सत्येंद्र जैन के ओएसडी की नियुक्ति पर जंग ने उठाए सवाल

दिल्ली सरकार के फैसलों और नियुक्तियों पर उपराज्यपाल नजीब जंग की ओर से उठाई जा रही अापत्तियों की कड़ी में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के ओएसडी डॉ. निकुंज अग्रवाल की नियुक्ति का मामला भी जुड़ गया है। उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग को पत्र लिखकर डॉ. अग्रवाल की नियुक्ति की जांच करने को कहा गया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति सितंबर 2015 में हुई थी।

माना जा रहा है कि उपराज्यपाल के इस आदेश से उनका दिल्ली सरकार से एक बार फिर टकराव होगा। इस बारे में अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है मगर डॉ. अग्रवाल ने कहा है कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह से वैध है और इसमें सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एलजी के फैसले की जानकारी नहीं है।

एलजी कार्यालय ने सतर्कता विभाग से यह भी पता करने को कहा है कि डॉ. अग्रवाल की नियुक्ति से राज्य के सरकारी खजाने को कितना नुकसान पहुंचा है और क्या इसकी रिकवरी हो सकती है। यानी अगस्त 2015 में दिल्ली सरकार से जुड़ने के बाद उन्हें दी जा रही सैलरी और उन पर हुए अन्य सरकारी खर्चे की रिकवरी कैसे की जा सकती है।

मालूम हो कि दिल्ली के भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने एक महीने पहले उपराज्यपाल नजीब जंग को एक पत्र लिखकर डॉ. अग्रवाल की नियुक्ति की जांच कराने की मांग की थी। पत्र में गुप्ता ने कहा था कि डॉ. अग्रवाल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्ते में दामाद लगते हैं। वह उनकी रिश्ते में भाभी के दामाद हैं। गुप्ता ने पत्र में यह भी कहा था कि हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दिल्ली सरकार के मंत्रियों के अॉफिस और सरकारी आवासों में हुई इस तरह की नियुक्तियों की भी जांच कराई जाए।

कैसे हुई नियुक्ति

डॉ. निकुंज अग्रवाल ने छह अगस्त 2015 को दिल्ली सरकार के अधीन चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय (सीएनबीसी) के डायरेक्टर को एक पत्र लिखा। खुद को डीएनबी आर्थोपेडिक सर्जन बताते हुए हास्पिटल में सीनियर रेजीडेंट पद पर काम करने की उन्होंने इच्छा जताई। उन्होंने पत्र में लिखा कि वह सीवी भेज रहे हैं, आवेदन पर विचार कर नियुक्ति देने की कृपा करें। खास बात यह रही कि अस्पताल में इस पद की कोई वैकेंसी नहीं थी मगर अस्पताल के डायरेक्टर ने चार दिन बाद ही डॉ. निकुंज अग्रवाल के घर नियुक्ति पत्र भेज दिया। इसके बाद डॉ. अग्रवाल बतौर सीनियर रेजीडेंट कांट्रैक्ट पर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय से जुड़ गए। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने चार सितंबर 2015 को डॉ. निकुंज अग्रवाल को अपना विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) बना लिया जबकि उनकी हैसियत एक संविदा चिकित्सक की ही रही।

पांच दिन की पढ़ाई और खर्च 1.15 लाख

चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के नियमो के तहत किसी चिकित्सक को सरकारी खर्च पर मैनेजमेंट की पढ़ाई का कोई प्रावधान नहीं है। स्वास्थ्य विभाग सरकारी खर्च पर केवल मेडिकल एजुकेशन या ट्रेनिंग की सुविधा ही अपने चिकित्सकों को देता है। चूंकि डॉ. अग्रवाल मुख्यमंत्री केजरीवाल के रिश्तेदार हैं लिहाजा उनकी इच्छा पर उन्हें देश के सबसे महंगे मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट आईआईएम अहमदाबाद भेजा गया। जहां 20 जून से 25 जून के बीच महज पांच दिन की मैनेजमेंट पढ़ाई पर दिल्ली सरकार ने 1.15 लाख रुपये खर्च किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *