नई दिल्ली। गरीबी, लाल फीताशाही को खत्‍म करने और रोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से फिनलैंड ने अनोखी पहल की है। वहां काम न करने वाले लोगों को भी हर माह 560 यूरो यानी 40,000 रुपये की सैलरी मिल रही है। इसी तर्ज पर मोदी सरकार नोटबंदी के बाद देशभर के लोगों को बड़ा तोहफा दे सकती है। इसके तहत देश के हर नागरिक को हर महीने आमदनी के तौर पर एक तयशुदा रकम मिलेगी। हालांकि सरकारी सूत्रों ने बजट में इस स्कीम के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक,  आर्थिक सर्वे और आम बजट में इसका ऐलान हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर सबके लिए नहीं तो सरकार कम-से-कम उन जरूरतमंदों के लिए यह स्कीम लागू करेगी,  जिनके पास कमाई का जरिया नहीं है। हर अकाउंट में 500 रुपये डाल कर योजना की शुरुआत हो सकती है। इससे देश भर के करीब 20 करोड़ जरूरतमंदों को फायदा मिल सकता है।

यह प्रस्ताव लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने तैयार किया है। जिनीवा से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार से जुड़े एक जिम्मेदार शख्स ने कन्फर्म किया है कि बजट में इसका ऐलान मुमकिन है। प्रोफेसर गाय ने संकेत दिया कि सरकार इसे फेज वाइज लागू कर सकती है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मध्य प्रदेश की एक पंचायत में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर ऐसी स्कीम पर काम किया था,  जहां बेहद सकारत्मक नतीजे आए थे। मैंने अपने प्रपोजल में अमीर-गरीब सबके लिए निश्चित आमदनी की बात कही है। प्रोफेयर गाय पूरी दुनिया में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की पुरजोर वकालत करते रहे हैं।

फिनलैंड की बात करें तो सरकार दो वर्ष तक योजना को ट्रायल के तौर पर चलाएगी और इसके तहत 2000 नागरिकों को चुना गया है। पहली जनवरी से शुरू हुई इस योजना का फायदा इन्‍हीं 2000 नागरिकों को मिलेगा। जिन लोगों को चुना गया है उन्‍हें हर माह 560 यूरो दिए जाएंगे। इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि जो लोग बेरोजगार हैं वह वे इसे कैसे खर्च करेंगे। यह रकम उन्‍हें मिलने वाले किसी भी फायदे से काट ली जाएगी।

जिन लोगों को यह रकम दी जाएगी उन्‍हें इस पर कोई टैक्‍स नहीं देना होगा। अगर इसे हासिल करने वाले लोग कुछ एक्‍स्‍ट्रा काम भी करते रहेंगे तो भी वे इस रकम को रख सकते हैं। फिनलैंड के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक‍ यहां पर प्राइवेट सेक्‍टर की ओर से प्रति माह औसतन 3,500 यूरो की सैलरी मिलती है।