वाशिंगटन। अमेरिका समुद्री निरीक्षण में काम आने वाले अत्याधुनिक हथियार रहित गार्जियन ड्रोनों के लिए भारत की ओर से किए गए अनुरोध पर सकारात्मक फैसला ले सकता है। यह खासतौर पर हिंद महासागर में समुद्री निरीक्षण के लिए है। हथियार खरीद बिक्री के संबंध में भारत की तरफ से किया गया यह पहला बड़ा अनुरोध था। अमेरिकी प्रशासन को लगता है कि इस तरह की प्रमुख सैन्य बिक्री को मंजूरी मिलने से भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे। उधर, अमेरिका ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्‍तान को लताड़ लगाई है। उसने कहा है कि वह पाकिस्तानी आतंकी संगठन द्वारा अंजाम दिए गए मुंबई  आतंकी हमलों के मामले में ‘जवाबदेही और न्याय’ होते देखना चाहता है। विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम इस बात पर बेहद स्पष्ट रहे हैं कि हम मुंबई हमलों के मामले में जवाबदेही तय होते और न्याय होते देखना चाहते हैं।’

अमेरिका का यह कदम उसके द्वारा जून में भारत को एक बड़ा रक्षा सहयोगी करार दिए जाने के बाद सामने आ रहा है। भारत को बड़े रक्षा सहयोगी का दर्जा दिए जाने के कुछ सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। भारतीय नौसेना ने फरवरी में 22 उच्चस्तरीय एवं बहुत से अभियानों के संचालन में समर्थ मानवरहित गार्जियन विमानों की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय को एक आग्रह पत्र (एलओआर) भेजा था।

अमेरिकी सरकार ने इस पर कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि भारत के अनुरोध पर अंतर एजेंसी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। प्रशासन का मानना है कि ऐसी बड़ी सैन्य बिक्री को मंजूरी दिए जाने से भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध को पुख्ता करने,  दोनों सेनाओं के बीच एक नए स्तर की सहजता लाने में मदद मिलेगी। इसे सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि निवर्तमान राष्ट्रपति की एशिया-प्रशांत की धुरी के लिए भी एक चिरस्थायी विरासत के रूप में देखा जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि प्रीडेटर गार्जियन यूएवी विमानों की बिक्री हिंद महासागर में भारत की समुद्री निरीक्षण की क्षमताओं को कई गुणा बढ़ा देगी। हिंद महासागर एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख उद्देश्य बन चुका है।

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने समुद्री निरीक्षण से जुड़ी जरूरतें पूरी करने के लिए प्रीडेटर गार्जियन यूएवी पर विस्तृत चर्चा की थी। पर्रिकर पिछले सप्ताह अमेरिका में थे और उन्होंने 29 अगस्त को पेंटागन में कार्टर के साथ बैठकें की थीं। सूत्रों ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि बैठक के दौरान कार्टर ने पर्रिकर को आश्वासन दिया कि वह व्यवस्था के भीतर भारत के अनुरोध को खुद आगे बढ़ाएंगे।