हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार 84 साल की उम्र में भी सक्रिय हैं। 1977 में वह पहली बार हिमाचल के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। वह दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें लोग जन नेता के तौर पर ज्यादा जानते हैं, हालांकि उनकी अड़ियल नेता की भी छवि रही है। निशा शर्मा ने उनसे विभिन्न मसलों पर बात की।

टिकट बंटवारे से पहले लग रहा था भाजपा की सत्ता में वापसी होगी। पर अब अंदरूनी कलह की चर्चा ज्यादा है?
प्रदेश में हवा बीजेपी की है, टिकटों को लेकर हर कोई चाहता है कि उसे सीट मिले लेकिन बीजेपी में कांग्रेस की तरह परिवारवाद नहीं है। पार्टी को जो उचित उम्मीदवार लगा है, उसे टिकट दिया गया है।

कहा जा रहा है कि पार्टी ने उन उम्मीदवारों को नजर अंदाज किया है जिन्होंने पांच साल लोगों के बीच में जाकर काम किया?
ऐसा कई बार होता है लेकिन पार्टी में एक अनुशासन है, जिसके निर्णय का बाद में सभी लोग स्वागत करते हैं। थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन ऐसा नहीं है कि जिन्हें टिकट नहीं मिला वे पार्टी से नाराज हो जाएंगे। वह भी पार्टी का हिस्सा थे और रहेंगे।

कौन से मुख्य मुद्दे हैं जिनके आधार पर आप चुनाव लड़ने जा रहे हैं?
मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार का मुद्दा है, बेरोजगारी का है विकास का है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 70 साल में कांग्रेस गरीब लोगों का भाग्य नहीं बदल पाई। हिमाचल में जब-जब हमारी सरकार रही हमने आमजन की मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया है और आगे भी देंगे। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बहुत बढ़िया काम कर रही है। हिमाचल में कांग्रेस का बुरा हाल है। राज्य के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। वह अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में कौन होगा जो अपने प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के हाथ में सौंपना चाहेगा।

जीएसटी को लागू करने के तरीके से उपजी नाराजगी क्या आपको नुकसान पहुंचा सकती है?
केंद्र के बहुत बढ़िया-बढ़िया निर्णय रहे हैं लेकिन प्रदेश उन निर्णयों को सही तरीके से लागू नहीं कर पाया। यह सब लोगों को पता है। इसका बीजेपी नहीं कांग्रेस पर प्रभाव पड़ेगा।

लोग कह रहे हैं कि बीजेपी ने मुंह का निवाला भी छीन लिया?
देखिए ऐसा नहीं है, लोगों को पता है कि अगर आम जनता की बुनियादी चीजों को कोई पूरा कर सकता है तो वह बीजेपी है। बीजेपी ने जनता के हित में सभी निर्णय लिए हैं। काम सभी पार्टियां करती हैं लेकिन लोग जानते हैं कि अगर वह बीजेपी को वोट देंगे तो नरेंद्र मोदी की सरकार हिमाचल में तेजी से विकास लाएगी।

खबर है कि सीएम उम्मीदवार को लेकर बीजेपी दो हिस्सों में बंटी है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है, हाईकमान जिसको चुनेगा पार्टी के सभी सदस्य उसका स्वागत करेंगे। पार्टी में अनुशासन देखा जाता है चेहरा नहीं।

लोग तो वीरभद्र को पसंद कर रहे हैं। कह रहे हैं कि सरकार ने काम किया है। हालांकि आप कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने कोई काम ही नहीं किया?
कोई भी मुख्यमंत्री को पसंद नहीं करता। विकास के मामले में हिमाचल पिछड़ गया है। पांच साल में पार्टी ने कुछ नहीं किया। मैं फिर दोहराऊंगा कि जिस मुख्यमंत्री को अपने मुकदमों की पैरवी के लिए अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हों, वह तो नैतिक तौर पर ही खत्म हो जाता है, वह राज्य के लिए क्या करेगा?

राज्य में लॉ एंड आर्डर को लेकर क्या कहना चाहेंगे?
लॉ एंड आर्डर की बहुत बुरी हालत है। पहली बार राज्य के इतिहास में इतना बड़ा मामला हुआ है। पहली बार लोग इतना गुस्साए कि सड़कों पर उतर आए। पहली बार थाने को आग लगाई। पहली बार जांच में दबाव की कहानी आई और पुलिस के आठ लोग गिरफ्तार करने पड़े। पहली बार सीबीआई को मामले में दखल देना पड़ा। यही नहीं, अभी तक मामले में अपराधियों का पता नहीं लग पाया है। लॉ एंड आर्डर की ऐसी हालत कभी नहीं थी जैसी आज है और इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार पर है।

किसानों की फसल के नुकसान पर क्या कहना चाहेंगे?
केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना है लेकिन लोगों तक नहीं पहुंच पाई है। अगर वह लोगों तक पहुंचती है तो उससे किसानों को फायदा होगा। केंद्र सरकार की योजनाएं लोगों तक कांग्रेस के कारण नहीं पहुंची हैं, लेकिन बीजेपी आएगी तो हम योजनाओं को अच्छे से, जल्दी लागू करेंगे।

कहा जाता है कि पार्टी ने आपको दरकिनार किया है। राज्य में आप जैसे बड़े चेहरे और अनुभव का पार्टी इस्तेमाल नहीं करती?
ऐसा नहीं है पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है और पार्टी जो मुझसे करवा सकती है, मैं करने के लिए तैयार हूं।