है।

चीन भारत को सैनिक ताकतों से भी डराना चाहता है। यही वजह है कि एक बार फिर चीन के राष्ट्रपति चुने गए शी जिनपिंग ने अपनी पहली ही बैठक में सेना पर जोर दिया। शी जिनपिंग ने दुनियाभर को संदेश भेजा कि वह कितनी तेजी से वर्ल्ड क्लास सैन्य शक्त‍ि‍ बनने की ओर अग्रसर हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *