देश में निर्मित पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को गुरुवार को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। पिछले 17 सालों में ये पहली भारतीय सबमरीन है जिसे नौसेना में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के तेह डॉकयार्ड में इसे राष्ट्र को समर्पित किया। यह स्कॉर्पीन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है। यह मेक इन इंडिया पहल की कामयाबी को दर्शाता है। इस परियोजना को फ्रांस के सहयोग से चलाया जा रहा है। फ्रांस की रक्षा एवं ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा डिजाइन की गयी पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत बनायी जा रही हैं।

स्कॉर्पीन क्लास की इस पहली पनडुब्बी में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसी वजह से इसकी मारक क्षमता काफी बढ़ गई है और इसे दुनिया में बेहतर माना जा रहा है। इसे मझगांव डॉक लिमिटेड ने बनाया है। इसे समंदर में भारत का ‘नया शार्क’ कहा जा रहा है। आईएनएस कलवरी डीजल-इलेक्ट्रिक मोटर के दम पर चलती है। जैसे समंदर में शार्क अपने शिकार को बिना खबर लगे दबोच लेता है वैसे ही समुद्र के अंदर ये पनडुब्बी बिना शोर किए दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखती है।

ये समंदर में 50 दिनों तक रह सकती है। दुश्मनों के लिए घातक कलवरी एक साथ तारपीडो, मिसाइल और माइंस लेकर चल सकती है। पानी के अंदर इसकी रफ्तार 20 नॉटिकल माइल यानी 40 किलोमीटर प्रति घंटे है। इसमें 6 तारपीडो ट्यूब हैं और यह पनडुब्बी एंटी मिसाइल के साथ-साथ माईन भी रोक सकती है। 67.5 मीटर लंबे और 12.3 मीटर ऊंचे इस 1565 टन के सबमरीन में 360 बैट्रियां लगी है, जिनमें हर बैटरी का वजन 750 किलो है। इन बैटरियों को चार्ज करने के लिए इसमें 1250 किलोवाट के दो इंजन लगे हैं।

पानी की अंदर इसकी ताकत को देखते हुए ही इसे कलवरी नाम दिया गया है जिसे मलयालम में टाइगर शार्क कहा जाता है। पानी के भीतर इसकी तेजी, हमला करने की क्षमता गजब की है। कलवरी का ध्येय वाक्य है ‘हमेशा आगे’, जो ये बताने के लिए काफी है, इसे किस सोच के साथ तैयार किया गया है।

भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली 6 स्कार्पीन क्लास पनडुब्बी में से ये पहली है। भारत की दूसरी पनडुब्बियों से आईएनएस कलवरी कम शोर करती है और ये उन्नत तकनीक से लैस है।कलवरी में इंफ्रारेड और कम रोशनी में काम करने वाले कैमरे लगे हैं, जो समुद्र की सतह पर दुश्मन के जहाज को पकड़ने में माहिर हैं।

आईएनएस कलवरी को फ्रांस के सहयोग से बनाया गया है। भारत और फ्रांस के बीच बढ़ते रणनीतिक रिश्ते का यह सबूत है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर इसके विकास में लगे सभी कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से निकलेगा। हम हिंद महासागर में अपने वैश्विक, सामरिक और आर्थिक हितों को लेकर पूरी तरह सजग हैं, सतर्क हैं। इसलिए भारत की मॉडर्न और मल्टी डायमेंशनल नौसेना पूरे क्षेत्र में शांति के लिए, स्थायित्व के लिए आगे बढ़कर नेतृत्व करती है। चाहे समुद्र के रास्ते आने वाला आतंकवाद हो, पाइरेसी की समस्या हो, ड्रग्स की तस्करी हो या फिर अवैध फिशिंग, भारत इन सभी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए बहुत गौरव का दिन है। मैं सभी देशवासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

2009 में इस पनडुब्बी को बनाने का काम शुरू हुआ और 8 सालों के बाद यह पूरी तरह से तैयार होकर भारतीय नौसेना की सेवा करने के लिए सेना में शामिल हो चुका है। मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एनएसए अजीत डोभाल और फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जिग्रल और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा मौजूद रहे।

2020 तक शामिल होंगी पांच पनडुब्बियां

P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड में छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। बाकी पांच 2020 तक नौसेना को सौंप दिए जाएंगे। भारत के पास फिलहाल केवल 15 सबमरीन हैं, जिनमें से कुछ रूस में बनी किलो क्लास पनडुब्बियां और कुछ जर्मन की एचडीडब्लू सबमरीन हैं।