उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर ओपिनियन पोस्ट के प्रदीप सिंह और मृत्युंजय कुमार ने उनकी सरकार के सामने किस तरह की चुनौतियां हैं और उनसे निपटने के लिए उनकी क्या योजना है, सहित तमाम विषयों पर विस्तार से बात की। बातचीत में मुख्यमंत्री आत्मविश्वास से भरे नजर आए। उन्होंने प्रशासनिक अनुभव की कमी का जिक्र जरूर किया पर उनके जवाब और काम से ऐसा लगा नहीं कि प्रशासनिक अनुभव की कमी उनके लिए कोई मुश्किल पैदा कर रही है। अब तक के काम काज से तो लगता है कि प्रशासनिक अनुभव न होना उनके लिए फायदेमंद नजर आ रहा है क्योंकि किसी के बारे में उनकी पहले से कोई बनी बनाई धारणा नहीं है। पेश हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश।

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पहले ही दिन से आप बहुत तेजी में हैं। नौकरशाही के मन में होता है कि अभी नए नए आए हैं। कुछ दिन बाद सब पहले जैसा हो जाएगा?

देखिए यह हम लोगों की आदत (तेजी से काम करना) का एक हिस्सा है। लेकिन हम एक नई कार्यसंस्कृति के माध्यम से उत्तर प्रदेश में जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को हमेशा के लिए तिलांजलि देना चाहते हैं।

इसके रास्ते में मुश्किल क्या नजर आती है?

मुश्किल कहीं नहीं है। जनता ने अपना जनादेश दे दिया है। पार्टी ने यह दायित्व सौंपा है। उत्तर प्रदेश की परिस्थिति और यहां के मानस को देखते हुए मुझे जिम्मेदारी दी गई है। मुझे लगता है हम उस पर शत प्रतिशत खरे उतरेंगे।

ब्यूरोक्रेसी से किसी तरह का कुछ रेजिस्टेंस दिख रहा है क्या?

ऐसा नहीं है। आप जैसा कार्य करना चाहेंगे ब्यूरोक्रेसी तो वैसा ही कार्य करेगी। लीडरशिप जैसी होती है सिस्टम उसमें ढल जाता है। मैं यहां अपना कोई व्यक्तिगत एजेंडा लागू करने के लिए नहीं आया हूं। हम लोगों ने चुनाव के पूर्व अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में जो कुछ कहा और जनता ने इसके बाद जो हमें जनादेश दिया है, हमें उसके अनुरूप कार्य करना है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि चूंकि यहां मेहनत करने की कार्यसंस्कृति समाप्त हो चुकी थी। तो अगर वे अठारह से बीस घंटे कार्य कर सकेंगे तो यहां चल पाएंगे। नहीं तो ऐसे लोगों का उत्तर प्रदेश की व्यवस्था में आगे बढ़ पाना कठिन होगा। क्योंकि हमें यहां के गांव-गरीब-महिलाओं-बालिकाओं-युवाओं…. सबकी आकांक्षाओं पर खरा उतरना है। इसके लिए मेहनत, कड़ी मेहनत और हर समय चुनौतियों से जूझने की तैयारी चाहिए।

पिछली सरकार में जो गड़बड़ियां हुई थीं, उनमें जिन अफसरों पर आरोप लगे थे, वे अभी भी अपने पदों पर काबिज हैं। उनके बारे में सरकार क्या करेगी?

अभी तो हमने हर लक्ष्य को टटोला है, देखा है। केवल मुंह से बोलने से नहीं बल्कि उनकी कार्यपद्धति और पिछले रिकार्ड को देखकर हम निर्णय लेंगे। जो भी निर्णय हम लोग लेंगे वह प्रदेश के हित को ध्यान में रखकर लेंगे। कड़ा से कड़ा निर्णय लेने में भी संकोच नहीं करेंगे। बाईस से पच्चीस करोड़ की आबादी के हित हमको देखने हैं। चुनौतियां हैं पर हम लोग उनका सामना करेंगे।

चर्चा यह है कि पंद्रह दिन हो गए अभी तक ब्यूरोक्रेसी में कोई बदलाव नहीं किया आपने।

हमने कोई चेंज नहीं किया। हम लोग यह दिखाना चाहते थे कि यह ब्यूरोक्रेसी भी काम कर सकती थी लेकिन काम नहीं करने दिया गया। क्योंकि जो खुद काम करने वाले लोग ( इशारा पिछली सरकार के लोगों की तरफ है) नहीं थे वे काम लेते कैसे? हम लोगों ने भी उसी ब्यूरोक्रेसी से काम लिया है। देखेंगे कि कौन व्यक्ति कितना चल सकता है, उसका अतीत क्या रहा है- ये सब चीज देखने के बाद फिर निर्णय लेंगे।

बड़े पद जैसे चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी सरकार बदलने के बाद जल्दी बदल दिए जाते थे, लेकिन आपने इन्हें भी नहीं बदला।

हम लोगों ने सब चीजों को किसी आग्रह-पूर्वाग्रह के साथ नहीं देखा है। जनता के मन में था कि ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं कर सकती है, इनकी कोई क्षमता नहीं है। अब लगता है कि ऐसा नहीं है। हर व्यक्ति के अंदर कुछ न कुछ तो काबिलियत होती है। हो सकता है कि किसी में कम और दूसरे में ज्यादा होगी। हम उसको एक बार टोहना चाहते हैं, देखना चाहते हैं। आखिर इनके अनुभव का, विशिष्टता का लाभ लिया क्यों नहीं लिया गया। और फिर जहां पर निर्णय होंगे, वे चेहरा देखकर नहीं होंगे। व्यक्ति की क्षमता और उसके विजन को देखकर हम लोग निर्णय लेंगे।

कुछ अधिकारी आईडेंटिफाइड थे। राजनेताओं ने जो भ्रष्टाचार किया, वह इन्हीं अफसरों के माध्यम से हुआ। अगर वही बने रहे तो एक संदेश जाता है कि वही राज कर रहे हैं।

देखिए यहां पर राज कोई व्यक्ति नहीं कर सकता, ब्यूरोक्रेसी की बात तो दूर है। हम ऐसी व्यवस्था देंगे कि यहां जनता राज करेगी। और ट्रांसफर पोस्टिंग को मैं कोई बड़ा बदलाव नहीं मानता। अगर कोई गलत है तो फिर उसको घर भेजो। मैंने कहा न कि हम निर्णय लेंगे और ऐसे सख्त निर्णय लेंगे कि आने वाले समय में कई वर्षांे तक उत्तर प्रदेश में कोई भी बाईस पच्चीस करोड़ जनता की आंखों में धूल झोंकने और उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का दुस्साहस नहीं कर पाएगा।

तो क्या हम यह मानकर चलें कि अभी जल्दी में ब्यूरोक्रेसी में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है।

ऐसा नहीं है। जहां आवश्यकता पड़ रही है हम लोग कर भी रहे हैं।

अभी आपका पर्सनल स्टाफ भी…

हां अभी मैंने नहीं रखा है। केवल एक दो लोगों को रखा है। लेकिन उससे काम में कहां दिक्कत हो रही है। जहां चार घंटे काम नहीं होता था, वहां अठारह घंटे काम हो रहा है। जब यहां बीस पच्चीस लोग जमे रहे होंगे तो वे चार घंटे काम नहीं कर पाते थे। आज मेरे साथ चार पांच लोग अठारह अठारह- बीस बीस घंटे काम करके उसकी पूर्ति कर रहे हैं। बेहतर रिजल्ट दे सकते हैं। अगर सिस्टम तैयार होगा तो और अच्छा रिजल्ट आएगा।

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आपने क्या पहले से ही कुछ सोच कर रखा था? क्योंकि जिस दिन आपने शपथ ली उसी दिन अफसरों की टीम छत्तीसगढ़ चली गई वहां की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अध्ययन करने।

ऐसा नहीं है। मुझे तो पता भी नहीं था कि मुझे शपथ लेनी है। मैं इलेक्शन कैंपेन में लगा था। फिर छह मार्च को चुनाव प्रचार बंद होना था। तो मानता था कि छह तारीख के बाद मुझे अवसर मिल जाएगा तो काउंटिंग के बाद एक सप्ताह के लिए थोड़ा आराम करूंगा क्योंकि दो तीन महीने लगातार प्रचार कर हम लोग बहुत थक चुके थे। और इस बीच मुझे एक आॅफर भी मिल गया था। विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधिमंडल को न्यूयार्क होते हुए पोर्ट आॅफ स्पेन जाना था। विदेश मंत्री जी का फोन मेरे पास आया तो मैंने तत्काल हां कह दिया। मैंने कहा कि मैं चलूंगा। और फिर बाईस तेईस तारीख के बाद ही लौटना था। मैंने अपना पासपोर्ट भी दे दिया था और जाने की तैयारी हो रही थी। पोर्ट आफ स्पेन में ट्रिनिडाड-टोबैगो, फिजी आदि देशों में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी है। मैंने सोचा इसी बहाने वहां के लोगों से मिलेंगे, वहां की व्यवस्था को देखेंगे। मैं जाने के लिए दिल्ली पहुंच चुका था। वह कार्यक्रम थोड़ा डिले हुआ। फिर मुझे बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से आपका जाना होल्ड करवा दिया गया है। अगले दिन काउंटिंग थी। जैसे ही गोरखपुर जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचा तो विदेश मंत्रालय से फोन आया कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि परिणाम आने वाले हैं और आपका यूपी में रहना आवश्यक है और किसी और को भेजो। तो मैंने सोचा चूंकि प्रधानमंत्री जी के संज्ञान में है और उन्होंने कुछ सोचकर मना किया होगा। मैं गोरखपुर चला आया। फिर पंद्रह मार्च को मैं दिल्ली पहुंचा। सोलह को हम लोगों की बैठक थी। बैठक में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने हालचाल पूछा। उन्होंने कहा कि आपसे कुछ बात करनी थी। फिर मैं उनके आवास पर गया। बातचीत हुई। अगले दिन सुबह की फ्लाइट से मुझे गोरखपुर लौटना था। शाम को मैं गोरखपुर में मंदिर में था। अचानक दिल्ली से राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का फोन आया कि आप कहां हैं। मैंने कहा कि मैं तो गोरखपुर में हूं। उन्होंने कहा कि आपको तो यहां रहना चाहिए था। मैंने कहा मुझे जानकारी नहीं थी और मैं तो गोरखपुर चला आया। अध्यक्ष जी ने कहा कि नहीं नहीं, आपको कल सुबह दिल्ली पहुंचना है। मैंने कहा कि इस समय तो कोई ट्रेन भी नहीं है। अध्यक्ष जी ने कहा कि सुबह एक चार्टर्ड प्लेन भेज रहा हूं, आपको उससे आना है। yogiiiअगले दिन सुबह साढ़े आठ बजे चार्टर्ड प्लेन गोरखपुर पहुंच गया था। मैं उससे दिल्ली चला आया। तो मैं अकेले ही गया था। मेरी तैयारी यह थी कि वापसी फ्लाइट से गोरखपुर चला आऊंगा, इसलिए कुछ भी लेकर (कपड़े वगैरह) नहीं गया था। अध्यक्ष जी से मुलाकात के बाद मुझे दोपहर बारह बजे तक खाली हो जाना था और दो बजे की फ्लाइट से वापस लौटने का विचार था। लेकिन दिल्ली में कोई साढ़े ग्यारह बजे मेरी मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि ऐसा निर्णय हुआ है कि आपको लखनऊ जाना है और वहां मुख्यमंत्री पद की कमान संभालनी है। तो आप अपनी व्यवस्था देखकर लखनऊ चले जाइए क्योंकि वहां शाम को विधायक दल की बैठक होनी है। खैर उन्होंने कहा आप चाहें तो प्रधानमंत्री जी से बात कर लीजिए क्योंकि उनको तत्काल उत्तराखंड जाना है। साथ ही कहा कि इस बारे में किसी को बताइएगा मत। क्योंकि उत्तराखंड में अभी शपथ ग्रहण हो रहा है। वहां के शपथग्रहण के बाद इसको जाहिर करेंगे। मैं अपने आवास पर आया। गोरखपुर से जल्दी में चला था। मेरा स्टाफ दिल्ली में ही था उस दिन। वही चार्टर्ड विमान था मेरे पास। दो बजे दिल्ली से लखनऊ के लिए चला। लखनऊ आकर फिर ये कार्यक्रम हुए। उन्नीस को शपथ हो गई। बीच में मुझे एक दिन का मौका मिला दिल्ली जाने का। सुबह गया और शाम को वापस आ गया। वहां भी काफी व्यस्त कार्यक्रम था। एक दिन के लिए गोरखपुर गया था। बाकी लखनऊ में ही हूं।

दो डिप्टी सीएम होने की बात आपको कब बताई गई?

ये तो मैंने ही आॅफर किया। हमारे पास किसी भी तरह के प्रशासन का अनुभव नहीं है। मैंने सांसद के रूप में काम किया है लेकिन किसी भी व्यवस्था के रूप में आज तक काम नहीं किया है। किसी भी प्रशासनिक व्यवस्था में या शासकीय व्यवस्था में मैंने किसी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया है। पार्टी से इस बात का आग्रह किया कि उत्तर प्रदेश की परिस्थिति और पच्चीस करोड़ की आबादी की अपेक्षाओं को देखते हुए हम लोग रिजल्ट दे सकें इसके लिए हमें कुछ सपोर्ट दीजिए। मैं व्यापक दौरा करने वाला हूं उत्तर प्रदेश का। मेरा एक डिप्टी सीएम दूसरे क्षेत्रों में रहेगा। एक की मौजूदगी यहां पर रहेगी। ऐसा न हो कि मुख्यालय हमारा खाली है और हम लोग इधर उधर दौरा कर रहे हैं। डे टु डे की घटनाओं के साथ हम जुड़ सकें। जिन योजनाओं को शुरू करें उनका प्रभावी क्रियान्वयन हो सके। और प्रदेश में जो जाति की, तुष्टीकरण की राजनीति थी जिसने इस क्षेत्र का विकास नहीं होने दिया है- युवाओं को पलायन करने पर मजबूर किया है, महिलाओं-बालिकाओं के सामने सुरक्षा का गंभीर संकट खड़ा किया है- इसका हम लोग एक प्रभावी समाधान निकाल सकें। हम लोग उसी के अनुसार कार्य कर रहे हैं। दूसरा हम लोग एक प्रयास और कर रहे हैं। शुरू में ही शपथग्रहण के बाद मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में मैंने इस बात को कहा भी कि जनता ने हमें उत्तर प्रदेश के भ्रष्टाचार और गुंडाराज के खिलाफ जनादेश दिया है। हमें प्रचंड बहुमत मिला है। हम इस बात को ध्यान में रखेंगे कि जनभावनाओं का कहीं भी निरादर न हो और उसके विरुद्ध किसी के द्वारा भी ऐसा कोई भी प्रकरण न हो। इसके अलावा हूटर संस्कृति समाप्त कर दी जाएगी। अब तक यहां होता क्या था कि और मुझे आश्चर्य है इस बात का कि पिछली सरकारों ने दो सौ सत्तर से अधिक लालबत्तियां बांटी थीं। यह उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए एक अनावश्यक बोझ था। जहां लोग दो जून रोटी के लिए मोहताज होते हों, एक बड़ी आबादी को स्वास्थ्य की सुविधा न मिल रही हो, बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो और जहां सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक हो- वहां चंद लोग हूटर लेकर सड़कों पर निकलते थे और सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ बने हुए थे। मैंने कहा इस सब को हटाओ। मंत्रियों को भी मैंने कहा कि हूटर वगैरह लगाने की कोई जरूरत नहीं है। फिजूलखर्ची जितनी भी है सब रोक दीजिए। आप ताज्जुब करेंगे कि उत्तर प्रदेश में पिछली सरकार के दौरान एक निर्णय लिया गया था कि एक झूला लगेगा यहां साढ़े चार सौ करोड़ रुपये का। कैसा झूला होगा साढ़े चार सौ करोड़ का झूला? हमने कहा कि उस झूले से क्या होगा? कहा गया कि चंद लोग उसमें झूलेंगे और लखनऊ का नजारा देखेंगे। हमने कहा कि यह पेंडुलम हमें नहीं चाहिए। यह सब हटाइए यहां से। यह नहीं लगेगा। जनता की सरकार लगनी चाहिए। लोगों को लोकतंत्र का सही मायने में पता लगना चाहिए, इस प्रकार की सरकार हो हमारी।

 

साक्षात्कार जारी है… पार्ट- 2 यहां पढ़े..  

 Exclusive Interview: किसी व्यक्ति का नहीं जनता का राज होगा-योगी (पार्ट-2)

(यह साक्षात्कार ओपिनियन पोस्ट मैगजीन के 16-30 अप्रैल के अंक में प्रकाशित हुआ है)