नोटबंदी से अर्थव्यवस्था सुस्ती की तरफ बढ़ने लगी है, इसकी तस्दीक अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी करने लगी हैं। विश्व बैंक के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर दी है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2016-17 के वृद्धि दर अनुमान को 7.6 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है। विकास दर अनुमान को घटाने के पीछे आईएमएफ ने नोटबंदी से पैदा हुई अस्थायी नकारात्मक खपत को वजह बताया है।

आईएमएफ की ओर से सोमवार को जारी की गई इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2016-2017 के लिए एक फीसदी और अगले वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भारत की वृद्धि दर को 0.4 फीसदी कम कर दिया गया है। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि 2016 में सुस्त रही अर्थव्यवस्था अगले दो साल में ठीक हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देश आगे के सालों में तेजी दिखा सकते हैं। 2018 में भारत 7.7 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेगा। वहीं, वैश्विक विकास की वृद्धि दर 3.1 फीसदी रखी गई है।

इससे पहले विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि दर 7.6 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया था। जबकि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है। हालांकि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद उपजी स्थिति को इसमें शामिल नहीं किया था। इसलिए इस तरह की भी आशंका जताई जा रही है कि विकास दर छह फीसदी के आसपास सिमट सकती है।