रमेश कुमार ‘रिपु’
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अजीत जोेगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (छजकां) से गठबंधन करके कांग्रेस को जोर का झटका दिया है। इसी के साथ अब यह तय हो गया है कि प्रदेश में त्रिकोणीय संघर्ष होगा। जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को चेताया था कि यह कोशिश हो कि त्रिकोणीय संघर्ष न होने पाए, इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष हुआ था उनमें से ज्यादातर पर कांग्रेस हार गई थी। भाजपा भी कुछ सीटों पर हारी थी। मायावती के अनुसार, कांग्रेस उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं देना चाहती थी इसलिए जोगी से तालमेल किया है। कांग्रेस बसपा को केवल पांच सीट देना चाहती थी। इसलिए मायावती ने कांग्रेस की गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
भूपेश बघेल कहते हैं, ‘बसपा और छजकां के बीच डील बीजेपी के इशारे पर हुई है। इससे कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं है।’छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा, ‘इस गठबंधन से साफ हो गया कि जोगी भाजपा के लिए ही काम करते हैं। बसपा से तालमेल का प्रयास किया गया था लेकिन भाजपा नहीं चाहती थी कि कांग्रेस से गठबंधन हो इसलिए मायावती को सीबीआई का डर दिखाया गया। जोगी से समझौता उनका अपना फैसला है। कोई भी गठबंधन जन भावनाओं से बड़ा नहीं होता। प्रदेश की जनता ने बीजेपी को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।’ इससे इनकार नहीं है कि इस गठबंधन ने प्रदेश का चुनावी समीकरण बदल दिया है। बसपा 35 सीटों पर और जोगी की पार्टी 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्रदेश में तीसरी सियासी ताकत वाली पार्टी होने की वजह से कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरें अब इसके उम्मीदवारों पर रहेंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पिछले साल ओपिनियन पोस्ट से कहा था, ‘जोगी की पार्टी चार फीसदी कांग्रेस का और दो फीसदी भाजपा का नुकसान करेगी। अब तक उन्होंने अपनी एक फीसदी राजनीतिक जमीन बनाई है। हम चाहते हैं कि वे दस फीसदी तक बढ़ें।’ जाहिर है कि एक बरस बाद जोगी की पार्टी दो फीसदी भी बढ़ी तो उसने नौ फीसदी अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर ली। बसपा हर चुनाव में 4.5 से 6 फीसदी तक वोट पाती आई है। जोगी और बसपा की राजनीतिक जमीन को जोड़ने पर यह प्रतिशत 13 से 14 तक पहुंच जाता है। बसपा और छजकां गठबंधन को कितनी सीटें मिलेंगी यह सवाल अपनी जगह है। यदि मुख्यमंत्री रमन सिंह की बात को ही मान लिया जाए तो यह गठबंधन कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है।
बसपा की स्थिति सुधरेगी
छत्तीसगढ़ कभी भी बसपा का गढ़ नहीं रहा लेकिन उसके वोटर यहां दिवंगत कांशीराम के समय से हैं। बसपा के संस्थापक अध्यक्ष दिवंगत कांशीराम 1984 के लोकसभा चुनाव में जांजगीर चांपा सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बावजूद इसके पार्टी विधानसभा चुनावों में लगातार अपने उम्मीदवार उतारती रही जिससे उसका जनाधार बढ़ता गया। 2013 के चुनाव में बसपा को पांच लाख 58 हजार 424 वोट मिले थे। 2013 में 13 और 2008 में 36 सीटों पर बसपा तीसरे नंबर पर रही थी। जाहिर हैै कि जोगी से हाथ मिलाने पर उसकी स्थिति में सुधार की संभावना है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक कहते हैं, ‘जोगी और बसपा के गठबंधन से कांग्रेस की हालत माया मिली न राम जैसी हो गई है। भाजपा को इससे नफा ही होगा और हम 65 सीटें जीत लेंगे। नुकसान में कांग्रेस रहेगी। इस गठबंधन से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बढ़ गए हैं।’ भाजपा को 2003 में अनुसूचित जनजाति की आरक्षित 34 सीटों में से 25 पर सफलता मिली थी। 2008 में पुनर्सीमांकन के बाद भाजपा 29 आरक्षित सीटों में से 19 पर काबिज हुई। लेकिन 2013 में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की। बसपा और जोगी का गठबंधन आरक्षित सीटों पर सेंध मारने की कोशिश करेगा। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव इसे दूसरे नजरिये से देखते हैं। वे कहते हैं, ‘बसपा से गठबंधन होने पर कुछ वोट हमें मिल सकते थे लेकिन हमारे वोट छिटक भी सकते थे। बसपा के प्रभाव क्षेत्र में भाजपा को ही अधिक सीटें मिली हैं। जाहिर है कि इस गठबंधन से भाजपा को ही नुकसान होगा।’
कांग्रेस को जड़ से उखाड़ दें : शाह
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रायपुर में शक्ति केंद्रों के सम्मेलन में कहा, ‘दो-चार सीटों के बहुमत से काम नहीं चलेगा। कांग्रेस जड़ से उखड़ जाए। 65 सीटों से कम आई तो विजय नहीं मानेंगे।’ रमन सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि पूरी ताकत लगा देंगे। वर्तमान में 49 सीटों पर भाजपा का और 39 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। एक सीट पर निर्दलीय और एक सीट पर बसपा का कब्जा है। भाजपा हर हाल में चौथी बार भी सरकार बनाना चाहती है। इसके लिए वह आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भाजपा में शामिल कर रही है ताकि उनके अनुभव का लाभ चुनाव में उठाया जा सके। रायपुर के कलेक्टर ओपी चौधरी पहले ही इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। अमित शाह की मौजूदगी में 16 पूर्व आला अधिकारियों समेत 24 लोग भाजपा में शामिल हुए। जोगी की पार्टी को कमजोर करने के लिए उसके पदाधिकारियों को कांग्रेस धड़ाधड़ पार्टी में शामिल कर रही थी। भाजपा भी यही कर रही थी। लेकिन मायावती से हाथ मिलाते ही जोगी की पार्टी में भगदड़ ठहर गई है।
आरोपों का बही-खाता
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है, विपक्ष का हमला सरकार पर तेज होता जा रहा है। सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की सूची बेहद लंबी है। जैसा कि भूपेश बघले कहते हैं, ‘भाजपा ने 15 साल में सिर्फ भ्रष्टाचार किया है। उनकी हर योजना में भ्रष्टाचार है। सरकार ने ई-कॉमर्स वेबसाइट पर 3,100 रुपये में बिक रहे स्मार्टफोन को 4,100 रुपये में खरीदकर राजकीय कोष को करीब 500 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।’ इसके जवाब में शालेय शिक्षा मंत्री केदार कश्यप कहते हैं, ‘कांग्रेस के पास केवल आरोप हैं लेकिन भाजपा का एकमात्र मुद्दा है प्रदेश का अधिक से अधिक विकास। जिनके पास कोई मुद्दा नहीं है, भविष्य की कोई योजना नहीं है वे केवल निराधार आरोपों के जरिये चुनाव लड़ना चाहते हैं।’ प्रदेश में यह पहली बार होगा जब चुनाव कांग्रेस बिन जोगी और जोगी बिन कांग्रेस के होगा। जोगी के पार्टी में न होने से कांग्रेस चुनावी बिसात में ढाई घर से ज्यादा चल लेगी, ऐसा कांग्रेस के प्रवक्ता सुनील आनंद शुक्ला मानते हैं। वहीं भाजपा के प्रवक्ता सचिदानंद उपासने कहते हंै कि कांग्रेस के टूटने से भाजपा को ही लाभ मिलेगा। जोगी कांग्रेस का वोट काटेंगे। जबकि नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव कहते हैं, ‘जोगी के न होने से अब कांग्रेस के वोट में बिखराव नहीं होगा। वे भाजपा की मदद करते आए हैं लेकिन अब भाजपा का वोट काटेंगे।’
भाजपा के खिलाफ शहरी क्षेत्रों में सत्ता विरोधी लहर है। ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर ओबीसी सीटों और सतनामी वोटों के प्रभाव वाली सीटों पर भाजपा को जोगी और बसपा के गठबंधन से मुकाबला करना पड़ सकता है। प्रदेश में 45 लाख शिक्षित बेरोजगार हैं। नौकरी न मिलने से सरकार के प्रति उनमें गुस्सा है। प्रदेश के 36 कर्मचारी संगठन सरकार से नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस आरोपों के हथियारों से लड़ाई लड़ रही है। छोटे-छोटे मुद्दों पर सरकार को घेर रही है। आबकारी मंत्री के घर में कचरा फेंकने की घटना पर पुलिस ने बिलासपुर में कांग्रेस भवन में घुसकर कांग्रेसियों के साथ मारपीट की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए प्रदेश भर के कांग्रेसियों ने काला कपड़ा पहन कर जांजगीर चांपा की ओर कूच किया। इससे सरकार के हाथ पांव फूल गए। सभी रास्ते बंद कर दिए गए और बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए। इन विरोधों के बावजूद रमन सिंह प्रदेश की जनता को वर्ष 2025 तक विकसित छत्तीसगढ़ का सपना दिखा रहे हैं। वे कहते हैं, ‘स्व. अटल जी के हाथों निर्मित छत्तीसगढ़ वर्ष 2025 तक नौजवान छत्तीसगढ़ के रूप में अपनी रजत जयंती मनाएगा। इस कल्पना को साकार करने को अटल दृष्टि पत्र तैयार किया गया है। वर्ष 2022 तक सभी छत्तीसगढ़ियों के पास होगा अपना मकान। किसानों की आमदनी दोगुनी कर उन्हें सक्षम बनाया जाएगा। 2025 तक छत्तीसगढ़ शत प्रतिशत साक्षर होगा। 10 हजार किलोमीटर अतिरिक्त सड़कों और 13 सौ किलोमीटर अतिरिक्त रेल मार्गों का निर्माण किया जाएगा।’
कौन क्या कर रहा
चुनावी जमीन तैयार करने में भाजपा आगे है। इसलिए भी कि वह 15 साल से सत्ता में है। जबकि कांग्रेस वादा कर रही है कि वह सत्ता में आई तो किसानों के कर्ज दस दिन में माफ कर देगी। किसानों को बोनस 22 सौ रुपया दिया जाएगा। शिक्षकों का संवेलियन कर दिया जाएगा। आंगनबाड़ी, 108 के कर्मियों, पुलिसकर्मियों आदि सभी की मांगें पूरी कर दी जाएंगी। जबकि भाजपा ने तेंदूपत्ता धारकों और किसानों को बोनस दे दिया, प्रदेश में पचास लाख लोगों को मोबाइल बांट रही है, पीडीएस के जरिये 55 लाख परिवारों को एक रुपये किलो चावल दे रही है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 50 हजार रुपये तक का इलाज स्मार्ट कार्ड से किया जा रहा है। किसानों को समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल 300 रुपये बोनस देने की बात भाजपा ने कही है। इससे किसानों को 2,050 से 2,070 रुपये तक मिल जाएगा। वन अधिनियम के तहत वनवासियों पर दर्ज 19,832 मामले सरकार वापस लेगी। इससेपहले सरकार ने वर्ष 2004 में 2 लाख 57 हजार मामले वापस लिए थे। लकड़ी और बांस से तीन फीसदी उपकर हटा दिया गया है। अब बाजी जनता के हाथ में है।