नई दिल्ली।

दिल्ली में अपनी और पार्टी की छवि और जमीन फिर मजबूत करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर जनता दरबार लगाना शुरू कर दिया है। इस दरबार में किसी को भी बिना अपॉइंटमेंट मिलने की इजाजत होती है। उनके अलावा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया,  स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन समेत तमाम मंत्री अपने घर पर जनता दरबार लगा रहे हैं।

केजरीवाल ने निर्देश दिए थे कि 1 जून से सभी मंत्री और अधिकारी आम जनता से मिलकर उनकी समस्या का समाधान करेंगे। सुबह सीएम केजरीवाल के घर 10:00 बजे से ही मिलने वालों का तांता लगा रहा। शुरू में कई लोगों को भीतर जाने में काफी दिक्कत हुई क्योंकि भीड़ को देखते हुए मुख्यमंत्री आवास पर लोगों को लाइन लगाकर बारी-बारी से जाने की सलाह दी जा रही थी।

अपनी समस्या बताने आए दिल्ली के रवि कुमार ने कहा कि वह अपनी दिल्ली फायर सर्विस विभाग में भर्ती की समस्या लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आए थे और मुलाकात के बाद में मुख्यमंत्री से आश्वासन मिला है कि वह दमकल विभाग में भर्तियों का मुद्दा उपराज्यपाल के सामने उठाएंगे। नांगलोई से सेवानिवृत्‍त होमगार्ड मुकेश कुमार ने भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर अपनी बात कही। उन्‍हें मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि 24 घंटे के भीतर ही होमगार्डों की भर्ती को लेकर सरकार आदेश जारी करेगी।

इसी तरह बाहरी दिल्ली से आम आदमी पार्टी के कुछ पुराने कार्यकर्ता भी अपने स्थानीय नेताओं की शिकायत लेकर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आए। इनकी शिकायत थी कि बवाना विधानसभा सीट से रामचंद्र की जगह गजानंद को टिकट दें। कार्यकर्ताओं के मुताबिक- इस मुद्दे पर केजरीवाल ने उनको कोई आश्वासन नहीं दिया।

मुलाकात करने वालों में गेस्ट टीचर भी थे। मुख्यमंत्री से आमने सामने बात करके उन्हें संतुष्टि तो थी लेकिन वे मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मुख्यमंत्री से मुलाकात करने आए और नौकरियों को पक्का किए जाने की मांग उन्होंने रखी, लेकिन दिल्ली सचिवालय में जो आम लोग अपनी समस्या लेकर आए उन्हें निराश होना पड़ा, क्योंकि दिल्ली सचिवालय में किसी मंत्री या अधिकारी का जनता के लिए समय तय नहीं था।

दरअसल, पिछली बार 2014 में दिल्ली सचिवालय में जनता दरबार लगाकर केजरीवाल फंस गए थे, क्योंकि बड़ी तादाद में जनता वहां आ गई और कार्यक्रम सफल नहीं हो पाया था। इसलिए इस बार विकेन्द्रीकृत तरीके से इस कार्यक्रम को करने का फैसला किया गया, लेकिन ये कहीं नहीं बताया गया कि कौन अधिकारी कहां उपलब्ध होगा या कौन मंत्री सुबह कहां मिलेगा, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रही।