हेलसिंकी में ट्रंप-पुतिन के गिले-शिकवे दूर

नई दिल्ली।

ऐसा शायद ही देखने या सुनने को मिले कि कोई राष्ट्राध्यक्ष अपने ही देश की खुफिया एजेंसी के खिलाफ जाकर किसी अन्य देश का समर्थन करे। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐसा कर दिखाया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में हुई मुलाकात के साथ ही दोनों देशों के बीच तल्खी कम हो गई है।

माना जा रहा है कि ट्रंप और पुतिन की दोस्ती मजबूत होने से भारत की विदेश नीति भी मजबूत होगी। अमेरिका और चीन के बीच विवादों से खड़े हुए ट्रेड वॉर के बीच यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। वैश्विक मामलों के जानकारों का दावा है कि इस मुलाकात के परिणाम का असर दुनिया के कई क्षेत्रों पर पड़ने का आसार हैं।

सीरिया में रासायनिक हमले और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल को लेकर दोनों देश एक दूसरे के आमने-सामने आ गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी भी देखने को मिली थी। इससे भारत का चिंतित होना स्‍वाभाविक था, क्योंकि दोनों ही देश भारत के अहम सहयोगी हैं।

रूस और अमेरिका के बीच एक झटके में सुधरे रिश्तों का भारत ने स्वागत किया है, क्योंकि दोनों महाशक्तियों के बीच टकराव की स्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी।

भारत के सामने अपने दोनों अहम सहयोगियों को साथ लेकर चलना चुनौतीपूर्ण बन गया था। इसके अलावा अमेरिका से टकराव पैदा होने के चलते रूस के चीन और पाकिस्तान के करीब जाने से भी भारत चिंतित था।

ऐसी स्थिति में भारत के आतंकवाद के खिलाफ अभियान को नुकसान पहुंच सकता था। साथ ही अमेरिकी प्रतिबंध के चलते रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने में भी भारत को दिक्कत होने वाली थी। इससे भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करने की कोशिश को झटका लगता।

ऐसे हालात में अगर भारत रूस से रिश्ता रखता, तो अमेरिका नाराज होता और यदि अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाता, तो रूस नाराज होता। मौजूदा हालत को देखते हुए भारत के लिए अपने किसी भी सहयोगी को छोड़ना संभव नहीं है।

दोनों में से किसी भी सहयोगी की नाराजगी से भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता पाने की कोशिश को भी झटका लग सकता था। सोमवार को ट्रंप और पुतिन के बीच जिस तरह से सकारात्मक वार्ता हुई, वो भारत के लिए बेहद अहम हैं।

2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी हस्तक्षेप के सवाल पर ट्रंप ने कहा कि उनके पास इस पर विश्वास करने के लिए कोई कारण नहीं हैं। ट्रंप और पुतिन के बीच यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब बीते हफ्ते ही, मूलर ने अमेरिकी चुनावों के दौरान ट्रंप की प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन और उनकी डेमोक्रैटिक पार्टी के कंप्यूटर सर्वर को हैक करने और उसे लीक करने लिए 12 रूसी खुफिया अधिकारियों पर आरोप लगाया था।

हेलसिंकी में डॉनल्ड ट्रंप के रूस के प्रति रवैये पर उनकी अपने ही देश में काफी आलोचना हो रही है। दरअसल, ट्रंप पर चुनाव में रूसी हस्तक्षेप का मुद्दा पुतिन के सामने उठाने का दबाव था लेकिन उन्होंने बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मॉस्को के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा।

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