नई दिल्ली। आतंकी बुरहान वानी के खात्मे के बाद कश्मीर में हिंसा और अशांति का दौर जारी है। घाटी के कई इलाकों में कर्फ्यू है, तो 11 साल बाद एक बार फिर शांति के उद्देश्य से कश्मीर घाटी में बीएसएफ को तैनात किया गया है। केंद्र सरकार ने घाटी में सीमा सुरक्षा बल के 2600 जवानों की तैनाती की है। उधर, पीएम मोदी ने सोमवार को कहा, ‘घाटी में जान गंवा रहे युवा, फौजी और पुलिसकर्मी हमारे ही हैं। उनकी मौत पर दर्द होता है।’ उन्होंने संविधान के दायरे में वार्ता से स्थायी हल ढूंढने की जरूरत बताई। राजनीतिक दलों से भी उन्होंने मिलकर काम करने की अपील की। जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान मोदी ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार और देश घाटी के लोगों के साथ है। उन्होंने घाटी में हालात सामान्य बनाने की लोगों से अपील की।

घाटी में बीएसएफ की 26 कंपनियों को राज्य के समस्याग्रस्त इलाकों में कानून व्यवस्था बनाने के लिए भेजा जा रहा है। इन बलों को गुजरात,  राजस्थान और पश्चिम बंगाल से लिया गया है। इसके अतिरिक्त अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी से हटाए जाने के बाद बल की 30 अतिरिक्त कंपनियों को भी अगले कुछ दिन में राज्य में भेजे जाने की संभावना है।

इससे पहले 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियान के तहत घाटी में बीएसएफ को तैनात किया गया था। स्थानीय लोगों के मन में बीएसएफ की छवि एक आक्रामक और क्रूर बल की है। 2005 में बीएसएफ की जगह सीआरपीएफ को कश्मीर में तैनात किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में मदद के लिए शहर के लाल चौक और आसपास के इलाकों में बीएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।

दूसरी ओर, अलगाववादियों ने घाटी में अपने विरोध प्रदर्शन और बंद को 25 अगस्त तक बढ़ा दिया है। लिहाजा, इलाके के सभी स्कूल-कॉलेज, बाजार, सार्वजनिक परिवहन और दूसरे व्यापार बंद हैं। पुराने श्रीनगर और अनंतनाग में कर्फ्यू जारी है और कुलगाम, शोपियां, पुलवामा, बारामूला, बांदीपुरा, कुपवाड़ा और बडगाम में भी पाबंदी लगाई गई है। कश्मीर हिंसा में अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है।