नई दिल्ली। मोदी मंत्रिमंडल का बहुप्रतिक्षित विस्तार मंगलवार को संपन्न हो गया। विभिन्न राज्यों में अगले साल से होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन राज्यों के सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसके तहत 10 राज्यों से 19 चेहरों को राज्य मंत्री बनाया गया है जबकि पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वहीं खराब प्रदर्शन की वजह से पांच मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए मंत्रियों को यह नसीहत भी दी कि स्वागत-सत्कार बाद में कराएं पहले काम करना सीखें।

राष्ट्रपति भवन के अशोका हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली समेत कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे।जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई उनमें फग्गन सिंह कुलस्ते, अनिल माधव दवे, एसएस अहलुवालिया, रमेश चंदप्पा, राजेन गोहेन, रामदास अठावले, जसवंत सिंह भाभोर, अर्जुन राम मेघवाल, पुरुषोतम रुपाला, अजय टम्टा, महेंद्र नाथ पांडेय, कृष्णा राज, मनसुख भाई मंडविया, अनुप्रिया पटेल, सीआर चौधरी, पीपी चौधरी, सुभाष भामरे और एमजे अकबर शामिल हैं। इनमें से राजग के दो सहयोगी दलों आरपीआई से रामदास आठवले और अपना दल से अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। बाकी सभी भाजपा से हैं।

काफी विचार विमर्श के बाद चुना गया
सूत्रों के अनुसार इन सभी को काफी गहन विचार विर्मश और पुनर्रीक्षण के बाद चुना गया है। पीएम मोदी ‘काम करने वाले और परफॉर्म करने वाले लोग’ चाहते थे। वे चाहते हैं कि उनके गांव, गरीब और किसान के विकास के विजन और प्राथमिकताओं के आधार पर काम किया जाए ताकि चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किए गए हैं उन्हें अमलीजामा पहनाया जा सके। नए मंत्रियों को चुनते समय जातिगत, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को अहमियत दिया गया है। जसवंत सिंह भाभोर और फग्गन सिंह कुलस्ते अनुसूचित जनजाति से आते हैं। वहीं अजय टम्टा, रामदास आठवले, अर्जुन राम मेघवाल, रमेश चंदप्पा और कृष्णा राज अनुसूचित जाति से हैं। एमजे अकबर और एसएस अहलुवालिया को अल्पसंख्यक समुदाय से चुना गया है। कैबिनेट में अनुप्रिया पटेल और कृष्णा राज दो महिलाएं भी हैं।

आगामी विधानसभा चुनावों पर नजर 
जिन 19 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई है वे सभी मंत्री 10 राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, कर्नाटक और असम से आते हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए यहां से तीन मंत्रियों को जगह दी गई है जिनमें दो महिलाएं हैं। यहां से एक ओबीसी, एक दलित और एक ब्राहम्ण चेहरा लाया गया है। इनमें महेंद्र नाथ पांडे, कृष्णा राज और मिर्जापुर से निर्वाचित अनुप्रिया सिंह पटेल को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा राजस्थान से चार सांसदों और मध्य प्रदेश से तीन सांसदों को मोदी सरकार में जगह मिली। राजस्थान के सांसदों में अर्जुन राम मेघवाल, सीआर चौधरी और राज्यसभा सदस्य विजय गोयल भी सरकार का हिस्सा बने हैं। हालांकि गोयल को दिल्ली के नेता के तौर पर ज्यादा जाना जाता है। गुजरात में भी अगले साल चुनाव होने हैं। यहां से तीन चेहरों – मनसुख मंडाविया, पुरूषोत्तम रूपाला और जसवंत सिंह भाभोर को मंत्री पद दिया गया है। मध्य प्रदेश से सांसद – अनिल माधव दवे (इंदौर), मांडला से फग्गन कुलस्ते और पत्रकार से नेता बने एम जे अकबर भी मंत्री बने हैं। उत्तराखंड चुनाव को ध्यान में रखते हुए अल्मोड़ा से दलित नेता अजय टम्टा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पंजाब में भी अगले साल चुनाव होने हैं मगर वहां से किसी को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है।

मोदी टीम के नए चेहरे

1- फगन सिंह कुलस्ते- मध्य प्रदेश के मंडला से सांसद हैं। वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे हैं। नोट के बदले वोट कांड में जेल जा चुके हैं।

2- एसएस अहलूवालिया- पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से भाजपा सांसद हैं। पहली बार लोकसभा सदस्य बने हैं। 1995 में मंत्री रह चुके हैं। पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में मंत्री से लेकर प्रमुख विधेयकों पर भाजपा के लिए शोधकर्ता की जिम्मेदारी निभा चुके आहलूवालिया के पार्टी लाइन से हटकर सभी दलों से संपर्क हैं। उनको शब्दों को तौलकर बोलने के लिए पहचाना जाता है।

3- रमेश चंदप्पा- कर्नाटक के बीजापुर से भाजपा सांसद हैं। कनार्टक में भाजपा का दलित चेहरा माने जाते हैं। पांच बार से लोकसभा सांसद हैं।

4- विजय गोयल- दिल्ली भाजपा का जाना माना चेहरा हैं और राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे हैं। मीडिया में पैठ रखने वाले गोयल की पहचान एक कुशल नेता के बतौर होती है।

5- रामदास अाठवाले- महाराष्ट्र से रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राज्यसभा सांसद हैं। राजग के सहयोगी हैं। पहली बार केंद्र में राज्य मंत्री बने हैं। आठवाले अपने कॉमिक सेंस के लिए मशहूर हैं। वह ट्रेड यूनियन नेता रहे हैं और संसद तथा संसद के बाहर अपनी धारदार टिप्पणियों और हास्य पैदा करने वाला भाषण देने के लिए लोकप्रिय हैं। वह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवाले) के अध्यक्ष भी हैं। वह तीन बार लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

6- राजेन गोहने- असम के नौगांव से भाजपा सांसद हैं। वहां पर भाजपा को स्थापित करने का श्रेय इनको है। चार बार से सांसद हैं और पहली बार केंद्र में राज्य मंत्री बने हैं।

7- अनिल माधव दवे- मध्य प्रदेश से राज्य सभा सांसद हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे दवे का जन्म 1956 में उज्जैन के बड़नगर में हुआ। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे दवे कॉलेज के समय छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। उन्हें एक बेहतरीन चुनाव प्रबंधन रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है।

8- पुरूषोत्तम भाई रूपाला- गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं। मोदी के करीबी माने जाते हैं और वहां के बड़े नेता हैं।

9- एमजे अकबर– मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं और जाने माने पत्रकार हैं। पत्रकारिता से राजनीति में आए अकबर इससे पहले झारखंड से राज्यसभा सांसद थे। 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले वे कांग्रेस में थे। 1989 से 1991 में वे बिहार के किशनगंज से कांग्रेस के लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे 1991 से 1993 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सलाहकार भी रह चुके हैं।

10- अर्जुनराम मेघवाल- राजस्थान के बीकानेर से भाजपा सांसद हैं, राज्य में दलित चेहरा हैं। मेघवाल की पहचान सादगी एवं पर्यावरण प्रेमी के रूप में रही है। पर्यावरण का संदेश देने के लिए वे संसद में भी साइकिल से जाते हैं। राजनीति में आने से पहले वे भारतीय प्रसाशनिक सेवा के अधिकारी रहे थे। उनका नाम संसद में सक्रिय सांसदों की सूची में शामिल है। लोकसभा में सर्वाधिक सवाल जवाब करने और सर्वाधिक उपस्थिति दर्ज कराने वाले सांसदों में दूसरे स्थान पर रहे मेघवाल को सांसद रत्न से भी नवाजा गया।

11- जसवंत सिंह भाभोर- गुजरात के दाहोद के सांसद हैं, आदिवासी समुदाय के नेता हैं।

12- महेंद्र नाथ पांडे- यूपी के चंदौली से सांसद हैं। पांडे राज्य के पूर्वी हिस्सों में कद्दावर ब्राह्मण नेता के रुप में जाने जाते हैं। वह पहली बार सांसद बने हैं। इससे पहले वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के दो बार सदस्य रह चुके हैं। मूलरुप से गाजीपुर के रहने वाले पांडे की शिक्षा दीक्षा वाराणसी में हुई है। वह छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं। वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) छात्रसंघ के महामंत्री भी रह चुके हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्य रहे हैं।

13- अजय टम्टा- उत्तराखंड के उल्मोड़ा से सांसद हैं, भाजपा का दलित चेहरा माने जाते हैं। मोदी सरकार में पहली बार उत्तराखंड से किसी को मंत्री पद मिला है। वह 12वीं पास हैं।

14- कृष्णा राज- यूपी के शाहजहांपुर से भाजपा सांसद हैं। वह यूपी में भाजपा की दलित नेता हैं। छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं हैं।

15- मनसुख मंडाविया- गुजरात से राज्यसभा के सांसद हैं।

16- अनुप्रिया सिंह पटेल- यूपी के मिर्जापुर से अपना दल की सांसद हैं और कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल की बेटी हैं। उन्होंने मनोविज्ञान में परास्नातक डिग्री हासिल की है। साथ ही एमबीए कर एमिटी विश्वविद्यालय में पढाया भी है।

17- सीआर चौधरी- राजस्‍थान के नागौर से पहली बार सांसद बने हैं। प्रशासनिक क्षमताओं के बल पर राजनीति को प्रभावित करने वाले चौधरी का मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले का सफर भी काफी सुहावना रहा है। चौधरी काफी समय तक अजमेर में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट तथा अन्य कई पदों पर रहे एवं अपनी व्यवहार कुशलता के कारण काफी लोकप्रिय रहे। अपनी कार्यशैली के कारण राजनीति में जगह बनाई और नागौर से सांसद चुने गए। वह राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे।

18- पीपी चौधरी- राजस्थान के पाली से पहली बार सांसद बने हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं और संविधान के जानकार माने जाते हैं। चौधरी ने बहुत कम समय में संसद की गतिविधियों एवं कार्यवाही में शामिल होकर पहचान बनाई और दो बार सांसद रत्न से सम्मानित हुए। उन्होंने संसद में अठारह निजी विधेयक पेश किये तथा 121 बहस में शामिल हुए और 394 प्रश्न पूछे। इस वजह से वह संसद में लोकप्रिय हो गये तथा उनके विचारों का सम्मान किया जाने लगा। सीरवी समाज में उनकी काफी प्रतिष्ठा रही है।

19- डॉ सुभाष रामराव भामरे- महाराष्ट्र के धुले से पहली बार सांसद बने हैं। कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं।

इनकी हुई छुट्टी
1. एमके कुंदरिया –कृषि राज्य मंत्री थे।
2. निहालचंद –रसायन मंत्री रहे। श्रीगंगानगर से सांसद निहालचंद एक रेप केस में नाम आने के बाद से विपक्ष उन पर सवाल उठाता रहा है।
3. सांवरलाल जाट –जल संसाधन राज्य मंत्री थे।
4. मनसुख वसावा –आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री थे।
5. रामशंकर कठेरिया –मानव संसाधन राज्य मंत्री थे।