कालेधन का कुबेर निकला गुजरात का चाय वाला

नोटबंदी के बाद से काली कमाई को सफेद करने में जुटे लोगों की धरपकड़ जारी है। इसी कड़ी में इनकम टैक्स विभाग को एक ऐसे शख्स का पता चला जिसके बारे में जानकर विभाग के अधिकारी हैरान रह गए। इससे भी ज्यादा हैरानी उन्हें तब हुई जब उसकी अवैध संपत्तियों की जांच पड़ताल शुरू हुई। पिछले चार दिन से उसकी संपत्तियों की जांच चल रही है। अब तक 400 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का पता चल चुका है। खुद को फाइनेंसर बताने वाला गुजरात के सूरत शहर का यह शख्स किसी जमाने में ठेले पर चाय-पकौड़े बेचा करता था।

उसके दर्जनों बैंक खातों, लॉकरों और अन्य ठिकानों पर आयकर विभाग की जारी छापेमारी में अब तक 14 किलो सोना, एक किलो हीरे के जेवरात और 180 किलो चांदी मिल चुकी है। उसके लॉकरों की तलाशी में एक करोड़ 33 लाख की नकदी भी मिली है जिनमें 95 लाख रुपये दो हजार रुपये के नए नोट की शक्ल में थे। आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि शहर के उधना विस्तार की गायत्री सोसायटी के निवासी किशोर भजियावाला के यहां द सूरत पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक के एक दर्जन से अधिक लॉकरों, उसके कार्यालय तथा अावास पर किए सर्वें में कई संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं।

कई साल पहले उधना क्षेत्र में ही ठेले पर चाय पकौडी बेचने का धंधा करने वाले किशोर भजियावाला ने बाद में ऊंची ब्याज दर पर लोगों को पैसे देने का धंधा शुरू किया। वह जरुरतमंदों को पैसे देता था और इसकी एवज में उनकी प्रॉपर्टी अपने नाम लिखवा लेता था। यहां तक ही वो पैसे वापस नहीं करने वाली महिलाओं के मंगलसूत्र भी अपने पास रख लेता था। एक समय ऐसा भी था जब वह सेठों को चाय-भजिया बनाकर खिलाता था, बाद में उसने उन्हीं सेठों को ब्याज पर रुपये देना शुरू कर दिया। उस पर एक स्थानीय पंजाबी परिवार की फैक्टरी भी इसी तर्ज पर हड़प लेने के आरोप हैं। बताया जाता है कि भजियावाला लोगों को जुआ खेलने के लिए भी उधार देता था। अगर वे रकम हार जाते तो उनकी प्रॉपर्टी अपने नाम करा लेता था। ऐसे कई लोग हैं जो भजियावाला के चंगुल में एक बार फंसे तो बाहर निकल ही नहीं पाए। पूरे मामले की छानबीन की जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक किशोर भजियावाला के लॉकर से आयकर विभाग को जो दस्तावेज मिले हैं उसमें और भी चौंकाने वाली जानकारी है। जांच में जुटे अधिकारियों को शक है कि किशोर फर्जी दस्तावेज के सहारे किसान बना और उसने पिछले एक साल में वापी से तापी के बीच 400 बीघा जमीन खरीदी है। इस जमीन का कुल बाजार मूल्य 600 करोड़ के आसपास बताया जा रहा है। आयकर विभाग से जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।

कैसे पकड़ में आया

बताया जा रहा है कि नोटबंदी की सूचना के बाद उसने अपने अकाउंट में अचानक डेढ़ करोड़ रुपए जमा कर दिए। इसके बाद से ही वह आयकर विभाग की नजरों में आ गया। आयकर विभाग ने गुप्त सूचना के आधार पर जब उसके घर छापेमारी की तो 23 लाख रुपये के नए नोट मिले। इसके बाद जब जांच आगे बढ़ी तो उसकी काली कमाई का परदाफाश होने लगा। इनकम टैक्स की छापेमारी में 13 बिल्डर के नाम का भी खुलासा हुआ है जो किशोर से ब्याज पर पैसा लेते थे।

किशोर भजियावाला की महीने की कमाई साढ़े सात करोड़ रुपये बताई जा रही है। उसे हर महीने 3.5 करोड़ रुपये ब्याज और 4 करोड़ रुपये किराया मिलता है। मगर वो सालाना सिर्फ डेढ़ करोड़ ही टैक्स भरता है। आरोप है कि काले धन को सफेद बनाने के लिए किशोर ने भगवान को भी नहीं बख्शा। सूरत के उधना इलाके में उसने एक मंदिर भी बनवाया था और पत्नी कमल भजियावाला के नाम पर एक एनजीओ भी रजिस्टर्ड है जहां करोड़ों का काला धन सफेद किया जा चुका है। आयकर विभाग अब इन तमाम आरोपों की जांच कर रहा है।

31 साल पहले आया था सूरत
भजियावाला 31 साल पहले सूरत आया था और बहुत जल्द वह स्थानीय तौर पर मशहूर हो गया। इसके बाद वह धीरे-धीरे सोने के व्यापार में आया और फिर उसके संबंध रसूखदार लोगों से हो गए। इनमें राजनीतिक लोग भी शामिल हैं। इस अरबपति चायवाले के खिलाफ जैसे ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाई शुरू हुई वैसे ही किशोर भजियावाला की तबियत अचानक बिगड़ गई। यहां तक उसकी पत्नी और दोनों बेटे भी पूछताछ से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो गए हैं।

आईटी की जांच में किशोर पर बैंक अफसरों की मदद से गलत तरीके से पुरानी करेंस को नई करेंसी में बदलने का आरोप है। किशोर अपने 400 लोगों को बैंक लाइन में खड़ा रखकर 4000 रुपये बदलवाता था। वह 15 प्रतिशत की कमीशन पर पुराने नोट बदल रहा था। उसने मंदिर के एक पुजारी, वॉचमैन और कई दूसरे लोगों के खाते में ढाई-ढाई लाख रुपये जमा कराए हैं। कुल कितने खातों में यह रकम जमा कराई गई है इसका पता लगाया जा रहा है। भजियावाला का सूरत के वेसु इलाके में करीब 25 करोड़ की लागत से एक अलीशान बंगला भी बन रहा है।

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