नई दिल्ली । बिहार के गया-औरंगाबाद की सीमा पर सोमवार देर रात नक्सलियों के आईईडी विस्फोट में 10 सीआरपीएफ जवानों की हुई मौत में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। इस तरह की खबरें आ रही है कि समय पर मदद नहीं मिलने की वजह से ही इनमें से पांच जवानों की मौत हुई। लापरवाही का आलम यह रहा कि विस्फोट में घायल हुए सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के पांच जवान इलाज के लिए तड़पते रहे, उनके अधिकारी मदद की गुहार लगाते रहे मगर उनकी किसी ने नहीं सुनी। जख्मी जवानों को न आसमान से मदद मिली और न ही जमीन पर इलाज मिल सका। ज्यादा खून बहने की वजह से कई घायल जवानों ने अपने साथियों की गोद में दम तोड़ दिया।

नक्सली हमले के दौरान बिहार पुलिस पर मदद पहुंचाने में देरी का आरोप लगा है। इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ को मामले की पड़ताल कर जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। हमले में घायल जवानों को सही समय पर इलाज की सुविधा न मिल पाने की वजह से कोबरा बटालियन के जवानों में आक्रोश है। घटना के बाद से एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें सीआरपीएफ के जवानों का आक्रोश साफ तौर पर देखने को मिला है। शहीद जवानों के शव लेने पहुंचे हेलिकॉप्टर को देखकर डिप्टी कमांडेंट चंदन कुमार आईजी ऑपरेशन कुंदन कृष्णन पर भड़क गए। डिप्टी कमांडेंट ने कहा, जब जवानों की जान को बचाने के लिए चॉपर की जरूरत थी, तब तो चॉपर नहीं आया। जब जवान शहीद हाे गए तो उनके शव को लेने के लिए हेलिकॉप्टर भेजा गया। हालांकि बाद में अधिकारियों के आग्रह के बाद डिप्टी कमांडेंट और बाकी जवानों ने शव को हेलिकॉप्टर से ले जाने दिया।

जानकारी के मुताबिक कोबरा जवानों ने औरंगाबाद जिला प्रशासन को भला-बुरा कहा और अपनी भड़ास निकाली। जवानों ने औरंगाबाद के एसपी बाबू राम को भी भला-बुरा कहा। खबरों के मुताबिक जवानों का आरोप है कि लैंड माइंस विस्फोट में फंसने के बाद उन्हें मदद काफी देर से मिली। हमले में घायल और शहीद हुए जवानों के साथियों का यह भी आरोप है कि घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर सोंदाहा स्कूल में एक घायल जवान 25 घंटे तक इलाज के लिए तड़पता रहा।

सीआरपीएफ के गुस्साए जवानों ने आरोप लगाया है कि दो घायल जवानों की मौत देर से मदद मिलने की वजह से हो गई। यहां तक कि उन्हें पानी भी समय पर नहीं मिला। यदि हेलीकॉप्टर समय से आया होता तो जवानों की जान बच सकती थी। रेस्क्यू टीम खुद ही डर रही थी और इस कारण पूरी जांच पड़ताल में समय गंवाया गया।

बिहार पुलिस पर यह भी आरोप लग रहा है कि ऑपरेशन के दौरान कोबरा बटालियन को आगे कर वह पीछे हट गई। गृह मंत्रालय ने इस बारे में जांच के आदेश दे दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि संबंधित अधिकारियों से जवाब पहले ही मांग लिए गए हैं। इससे पहले राजनाथ सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत की थी और हमले के बाद राज्य को हर संभव मदद देने की बात कही थी। सोमवार को नक्सलियों और सीआरपीएफ के बीच हुए मुठभेड़ में 10 जवान शहीद और 5 जवान घायल हो गए। इस दौरान जवानों ने तीन नक्सलियों को भी मार गिराया था।

दूसरे बेटे को भी देश के लिए कुर्बान करने को तैयार शहीद के पिता

नक्सली हमले में शहीद हुए मध्य प्रदेश के बैतुल जिले के परमंडल गांव के रहने वाले मनोज चौरे की बुधवार को अंत्येष्टि की गई। इस मौके पर रुआंसे स्वर में शहीद के पिता ने कहा कि, देश के लिए वे अपने दूसरे बेटे को भी कुर्बान कर सकते हैं। मनोज 2009 से सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन में थे। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। शहीद की अंतिम यात्रा में 10 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मनोज चौरे की शहादत पर दुख जताते ट्विटर के जरिये श्रद्धांजलि दी। सीएम ने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, प्रदेश के नायक मनोज चौरे का परिवार अब हमारा परिवार है। परिजन स्वयं को अकेला न समझें। हम परिवार की हरसंभव मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।

एक करोड़ की मिले सहायता

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि नक्सली घटना में शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को कम से कम एक करोड़ रुपये की सहायता राशि मिलनी चाहिए। नक्सलियों के नाम पर खून-खराबा करने और संपत्ति बनाने वालों की संपत्ति जब्त होनी चाहिए। शहीद जवानों के प्रति संवेदना जताते हुए उन्होंने इस घटना को अंजाम देने वाले नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। मालूम हो कि मांझी जिस इलाके से विधायक हैं वो भी गया के नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक है।मांझी के अनुसार नक्सली संगठन के लोग विकास कार्य को पूरा होने में अड़चन लगाते हैं। मांझी ने कहा कि मैं अपने इमामगंज विधानसभा के नक्सल प्रभावित सुदुरवर्ती गांवों में सड़क, बिजली और सिंचाई की व्यवस्था को सुदृढ़ करने की योजना पर काम कर रहा हूं। इस कार्य के लिए मैंने भारत सरकार से भी बात की है। पूर्व सीएम ने कहा कि अगर इन इलाकों मे आधारभूत सुविधाए लोगों को मिल जाएगी तो फिर नक्सलियों का खात्मा आसानी से हो सकेगा।